नई दिल्ली। लाल किले के पास हुए हालिया आतंकी हमले ने देशभर में सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी है। इस बीच पूर्व गृह मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने एक बार फिर ‘घरेलू आतंकवाद’ के मुद्दे को उठाते हुए बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि भारत आज दो तरह के आतंकवाद का सामना कर रहा है — विदेशी आतंकवाद और घरेलू आतंकवाद, और दोनों ही देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती हैं।

चिदंबरम ने गुरुवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा, “यह समय केवल सीमा पार से आने वाले आतंकियों पर ध्यान केंद्रित करने का नहीं है। हमें यह भी देखना होगा कि देश के भीतर कट्टरपंथ और नफरत की राजनीति कैसे ‘घरेलू आतंकवाद’ को जन्म दे रही है।”
हमला सुरक्षा एजेंसियों के लिए चेतावनी
लाल किले के पास बुधवार देर रात हुए इस हमले में दो सुरक्षा कर्मी घायल हुए थे। जांच एजेंसियों के अनुसार, हमलावरों ने अचानक फायरिंग शुरू कर दी और घटनास्थल से फरार हो गए। प्रारंभिक जांच में संकेत मिले हैं कि हमले में स्थानीय मददगारों की भूमिका हो सकती है।
इसी पर प्रतिक्रिया देते हुए चिदंबरम ने कहा, “अगर किसी आतंकी वारदात में देश के भीतर से मदद मिल रही है, तो यह हमारे लिए सबसे बड़ा खतरा है। यह सिर्फ सुरक्षा की विफलता नहीं, बल्कि समाज में पनप रही असहिष्णुता का परिणाम है।”
‘घरेलू आतंकवाद’ पर फिर खुली बहस
चिदंबरम का यह बयान ऐसे समय में आया है जब सरकार लगातार पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद पर सख्त बयान देती रही है। लेकिन कांग्रेस नेता के इस बयान ने राजनीतिक बहस को नया मोड़ दे दिया है।
उनका कहना है कि “आतंकवाद की जड़ें केवल सीमा पार नहीं हैं। जब देश के भीतर नफरत, भेदभाव और धार्मिक उन्माद बढ़ता है, तो वही आंतरिक हिंसा का कारण बनता है। हमें इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।”
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चिदंबरम ने सुरक्षा नीति में ‘समग्र दृष्टिकोण’ की वकालत की है। उनका तर्क है कि आतंकवाद केवल सैन्य चुनौती नहीं, बल्कि सामाजिक और वैचारिक चुनौती भी है।
सरकार ने चिदंबरम के बयान को बताया गैरजिम्मेदाराना
दूसरी ओर, सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने चिदंबरम के बयान को ‘गैरजिम्मेदाराना और राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित’ बताया है।
बीजेपी प्रवक्ता ने कहा, “ऐसे वक्त में जब पूरा देश एकजुट होकर आतंकवाद के खिलाफ खड़ा है, तब कांग्रेस नेता का इस तरह का बयान सुरक्षा बलों का मनोबल तोड़ने वाला है।”
बीजेपी ने कांग्रेस से स्पष्ट करने को कहा है कि क्या पार्टी भी चिदंबरम के विचारों से सहमत है।
लाल किला फिर क्यों बना निशाना?
यह पहली बार नहीं है जब लाल किले को आतंकियों ने निशाना बनाया हो। साल 2000 में भी लाल किला आतंकी हमले का गवाह रह चुका है, जिसमें तीन जवान शहीद हो गए थे। अब दो दशक बाद फिर वही इलाका निशाने पर है, जिससे सुरक्षा तंत्र पर सवाल उठने लगे हैं।
सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली जैसे संवेदनशील इलाके में इस तरह का हमला केवल तभी संभव है जब आंतरिक सहायता या खुफिया लापरवाही हो।
‘सुरक्षा के साथ सामाजिक एकता जरूरी’
चिदंबरम ने अपने बयान में इस बात पर भी जोर दिया कि आतंकवाद को रोकने के लिए केवल सुरक्षा उपाय पर्याप्त नहीं हैं। उन्होंने कहा, “जब तक हम समाज में संवाद, समानता और न्याय को मजबूत नहीं करेंगे, तब तक किसी भी तरह की सुरक्षा रणनीति अधूरी रहेगी।”
उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की कि आतंकवाद से निपटने की नीति को राजनीतिक मतभेदों से ऊपर रखकर लागू किया जाए।
जनता में डर और गुस्सा दोनों
लाल किले के पास हुए हमले के बाद दिल्लीवासियों में डर का माहौल है। स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर राजधानी का सबसे सुरक्षित इलाका भी सुरक्षित नहीं है, तो आम लोगों का भरोसा कैसे कायम रहेगा।
घटना के बाद दिल्ली पुलिस ने पूरे इलाके की सुरक्षा बढ़ा दी है और CCTV फुटेज की जांच जारी है। वहीं, एनआईए और इंटेलिजेंस ब्यूरो की टीमें भी मामले की तहकीकात में जुट गई हैं।
राजनीतिक प्रतिक्रिया और आगे की राह
कांग्रेस ने जहां हमले की कड़ी निंदा की है, वहीं विपक्षी दलों ने सरकार से जवाब मांगा है कि राजधानी में सुरक्षा में ऐसी चूक कैसे हुई।
बीजेपी ने पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस इस घटना को “राजनीतिक अवसर” में बदलने की कोशिश कर रही है।
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को अब केवल बाहरी आतंकवाद पर नहीं, बल्कि ‘आंतरिक कट्टरपंथ’ पर भी ध्यान देना होगा, जो धीरे-धीरे एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है।
लाल किले के पास हुआ यह आतंकी हमला सिर्फ एक सुरक्षा घटना नहीं, बल्कि एक बड़ा चेतावनी संकेत है। पी. चिदंबरम का बयान इस बहस को और गहरा कर गया है कि क्या भारत अब केवल सीमा पार से आने वाले खतरों से जूझ रहा है या देश के भीतर भी एक नया खतरा आकार ले रहा है।
इस हमले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आतंकवाद से लड़ाई केवल हथियारों की नहीं, बल्कि विचारों और नीतियों की भी है।
