
Panchkula Suicide Case: बागेश्वर धाम में कथा सुनने आए परिवार ने लौटते वक्त खा लिया ज़हर, कार में मिले एक ही परिवार के 7 शव।
पंचकूला/देहरादून: हरियाणा के पंचकूला जिले में सोमवार को एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे इलाके को स्तब्ध कर दिया। यहां देहरादून निवासी एक ही परिवार के 7 सदस्यों ने कथित तौर पर जहर खाकर सामूहिक आत्महत्या कर ली। पुलिस के अनुसार, यह पूरा परिवार बागेश्वर धाम में ‘हनुमंत कथा’ सुनने आया था और लौटते समय यह खौफनाक कदम उठा लिया।
मृतकों की पहचान प्रवीन मित्तल, उनकी पत्नी, माता-पिता और तीन बच्चों के रूप में हुई है। घटना का खुलासा तब हुआ जब कार हाईवे किनारे खड़ी मिली, और उसमें सातों शव बेहोशी की हालत में पाए गए। जब स्थानीय लोगों को शक हुआ, तब उन्होंने पुलिस को सूचना दी।
जहर खाकर मौत, गाड़ी बनी मौत का कफन
पुलिस जब मौके पर पहुंची तो कार अंदर से बंद थी। जब दरवाजा खोला गया, तो सभी लोग अचेत अवस्था में पाए गए। कुछ के मुंह से झाग निकल रहा था और पास में ही जहर की शीशियां पड़ी हुई थीं। सभी को फौरन अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
कर्ज ने तोड़ा परिवार को
प्राथमिक जांच में सामने आया है कि परिवार आर्थिक तंगी और कर्ज के बोझ से परेशान था। प्रवीन मित्तल का देहरादून में व्यवसाय था, जो बीते कुछ समय से घाटे में चल रहा था। घर की जिम्मेदारियां और कर्ज का दबाव उन्हें अंदर ही अंदर तोड़ रहा था। आशंका है कि इसी तनाव के चलते उन्होंने यह आत्मघाती कदम उठाया।
बागेश्वर धाम से लौटते समय लिया फैसला
जानकारी के अनुसार, प्रवीन मित्तल परिवार सहित पंचकूला बागेश्वर धाम में धार्मिक कथा सुनने आए थे। ऐसा माना जा रहा है कि मानसिक शांति और राहत के लिए वह धार्मिक आयोजन में शामिल हुए थे। लेकिन कथा के बाद लौटते समय परिवार ने सामूहिक आत्महत्या करने का मन बना लिया।
पुलिस जुटी जांच में, सुसाइड नोट की तलाश जारी
फिलहाल पंचकूला पुलिस पूरे मामले की जांच में जुटी है। घटनास्थल से कोई स्पष्ट सुसाइड नोट नहीं मिला है, हालांकि मोबाइल फोन और दस्तावेजों की जांच की जा रही है। पुलिस का मानना है कि जल्द ही आत्महत्या के पीछे के पूरे कारण सामने आ जाएंगे।
स्थानीय लोग और समाज स्तब्ध
इस घटना के बाद पंचकूला ही नहीं, देहरादून और सोशल मीडिया पर भी शोक और स्तब्धता का माहौल है। एक ही परिवार के सात सदस्यों की मौत ने सभी को झकझोर कर रख दिया है। लोगों के मन में कई सवाल उठ रहे हैं — क्या कोई परिवार इतना अकेला और टूट चुका था कि उसे मौत ही एकमात्र रास्ता लगी?
यह घटना एक बार फिर समाज के उस कड़वे सच को उजागर करती है, जिसमें आर्थिक संकट और मानसिक तनाव का कोई मजबूत सहारा न मिलने पर लोग अपनी जान तक गंवा देते हैं। यह वक्त है कि हम न सिर्फ आर्थिक, बल्कि मानसिक रूप से भी एक-दूसरे का सहारा बनें। समाज को ऐसे मामलों में संवेदनशीलता और जागरूकता की जरूरत है।