
“नीतीश कुमार नहीं, ये बन सकते हैं अगले उपराष्ट्रपति; मोदी सरकार की भी पहली पसंद”
नीतीश कुमार नहीं, ये बन सकते हैं अगले उपराष्ट्रपति; मोदी सरकार की पहली पसंद कौन?
नई दिल्ली।
देश को जल्द ही नया उपराष्ट्रपति मिलने वाला है। मौजूदा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद राजनीतिक गलियारों में नए नामों को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है। केंद्र सरकार की ओर से इस पद के लिए नए चेहरे की तलाश शुरू हो चुकी है। हालांकि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और राजनीतिक विश्लेषणों में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम भी चर्चा में है, लेकिन अब यह स्पष्ट होता दिख रहा है कि नीतीश सरकार की पहली पसंद नहीं हैं। बीजेपी की नजरें ऐसे नेता पर हैं जो राजनीतिक दृष्टि से संतुलित हो, जिसकी स्वीकार्यता सभी दलों में हो और जो अगले पांच वर्षों तक इस गरिमामय पद को प्रभावशाली ढंग से संभाल सके।
उपराष्ट्रपति पद क्यों है महत्वपूर्ण?
भारत में उपराष्ट्रपति न केवल राज्यसभा के सभापति होते हैं, बल्कि वे राष्ट्रपति के बाद देश के दूसरे सर्वोच्च संवैधानिक पद पर होते हैं। संसद की कार्यवाही को सुचारु रूप से संचालित करने के लिए उपराष्ट्रपति की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। इसलिए, यह जरूरी है कि इस पद पर ऐसा व्यक्ति बैठे जो न केवल संसदीय कार्यवाही की गहराई से समझ रखता हो, बल्कि गैर-विवादित छवि का भी हो।
धनखड़ के इस्तीफे से बदला समीकरण
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने हाल ही में व्यक्तिगत स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उनके इस्तीफे को तत्काल प्रभाव से स्वीकार कर लिया। इसके बाद से ही इस पद के लिए संभावित उम्मीदवारों की चर्चा तेज हो गई है। भाजपा और एनडीए के भीतर बैठकों का दौर शुरू हो चुका है। सूत्रों के अनुसार, सरकार चाहती है कि इस बार ऐसा चेहरा लाया जाए जो संगठन, समाज और संसद—तीनों क्षेत्रों में संतुलन बिठा सके।
नीतीश कुमार को लेकर क्या है स्थिति?
जेडीयू प्रमुख और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम शुरू में चर्चा में आया था, लेकिन भाजपा सूत्रों के अनुसार उन्हें लेकर पार्टी के भीतर पूरी सहमति नहीं बन पा रही है। इसका एक बड़ा कारण नीतीश कुमार का बार-बार पाला बदलना माना जा रहा है। पहले वे एनडीए में थे, फिर महागठबंधन में गए, फिर दोबारा एनडीए में लौटे। उनकी इस ‘यू-टर्न’ राजनीति को लेकर पार्टी में संशय की स्थिति है। भाजपा नेतृत्व अब एक स्थायी और भरोसेमंद चेहरे की तलाश में है।
संभावित नाम कौन-कौन से?
बीजेपी की ओर से कई नामों पर विचार किया जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी का नाम इस दौड़ में सबसे आगे है। वे लंबे समय तक बिहार की राजनीति में सक्रिय रहे हैं और भाजपा संगठन के करीबी माने जाते हैं। इसके अलावा केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी और हरदीप पुरी जैसे नामों पर भी चर्चा है।
कुछ दलित चेहरों को भी ध्यान में रखा जा रहा है ताकि सामाजिक समीकरण साधा जा सके। इसमें डॉ. रामशंकर कठेरिया या सतीश पूनिया जैसे नेताओं के नाम सामने आ सकते हैं।
मोदी सरकार की पहली पसंद क्या होगी?
मोदी सरकार की प्राथमिकता एक ऐसा चेहरा होगा जो संसद में अनुशासन बनाए रखने में सक्षम हो, राजनीतिक दृष्टि से सौम्य और समावेशी छवि रखता हो, और संगठन के साथ तालमेल बैठा सके। भाजपा नेतृत्व चाहता है कि आगामी 2026 तक राज्यसभा में होने वाले बड़े बदलावों से पहले एक सशक्त उपराष्ट्रपति का पदस्थापन हो जाए, जो दोनों सदनों के बीच समन्वय बना सके।
विपक्ष की रणनीति क्या होगी?
भले ही भाजपा के पास एनडीए और कुछ निर्दलीय सहयोगियों के समर्थन से उपराष्ट्रपति का चुनाव जीतने की शक्ति हो, लेकिन विपक्ष भी अपनी ओर से एक मजबूत चेहरा उतारने की तैयारी में है। कांग्रेस, टीएमसी, आम आदमी पार्टी, सपा और डीएमके जैसे दलों के बीच एक साझा उम्मीदवार लाने की कोशिश हो रही है। हालांकि विपक्ष की एकता के अभाव में भाजपा की राह आसान दिख रही है।
चुनाव की प्रक्रिया
उपराष्ट्रपति का चुनाव राष्ट्रपति की तरह प्रत्यक्ष नहीं, बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से होता है। संसद के दोनों सदनों—लोकसभा और राज्यसभा—के सांसद वोटिंग प्रक्रिया में भाग लेते हैं। एक बार नामांकन की प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद चुनाव आयोग चुनाव की तारीख तय करेगा। माना जा रहा है कि अगस्त के पहले सप्ताह में यह प्रक्रिया शुरू हो सकती है और स्वतंत्रता दिवस से पहले देश को नया उपराष्ट्रपति मिल सकता है।
देश के अगले उपराष्ट्रपति को लेकर चर्चाएं तेज हैं। नीतीश कुमार का नाम अब दौड़ से लगभग बाहर हो चुका है और भाजपा की नजरें अब ज्यादा स्थिर, भरोसेमंद और संगठन से जुड़े व्यक्ति पर हैं। सुशील मोदी, मीनाक्षी लेखी और अन्य वरिष्ठ नेताओं के नामों पर मंथन जारी है। विपक्ष भी अपने स्तर पर तैयारी कर रहा है, लेकिन संख्या बल के लिहाज से भाजपा को बड़ी बढ़त मानी जा रही है।
अगले कुछ दिनों में नामांकन प्रक्रिया शुरू होते ही स्थिति और स्पष्ट हो जाएगी कि देश का दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक पद किसके हाथ में जाएगा।