
Patana: अगले 5 साल में सरकार देगी 1 करोड़ नौकरी: नीतीश कैबिनेट ने लगाई मुहर।
पटना। बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने राज्य के युवाओं को बड़ी राहत और उम्मीद देने वाला ऐलान किया है। मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में आयोजित कैबिनेट बैठक में अगले 5 वर्षों में राज्य में 1 करोड़ नौकरियों के सृजन के महात्वाकांक्षी प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। इस फैसले को नीतीश सरकार की आगामी रणनीति और युवा केंद्रित योजनाओं की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।
सरकार के अनुसार, ये नौकरियां अलग-अलग विभागों, योजनाओं, उद्योगों और निजी क्षेत्र में स्वरोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने के माध्यम से सृजित की जाएंगी। इसमें सरकारी नियुक्तियों के साथ-साथ स्वरोजगार, स्टार्टअप, कौशल विकास योजनाओं और निजी निवेश से जुड़े रोजगार के अवसरों को भी जोड़ा जाएगा।
युवा सशक्तिकरण पर जोर
नीतीश कुमार ने हमेशा से शिक्षा, कौशल और रोजगार को अपनी प्राथमिकता में रखा है। उन्होंने कहा कि आने वाले पांच वर्षों में राज्य के युवाओं को सक्षम, कुशल और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में यह बड़ा कदम है। इस योजना को मिशन मोड में लागू किया जाएगा। इसके लिए विशेष निगरानी एजेंसियां बनाई जाएंगी जो रोजगार सृजन की प्रगति की नियमित समीक्षा करेंगी।
रोजगार के अलावा बुनियादी ढांचे पर भी जोर
कैबिनेट बैठक में सिर्फ रोजगार नहीं, बल्कि राज्य के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने से जुड़े कई अहम प्रस्तावों को भी मंजूरी दी गई। इसमें मुंगेर में गंगा पथ निर्माण और भागलपुर में वैकल्पिक बाईपास परियोजना शामिल है।
मुंगेर गंगा पथ योजना से शहर में यातायात का दबाव कम होगा और आवागमन सुगम बनेगा। वहीं भागलपुर का वैकल्पिक बाईपास शहरवासियों को जाम से राहत देगा और परिवहन व्यवस्था में क्रांतिकारी सुधार लाएगा।
मुख्यमंत्री की टिप्पणी
कैबिनेट बैठक के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मीडिया से बातचीत में कहा,
> “हमारा उद्देश्य है कि राज्य के हर युवा को रोजगार के अवसर मिलें। इसके लिए हम सरकारी और गैर-सरकारी दोनों क्षेत्रों में नौकरियों के नए द्वार खोलेंगे। बिहार की तरक्की के लिए युवाओं का सशक्तिकरण जरूरी है।”
विपक्ष की प्रतिक्रिया
इस बीच, विपक्षी दलों ने सरकार के इस ऐलान को चुनावी वादा करार दिया है। राजद और कांग्रेस ने कहा कि इससे पहले भी सरकार ने 10 लाख सरकारी नौकरियों का वादा किया था, जिसका अभी तक आकलन नहीं हो पाया है। उन्होंने सरकार से समयबद्ध और पारदर्शी कार्ययोजना जारी करने की मांग की है।
निष्कर्ष
बिहार सरकार का यह फैसला निश्चित रूप से युवाओं के लिए आशा की किरण लेकर आया है। यदि यह योजना जमीनी स्तर पर सटीक तरीके से लागू होती है, तो यह राज्य की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को बदलने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकती है।