
यह घटना उत्तर प्रदेश से है और पूरी तरह से एक फिल्मी कहानी जैसी लग रही है। एक सरकारी कर्मचारी की मौत के बाद उसके मृतक आश्रित के तहत नौकरी पाने को लेकर ऐसा विवाद खड़ा हो गया कि पुलिस भी उलझकर रह गई। आइए इस रहस्यमयी मामले की पूरी कहानी विस्तार से जानते हैं।
उत्तर प्रदेश के एक जिले में एक सरकारी कर्मचारी की अचानक मौत हो जाती है। परंपरागत प्रक्रिया के अनुसार मृतक आश्रित कोटे में परिवार का कोई सदस्य सरकारी नौकरी का पात्र बनता है। लेकिन जब आवेदन देने का समय आता है तो सामने आ जाती हैं दो महिलाएं। दोनों का दावा है कि वे मृतक की कानूनी पत्नी हैं और सरकारी नौकरी पाने का अधिकार उन्हीं को है।
पुलिस, प्रशासन और परिवार—सभी इस जटिल मामले में फंस जाते हैं। जहां एक तरफ पहली महिला अपने बच्चों के साथ पहुंची है और कह रही है कि वह विवाहिता पत्नी है, वहीं दूसरी महिला भी सारे सबूत लेकर आई है और जोर देकर कह रही है कि मृतक ने उसी से शादी की थी
कैसे हुआ विवाद की शुरुआत?
मृतक कर्मचारी की अचानक मौत के बाद परिवार को आर्थिक सहयोग के लिए मृतक आश्रित योजना के तहत नौकरी की प्रक्रिया शुरू हुई। जैसे ही आवेदन आमंत्रित हुए, दो महिलाओं ने आवेदन डाल दिया। दोनों ने शादी के कागजात, फोटो और गवाह पेश किए। मामला बढ़ते-बढ़ते पुलिस तक पहुंच गया।
जांच में सामने आया कि मृतक का पारिवारिक जीवन काफी उलझा हुआ था। उसने पहली शादी करीब 15 साल पहले की थी और उसी से बच्चे भी थे। लेकिन कुछ साल पहले वह दूसरी महिला के साथ भी रहने लगा और बाद में उससे भी शादी कर ली।
पुलिस की जांच में उलझन क्यों बढ़ी?
दोनों महिलाएं अपने-अपने पक्ष में दस्तावेज पेश कर रही थीं।
पहली महिला के पास शादी का प्रमाण पत्र और बच्चों के जन्म प्रमाण पत्र थे।
दूसरी महिला के पास भी निकाह/शादी रजिस्ट्रेशन और बैंक खाते से जुड़े दस्तावेज थे।
पुलिस ने जब जांच शुरू की तो पाया कि मृतक ने दोनों से अलग-अलग समय पर विवाह किया था। अब सवाल यह था कि कानूनी तौर पर पत्नी कौन है?
कानूनी पेच: कौन मानी जाएगी असली पत्नी?
भारतीय कानून के अनुसार पहली शादी के रहते दूसरी शादी अवैध मानी जाती है (यदि तलाक नहीं हुआ हो)। यदि मृतक ने पहली पत्नी को तलाक नहीं दिया था और दूसरी शादी कर ली, तो पहली पत्नी ही कानूनी तौर पर मान्य होगी।
लेकिन यहां दूसरा मोड़ आया। दूसरी महिला का कहना था कि मृतक ने पहली पत्नी से अलगाव कर लिया था और वह कई सालों से उसके साथ नहीं रह रहा था। उसने उसके साथ सामाजिक और पारिवारिक मान्यता के साथ शादी की थी।
परिवार और समाज में मचा हंगामा
जैसे ही यह मामला सामने आया, मृतक के रिश्तेदार और गांव वाले भी दो गुटों में बंट गए।
एक पक्ष पहली पत्नी को सही बता रहा था।
दूसरा पक्ष दूसरी पत्नी के साथ खड़ा था।
गांव में पंचायत बैठी लेकिन कोई निष्कर्ष नहीं निकला। मामला आखिरकार जिला प्रशासन और कोर्ट तक जाने की तैयारी में है।
सरकारी नौकरी पर अटकी नजर
इस पूरे विवाद का मूल कारण सरकारी नौकरी है। मृतक आश्रित के तहत जो नौकरी मिलनी है, वह परिवार के लिए बड़ी राहत बन सकती है। दोनों महिलाएं चाहती हैं कि नौकरी उन्हें मिले ताकि उनके बच्चे या परिवार सुरक्षित रह सकें।
पुलिस ने क्या कदम उठाया?
पुलिस ने दोनों पक्षों से लिखित बयान लिए हैं और विवाह से जुड़े सभी दस्तावेज कोर्ट में पेश करने को कहा है। फिलहाल जांच जारी है और अंतिम निर्णय प्रशासनिक स्तर पर होगा।
विशेषज्ञ की राय: कैसे सुलझेगा यह विवाद?
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि:
1. यदि पहली पत्नी को तलाक नहीं दिया गया था, तो वही वैध पत्नी होगी।
2. दूसरी पत्नी को वैधानिक अधिकार तभी मिल सकते हैं जब विवाह कानूनन मान्य हो।
3. कोर्ट बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखकर कुछ आर्थिक मुआवजा या सहारा दे सकता है।
ऐसे मामले क्यों बढ़ रहे हैं?
ऐसे विवाद अक्सर तब सामने आते हैं जब मृतक के जीवन में वैवाहिक जटिलताएं होती हैं। सरकारी नौकरी या मुआवजा पाने के लिए लोग अपने अधिकार जताने लगते हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि पारिवारिक विवादों और सामाजिक दवाबों के चलते ऐसे मामले आने वाले समय में और भी बढ़ सकते हैं।
रहस्य अब भी बरकरार
फिलहाल दोनों महिलाएं अपने-अपने दावे पर अड़ी हैं। पुलिस और प्रशासन भी इस मामले को लेकर गंभीर है। यह विवाद केवल एक नौकरी तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें परिवार, बच्चों का भविष्य और समाज की मानसिकता भी जुड़ी हुई है।