
पटना। लोकसभा चुनाव प्रचार के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भव्य रोड शो गुरुवार को पटना की सड़कों पर ऐतिहासिक बन गया। एयरपोर्ट से शुरू होकर हाई कोर्ट मोड़ तक लगभग 5 किलोमीटर लंबे इस रोड शो में शहर देशभक्ति और उत्साह के रंग में पूरी तरह रंगा नजर आया। हर हाथ में लहराता तिरंगा और हर जुबां पर ‘भारत माता की जय’ और ‘मोदी-मोदी’ के गगनभेदी नारों ने राजधानी पटना को देशभक्ति की ज्वाला से भर दिया।
रोड शो का मार्ग और जनसैलाब:
प्रधानमंत्री का काफिला पटना एयरपोर्ट से रवाना होकर आयकर गोलंबर, शेखपुरा मोड़, पटेल भवन, राजवंशी नगर, पुनाईचक, हड़ताली मोड़ होते हुए हाई कोर्ट मोड़ तक पहुंचा। इस पूरे रास्ते में लाखों की भीड़ उमड़ी रही, लोगों की नजरें प्रधानमंत्री की एक झलक पाने को व्याकुल थीं। सड़क किनारे, फुटपाथ, डिवाइडर, ऊंची इमारतों की बालकनियों, खिड़कियों, मुंडेरों से लेकर दूर-दराज की छतों तक लोग झंडे लिए खड़े थे, कई जगहों पर फूल बरसाए गए, ढोल-नगाड़े और शंखनाद से माहौल और भी जोशीला हो गया।
महिलाएं, बुजुर्ग, युवा और बच्चे सब शामिल:
इस रोड शो में केवल पुरुष नहीं, बल्कि महिलाओं और बच्चों की भारी भागीदारी ने भी माहौल को खास बना दिया। बुजुर्गों की आंखों में गर्व और बच्चों के चेहरों पर उत्साह साफ नजर आ रहा था। कई युवा पारंपरिक परिधान में तिरंगा लहराते हुए देशभक्ति गीतों पर झूमते दिखाई दिए।
PM मोदी का अभिवादन:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रोड शो के दौरान लगातार लोगों की ओर हाथ हिलाकर अभिवादन स्वीकार करते रहे। सुरक्षा घेरे में रहकर भी उन्होंने जनता से भावनात्मक जुड़ाव का पूरा प्रयास किया। लोगों ने फूलों की वर्षा से उनका स्वागत किया और ‘मोदी है तो मुमकिन है’ जैसे नारों से आसमान को गुंजायमान कर दिया।
सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद:
इस ऐतिहासिक रोड शो के लिए राजधानी में भारी सुरक्षा बलों की तैनाती की गई थी। SPG, बिहार पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों ने चप्पे-चप्पे पर निगरानी रखी। ड्रोन से भीड़ पर नजर रखी गई और पूरे रूट को पहले ही सैनिटाइज किया गया था।
रोड शो बना जनभावना का प्रतिबिंब:
यह रोड शो केवल एक राजनीतिक आयोजन नहीं, बल्कि जनता के भावनात्मक जुड़ाव और समर्थन का प्रतीक बन गया। जिस प्रकार से पटना की जनता सड़कों पर उमड़ पड़ी, वह बताता है कि देश के प्रधानमंत्री के लिए लोगों के दिलों में कितनी श्रद्धा और विश्वास है।
पटना का यह ऐतिहासिक नज़ारा आने वाले दिनों में न केवल चुनावी समीकरणों को प्रभावित कर सकता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि भारत की राजनीति अब सिर्फ नीतियों की नहीं, बल्कि जनता के दिलों को छू लेने वाली नेतृत्व शैली की राजनीति बन चुकी है।
अंत में बस इतना कहा जा सकता है – “पटना बोला, दिल से मोदी दोबारा!”