
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिहार दौरे से पहले पटना की सियासत अचानक गरमा गई है। राजधानी की दीवारों और सड़कों पर लगे लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) [LJP(R)] के पोस्टरों ने राजनीतिक हलचल तेज कर दी है। इस पोस्टर वॉर को लेकर एनडीए और विपक्ष दोनों खेमों में चर्चा का माहौल है। भाजपा, जदयू, लोजपा (रामविलास) और विपक्षी दल एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति कर रहे हैं। पीएम मोदी के आगमन से पहले इस तरह के विवादित पोस्टरों ने राजनीतिक पारा चढ़ा दिया है।
पोस्टर वॉर की शुरुआत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पटना आगमन से पूर्व शहर भर में LJP(R) कार्यकर्ताओं ने अपने नेता चिराग पासवान की तस्वीरों वाले बड़े-बड़े पोस्टर लगाए। इन पोस्टरों में चिराग पासवान को “बिहार का भविष्य” और “पीएम मोदी का सबसे भरोसेमंद साथी” बताया गया है। यही नहीं, कई पोस्टरों पर चिराग पासवान को प्रधानमंत्री मोदी के बाद बिहार की राजनीति का ‘मुख्य चेहरा’ करार दिया गया।
राजनीतिक गलियारों में इसे LJP(R) की रणनीति माना जा रहा है, जिससे पार्टी बिहार की सियासत में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
राजद (RJD) और कांग्रेस ने इस पोस्टर पॉलिटिक्स पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। राजद प्रवक्ता ने कहा, “यह सिर्फ चिराग पासवान की महत्वाकांक्षा है। बिहार की जनता जानती है कि असली मुद्दे रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य हैं। भाजपा और उसके सहयोगी मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए पोस्टरबाजी कर रहे हैं।”
कांग्रेस नेताओं ने भी आरोप लगाया कि पीएम मोदी के दौरे को लेकर एनडीए के घटक दल आपसी प्रतिस्पर्धा में उलझे हैं और जनता की समस्याओं से उनका कोई सरोकार नहीं है।
जदयू और भाजपा की स्थिति
जदयू नेताओं ने LJP(R) के पोस्टरों पर अप्रसन्नता जताई। उनका कहना है कि गठबंधन धर्म के तहत किसी भी सहयोगी दल को ऐसा आचरण नहीं करना चाहिए जिससे विवाद की स्थिति पैदा हो।
वहीं भाजपा के कई नेताओं ने इसे “कार्यकर्ताओं का उत्साह” करार दिया, लेकिन भीतरखाने चर्चा है कि चिराग पासवान अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत करने के लिए लगातार आक्रामक रुख अपना रहे हैं।
LJP(R) का पलटवार
LJP(R) नेताओं ने विपक्ष और जदयू की आलोचना पर पलटवार किया। पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि “चिराग पासवान ने हमेशा पीएम मोदी के नेतृत्व में काम करने की बात कही है। हमारे पोस्टरों में प्रधानमंत्री मोदी को ही केंद्र में रखा गया है। अगर किसी को चिराग पासवान की लोकप्रियता से परेशानी है तो यह उनकी राजनीतिक कमजोरी है।”
राजनीतिक विश्लेषकों की राय
विश्लेषकों का मानना है कि बिहार की राजनीति में पोस्टर वॉर कोई नई बात नहीं है। पहले भी चुनावी मौसम और बड़े नेताओं के दौरे से पहले राजनीतिक दल इस तरह के प्रचार हथकंडों का इस्तेमाल करते रहे हैं। लेकिन इस बार खास बात यह है कि एनडीए के भीतर ही सहयोगी दलों के बीच शक्ति प्रदर्शन का माहौल नजर आ रहा है।
पीएम मोदी के दौरे की अहमियत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह दौरा कई परियोजनाओं के शिलान्यास और उद्घाटन से जुड़ा है। उम्मीद की जा रही है कि वे पूर्णिया, भागलपुर और पटना में करोड़ों की योजनाओं का ऐलान करेंगे। ऐसे में उनका दौरा राजनीतिक और विकासात्मक दोनों दृष्टिकोण से अहम माना जा रहा है
जनता की राय
पटना की गलियों और चाय की दुकानों पर इस पोस्टर वॉर को लेकर खूब चर्चा हो रही है। कुछ लोग इसे सामान्य राजनीतिक प्रतिस्पर्धा मान रहे हैं, वहीं कुछ का कहना है कि “राजनेताओं को पोस्टर लगाने से ज्यादा जनता की समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए।”
पीएम मोदी के दौरे से पहले LJP(R) के पोस्टरों ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है। यह पोस्टर वॉर न सिर्फ विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच, बल्कि एनडीए के भीतर भी तनाव का कारण बनता दिख रहा है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस विवाद का असर बिहार की सियासत और एनडीए के समीकरणों पर कैसा पड़ता है।