देवघर, झारखंड।
पितृपक्ष 2025 की शुरुआत आज से हो चुकी है और देवघर के शिवगंगा घाट पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। सनातन धर्म के इस महत्वपूर्ण पर्व में अपने पितरों को श्रद्धांजलि देने, तर्पण करने और जल अर्पित करने के लिए हजारों लोग पहुंचे। सुबह से ही घाट पर पूजा-पाठ, मंत्रोच्चारण और धार्मिक अनुष्ठानों का माहौल बना रहा।
पितृपक्ष का महत्व और परंपरा
हिंदू धर्म में पितृपक्ष को पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए समर्पित माना जाता है। यह अवधि हर वर्ष 15 दिनों तक चलती है। शास्त्रों के अनुसार, इस दौरान पितरों की आत्माएं पृथ्वी लोक पर आती हैं और अपने वंशजों के श्राद्ध, तर्पण और दान-पुण्य को स्वीकार करती हैं।
देवघर में पितृपक्ष की शुरुआत से तीन दिन पूर्व ऋषि तर्पण भी किया जाता है। यह ऋषि मुनियों को समर्पित होता है। पूर्णिमा के बाद से लेकर अमावस्या तक पितरों का तर्पण किया जाता है, जो इस वर्ष 8 सितंबर से शुरू होकर 22 सितंबर तक चलेगा।

शिवगंगा घाट का महत्व
देवघर स्थित शिवगंगा घाट को पवित्र स्नान और तर्पण के लिए बेहद शुभ माना जाता है। मान्यता है कि यहां किया गया तर्पण पितरों को तृप्त करता है और उनके आशीर्वाद से परिवार में सुख-समृद्धि आती है। इस बार पितृपक्ष की शुरुआत चंद्र ग्रहण के उपरांत हुई है, जिससे श्रद्धालुओं की आस्था और भी प्रबल हो गई है।
श्रद्धालुओं की भीड़ और प्रशासनिक तैयारी
आज सुबह से ही हजारों श्रद्धालु तर्पण के लिए घाट पर जुटे। प्रशासन ने सुरक्षा के लिए विशेष इंतजाम किए हैं। पुलिस बल की तैनाती, घाटों की सफाई और स्नान के लिए विशेष बैरिकेडिंग की गई है। नगर निगम द्वारा श्रद्धालुओं के लिए पेयजल, मोबाइल शौचालय और प्राथमिक चिकित्सा की व्यवस्था की गई।
पितृपक्ष में क्या करें और क्या न करें?
पितृपक्ष में लोग श्राद्ध कर्म, तर्पण और दान करते हैं। इस दौरान मांसाहार, नशा, झूठ और अपशब्दों का प्रयोग वर्जित माना जाता है। पितरों को जल अर्पण करते समय श्रद्धा और आस्था का होना अनिवार्य है। माना जाता है कि जो लोग इस अवधि में अपने पितरों को याद करते हैं, उनके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और सुख-समृद्धि का वास होता है।
पंडितों की राय
स्थानीय पंडितों का कहना है कि इस बार पितृपक्ष अत्यंत शुभ संयोग में प्रारंभ हुआ है। चंद्र ग्रहण के बाद स्नान और तर्पण करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलेगी और परिवार में आशीर्वाद की वर्षा होगी। उन्होंने बताया कि पितृपक्ष में तर्पण करते समय कुशा, तिल और जल का विशेष महत्व है।
देवघर क्यों है खास?
देवघर को बाबा बैद्यनाथ धाम के कारण विश्व प्रसिद्ध तीर्थस्थल माना जाता है। यहां शिवगंगा घाट की धार्मिक महत्ता हजारों वर्षों से बनी हुई है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, यहां किया गया पितृ तर्पण सीधा पितरों तक पहुंचता है।
पितृपक्ष सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर है। देवघर के शिवगंगा घाट पर आज से शुरू हुआ यह पर्व आने वाले 15 दिनों तक हजारों श्रद्धालुओं को आकर्षित करेगा।


