
भारत और अमेरिका की साझा परियोजना ‘NISAR’ (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) सैटेलाइट को बुधवार शाम 5:40 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया। यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है जो न केवल भारत के अंतरिक्ष विज्ञान को नई ऊंचाई देगी, बल्कि आपदाओं के समय करोड़ों लोगों की जान बचाने में भी अहम भूमिका निभाएगी।
क्या है निसार मिशन?
निसार एक अत्याधुनिक अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट है जिसे नासा और इसरो ने संयुक्त रूप से विकसित किया है। इसका उद्देश्य धरती की सतह पर हो रहे बदलावों की निगरानी करना है। यह सैटेलाइट सिंथेटिक अपर्चर रडार (SAR) तकनीक का इस्तेमाल करता है, जो बादलों के पार भी धरती की तस्वीरें ले सकता है और रात में भी काम करता है।
निसार को क्यों कहा जा रहा है ‘धरती का एमआरआई स्कैनर’?
जैसे MRI स्कैनर इंसानी शरीर की भीतरी संरचना की जानकारी देता है, वैसे ही NISAR धरती की सतह में हो रहे छोटे से छोटे बदलावों की सटीक निगरानी करेगा। यह सैटेलाइट भूकंप, सुनामी, भूस्खलन, बाढ़ और ग्लेशियर के पिघलने जैसी प्राकृतिक घटनाओं को पहले से पकड़ सकेगा।
प्राकृतिक आपदाओं से पहले चेतावनी देगा
NISAR हर 12 दिन में धरती के एक ही क्षेत्र की उच्च गुणवत्ता वाली रडार इमेज देगा। इससे वैज्ञानिक यह पता लगा सकेंगे कि किन क्षेत्रों में जमीन खिसक रही है या समुद्रतल बढ़ रहा है। यह जानकारी सरकारों को समय रहते चेतावनी देने, राहत योजनाएं बनाने और जानमाल की रक्षा करने में मदद करेगी।
निसार के प्रमुख लक्ष्य:
भूकंपीय गतिविधियों की पहचान और निगरानी
हिमनदों और बर्फ की चादरों में बदलाव
जंगलों की कटाई और जैव विविधता का आकलन
कृषि क्षेत्रों में भूमि की गुणवत्ता की जानकारी
समुद्री जलस्तर और तटीय क्षरण की निगरानी
भारत-अमेरिका सहयोग का उदाहरण
NISAR मिशन दोनों देशों के बीच वैज्ञानिक सहयोग का प्रतीक है। नासा ने इस मिशन के लिए L-बैंड SAR रडार और कुछ अन्य उपकरण प्रदान किए हैं, जबकि ISRO ने S-बैंड SAR, सैटेलाइट बस और लॉन्च सेवाएं उपलब्ध कराईं।
वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया
ISRO चीफ ने लॉन्च के बाद कहा, “NISAR हमारे देश और पूरी दुनिया के लिए गेम चेंजर साबित होगा। यह सैटेलाइट डेटा के दम पर आपदा प्रबंधन को नया आयाम देगा।” वहीं, नासा की ओर से आए विशेषज्ञों ने भी इसे पृथ्वी विज्ञान के लिए क्रांतिकारी कदम बताया।
सैटेलाइट की लागत और जीवनकाल
करीब 1.5 अरब डॉलर की लागत से तैयार NISAR सैटेलाइट को 3 से 5 वर्षों तक ऑपरेट करने की योजना है। यह सैटेलाइट पोलर सन-सिंक ऑर्बिट में स्थापित किया गया है, जिससे यह पूरे ग्लोब की व्यापक और सटीक निगरानी कर सकता है।
भविष्य में क्या उम्मीदें?
NISAR से प्राप्त आंकड़े जलवायु परिवर्तन की निगरानी और सतत विकास के लिए नीतियां बनाने में सहायक होंगे। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह सैटेलाइट 21वीं सदी के सबसे उपयोगी अर्थ ऑब्जर्वेशन टूल्स में से एक बन सकता है।