देवघर। जिले में स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत आउटसोर्सिंग के तहत कार्यरत कर्मियों का वेतन दो माह से लंबित है, जिसके चलते बड़ी संख्या में कर्मचारी आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे हैं। गुरुवार को दर्जनों आउटसोर्सिंग कर्मियों ने सिविल सर्जन कार्यालय पहुंचकर लिखित आवेदन सौंपा और अविलंब वेतन भुगतान की मांग की। कर्मियों ने बताया कि कंपनी द्वारा लगातार दो माह का वेतन रोके जाने के कारण उनके सामने भोजन, बच्चों की पढ़ाई, वाहन खर्च तथा दैनिक आवश्यकताओं को पूरा करने की समस्या खड़ी हो गई है। हालात इतने गंभीर हो चुके हैं कि कई कर्मचारियों के घरों में राशन तक खत्म होने की स्थिति बन गई है।

कर्मचारियों ने बताया कि वे पूर्ण रूप से इस वेतन पर निर्भर रहते हैं, लेकिन पिछले दो महीने से सैलेरी नहीं मिलने के कारण हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि बच्चे की स्कूल फीस जमा नहीं कर पाने की वजह से स्कूल प्रबंधन लगातार दबाव बना रहा है। वहीं कई कर्मचारी किराया नहीं दे पा रहे हैं। वाहन का खर्च तक निकाल पाना मुश्किल हो गया है, जिससे ड्यूटी पर समय से पहुंचना भी चुनौती बन गया है।
कर्मचारियों ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग की अधिकांश जिम्मेदारियाँ इन्हीं आउटसोर्सिंग कर्मियों के कंधों पर टिकी होती हैं। अस्पतालों में सफाई व्यवस्था, लैब असिस्टेंस, वार्ड देखरेख, वार्ड बॉय, डाटा एंट्री, हेल्पडेस्क संचालन सहित कई महत्वपूर्ण कार्य ये कर्मचारी निभाते हैं। इसके बावजूद जिम्मेदार कंपनी द्वारा दो महीने से भुगतान नहीं किया जा रहा है। कर्मियों ने यह भी कहा कि समय पर वेतन न मिलने से उनकी मानसिक स्थिति भी प्रभावित हो रही है। कई कर्मचारी आर्थिक संकट का सामना करते-करते अवसाद की स्थिति में पहुंच रहे हैं।
आवेदन में यह भी उल्लेख किया गया है कि वेतन न मिलने के कारण कर्मचारियों के ऊपर कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है। घर का खर्च, दवाइयाँ, बच्चों के दैनिक जरूरतों को पूरा न कर पाने की वजह से पूरे परिवार पर असर पड़ रहा है। कई कर्मचारी विवश होकर परिचितों से उधार लेकर जिंदगी चला रहे हैं, जबकि कुछ के घरों में खाना बनाना तक मुश्किल हो गया है। “अभी तक न तो कंपनी आश्वस्त कर रही है और न ही स्पष्ट समय दे रही है कि वेतन कब मिलेगा। ऐसे में हम सभी बेहद परेशान हैं,”—कर्मचारियों ने कहा।
कर्मियों ने सिविल सर्जन से गुहार लगाई है कि वे कंपनी को निर्देश दें कि लंबित वेतन का भुगतान जल्द से जल्द किया जाए, ताकि उनकी स्थिति सामान्य हो सके। कर्मचारियों ने कहा कि जब तक वेतन भुगतान नहीं होता, तब तक उनके परिवारों की परेशानी और बढ़ती जाएगी। कई कर्मचारी स्वास्थ्य विभाग के काम को नियमित रूप से पूरा कर रहे हैं, लेकिन बदले में बुनियादी भुगतान तक नहीं मिल रहा है। यह स्थिति न केवल कर्मचारियों को प्रभावित कर रही है, बल्कि अस्पताल की कार्यप्रणाली पर भी असर डाल सकती है।
आउटसोर्सिंग कर्मियों ने चेतावनी दी है कि यदि 7 दिनों के भीतर वेतन भुगतान नहीं हुआ, तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाने पर मजबूर होंगे। कर्मचारियों ने कहा कि वे अपनी ड्यूटी ईमानदारी और निष्ठा से निभाते हैं, लेकिन बदले में उन्हें सम्मानजनक और समय पर भुगतान मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेवा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों के साथ इस तरह की लापरवाही अस्वीकार्य है।
कर्मचारियों ने उम्मीद जताई कि सिविल सर्जन उनकी समस्याओं पर शीघ्र संज्ञान लेकर वेतन भुगतान सुनिश्चित करेंगे। कर्मचारियों का कहना है कि वेतन न मिलने का मुद्दा सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि सामाजिक और मानसिक स्तर पर भी गंभीर असर डाल रहा है। कई परिवारों का जीना मुश्किल हो गया है और बच्चों के भविष्य पर भी खतरा मंडरा रहा है।
आवेदन देने आए कर्मियों ने कहा कि वेतन न मिलने की वजह से उन्हें दैनिक खर्चों के लिए भी सोचना पड़ रहा है। कई लोग अपने दायित्वों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। “हम ड्यूटी पर रोज आते हैं, अपनी सेवाएं ईमानदारी से देते हैं। अस्पताल की अधिकांश व्यवस्था हमारे ऊपर चलती है, लेकिन हमारी चिंता करने वाला कोई नहीं है। हम सिर्फ आपसे न्याय की उम्मीद लेकर आए हैं,”—कर्मचारियों ने सिविल सर्जन से कहा।
अंत में कर्मचारियों ने मांग की कि स्वास्थ्य विभाग और आउटसोर्सिंग कंपनी के बीच समन्वय स्थापित कर जल्द से जल्द वेतन देने की प्रक्रिया पूरी की जाए। उन्होंने कहा कि यदि समय रहते उनकी समस्या का समाधान नहीं हुआ, तो वे बड़े आंदोलन की तैयारी करेंगे, जिसकी पूरी जिम्मेदारी संबंधित कंपनी और अधिकारियों की होगी।
