
ओडिशा। शिक्षक की प्रताड़ना से तंग आकर आत्मदाह करने वाली छात्रा सौम्याश्री की मौत, सीएम ने जताया शोक।
बालेश्वर। ओडिशा के बालेश्वर जिले से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है, जिसने राज्यभर में शिक्षा व्यवस्था और छात्र सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। फकीर मोहन स्वयं शासित महाविद्यालय की छात्रा सौम्याश्री बीसी, जो कथित रूप से कॉलेज के एक शिक्षक द्वारा की गई प्रताड़ना से मानसिक रूप से टूट चुकी थी, ने आखिरकार जिंदगी की जंग हार दी। सोमवार देर रात इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। इस घटना ने पूरे राज्य में आक्रोश की लहर पैदा कर दी है।
घटना का पृष्ठभूमि
सौम्याश्री बीसी, फकीर मोहन ऑटोनॉमस कॉलेज में स्नातक की छात्रा थी। परिजनों और सहपाठियों के अनुसार, वह बीते कई महीनों से कॉलेज के एक शिक्षक द्वारा मानसिक प्रताड़ना की शिकार थी। आरोप है कि संबंधित शिक्षक ने उसे बार-बार सार्वजनिक रूप से अपमानित किया, प्रोजेक्ट मूल्यांकन में पक्षपात किया और परीक्षा में जानबूझकर कम अंक दिए।
इस मानसिक उत्पीड़न ने छात्रा को इस हद तक तोड़ दिया कि 10 जुलाई को उसने कॉलेज परिसर के पास ही खुद पर मिट्टी का तेल डालकर आग लगा ली। गंभीर रूप से जल चुकी सौम्याश्री को तत्काल बालेश्वर जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां से बाद में उसे कटक के एससीबी मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया। पांच दिनों तक जिंदगी और मौत के बीच झूलने के बाद सोमवार रात उसकी मृत्यु हो गई।
परिवार का आरोप और भावनात्मक आक्रोश
सौम्याश्री के माता-पिता का कहना है कि उनकी बेटी शुरू से ही पढ़ाई में होशियार थी और कॉलेज में अच्छे प्रदर्शन के लिए जानी जाती थी। लेकिन पिछले एक साल से उसकी मानसिक स्थिति लगातार बिगड़ रही थी।
पीड़िता की मां ने मीडिया को बताया,
“हमने कई बार कॉलेज प्रशासन से शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। सौम्या की आंखों में सपने थे, पर शिक्षक की बेरहमी ने उसे तोड़ दिया। हम चाहते हैं कि दोषी को कड़ी से कड़ी सजा मिले, ताकि किसी और बेटी के साथ ऐसा न हो।”
शिक्षक और कॉलेज प्रशासन पर सवाल
इस पूरे मामले में आरोपी शिक्षक के खिलाफ पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है, लेकिन अभी तक गिरफ्तारी नहीं हुई है। कॉलेज प्रशासन की चुप्पी और निष्क्रियता पर भी गंभीर सवाल उठाए जा रहे हैं।
छात्र संगठन और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि सौम्याश्री की शिकायतें लंबे समय से कॉलेज को ज्ञात थीं, लेकिन समय रहते कोई कदम नहीं उठाया गया।
मुख्यमंत्री का बयान
ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना पर गहरा शोक जताया है। उन्होंने कहा:
“एक होनहार छात्रा की इस तरह की मौत बेहद दुखद है। सरकार इस मामले की उच्चस्तरीय जांच कराएगी और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।”
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे सौम्याश्री के परिवार को आवश्यक सहायता प्रदान करें और पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए हर संभव प्रयास करें।
जनआंदोलन और विरोध
घटना के बाद पूरे बालेश्वर जिले में प्रदर्शन की लहर चल पड़ी है। मंगलवार को छात्र संगठनों ने कॉलेज के मुख्य गेट पर धरना प्रदर्शन किया और आरोपी शिक्षक की गिरफ्तारी की मांग की। कई सामाजिक संगठन और महिला अधिकार कार्यकर्ता भी पीड़िता के पक्ष में खुलकर सामने आ गए हैं।
एक छात्र संगठन के नेता ने कहा,
“अगर समय रहते कॉलेज प्रशासन कार्रवाई करता, तो सौम्याश्री की जान बच सकती थी। अब हम चुप नहीं बैठेंगे, जब तक आरोपी को सजा नहीं मिलती।”
शिक्षा मंत्रालय की भूमिका पर बहस
यह मामला ओडिशा में उच्च शिक्षा संस्थानों में बढ़ते उत्पीड़न और प्रशासनिक लापरवाही की तरफ इशारा करता है। छात्रों का कहना है कि अधिकांश कॉलेजों में न तो काउंसलिंग की सुविधा है और न ही कोई प्रभावी शिकायत निवारण तंत्र।
विशेषज्ञों का मानना है कि छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर नीतिगत स्तर पर सुधार की जरूरत है। जब तक संस्थानों में जवाबदेही तय नहीं होगी, तब तक ऐसे मामले सामने आते रहेंगे।
आगे की कार्रवाई
बालेश्वर पुलिस अधीक्षक ने बताया कि सौम्याश्री की मृत्यु के बाद अब केस को धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) और 354 (महिला के साथ दुर्व्यवहार) जैसी गंभीर धाराओं में बदला जा रहा है। मेडिकल रिपोर्ट, चश्मदीद गवाहों और परिजनों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं।
शिक्षा विभाग ने एक विशेष जांच कमेटी गठित की है, जो 7 दिनों के भीतर रिपोर्ट सौंपेगी।
सौम्याश्री की मौत सिर्फ एक छात्रा की त्रासदी नहीं, बल्कि एक शिक्षा प्रणाली की विफलता है। यह घटना चेतावनी है कि अगर हम समय रहते संस्थानों में संवेदनशीलता, जवाबदेही और पारदर्शिता नहीं लाते, तो हमारे बच्चों को इसी तरह बेमौत मरना पड़ेगा।
सरकार से लेकर समाज तक, अब यह जिम्मेदारी बनती है कि सौम्याश्री के लिए न्याय सुनिश्चित किया जाए, ताकि उसकी जैसी कोई और बेटी फिर कभी इस रास्ते पर न जाए।