PK का बीजेपी पर हमला: अमित शाह से पूछा सवाल, ‘महाराष्ट्र में बिहारियों की पिटाई पर चुप क्यों?’

PK का बीजेपी पर हमला: अमित शाह से पूछा सवाल, ‘महाराष्ट्र में बिहारियों की पिटाई पर चुप क्यों?’

नई दिल्ली।चुनावी रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर (PK) ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया है कि महाराष्ट्र में बिहारियों पर हो रहे हमलों पर अमित शाह चुप हैं, जबकि भाजपा अन्य मुद्दों पर तुरंत प्रतिक्रिया देती है। साथ ही उन्होंने चुनाव आयोग पर भी सवाल उठाते हुए दावा किया कि गरीब, वंचित और मुस्लिम समुदाय के मतदाताओं का नाम मतदाता सूची से हटाने की साजिश की जा रही है।

प्रशांत किशोर ने यह बयान एक जनसभा में दिया, जहां उन्होंने भाजपा के शीर्ष नेतृत्व पर निशाना साधते हुए कहा, “महाराष्ट्र में बिहारियों की पिटाई हो रही है। अमित शाह जी हर बात पर बोलते हैं, लेकिन इस मसले पर एक शब्द नहीं बोले। क्या बिहारियों की कोई कीमत नहीं है?”

चुनाव आयोग पर भी गंभीर आरोप

PK ने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह चुनाव आयोग का इस्तेमाल करके देश में कमजोर और अल्पसंख्यक वर्गों को वोट देने के अधिकार से वंचित करना चाहती है। उन्होंने कहा,
“भाजपा के कहने पर चुनाव आयोग यहां के गरीब-वंचित और मुसलमानों का नाम मतदाता सूची से हटाने की कोशिश कर रहा है। लेकिन किसी को डरने की जरूरत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट आदेश है कि अगर आपके पास आधार कार्ड है, तो आपको वोट देने का अधिकार है। चुनाव आयोग किसी की नागरिकता तय नहीं कर सकता।”

उन्होंने यह भी कहा कि यह प्रक्रिया केवल कुछ राज्यों या समुदायों तक सीमित नहीं है, बल्कि एक सोची-समझी रणनीति के तहत की जा रही है ताकि विशेष वर्गों को लोकतांत्रिक प्रक्रिया से दूर रखा जा सके।

बिहार को लेकर भाजपा की नीयत पर सवाल

प्रशांत किशोर ने यह भी कहा कि भाजपा और उसके नेताओं को जब बिहार में वोट मांगना होता है, तब वे यहां की संस्कृति, गौरव और नागरिकों की तारीफ करते हैं। लेकिन जब बात बिहारियों पर हमलों की होती है, तो वही नेता चुप्पी साध लेते हैं।
“अगर बिहारियों की पिटाई दिल्ली या बंगाल में होती, तो भाजपा तुरंत प्रतिक्रिया देती, लेकिन महाराष्ट्र में हो रहा अन्याय इन्हें दिखता नहीं,” PK ने कहा।

सुप्रीम कोर्ट का हवाला

PK ने लोगों को आश्वस्त करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही साफ कर चुका है कि आधार कार्ड रखने वाला हर व्यक्ति वोट देने का अधिकारी है।
“नागरिकता का अधिकार सरकार तय नहीं करती। यह संविधान से मिलता है। चुनाव आयोग केवल यह देख सकता है कि व्यक्ति योग्य है या नहीं, लेकिन वह नागरिकता पर फैसला नहीं कर सकता,” उन्होंने कहा।

विपक्ष की रणनीति में PK की भूमिका

गौरतलब है कि प्रशांत किशोर कई विपक्षी दलों के लिए चुनावी रणनीति बना चुके हैं। वे हाल ही में ‘जन सुराज’ अभियान के तहत बिहार में सक्रिय हुए हैं और लगातार भाजपा के खिलाफ तीखा रुख अपना रहे हैं। उनके इस बयान को विपक्ष की ओर से आने वाले तेवरों की झलक माना जा रहा है, खासतौर पर जब 2025 में बिहार विधानसभा चुनाव और 2029 के लोकसभा चुनाव को लेकर तैयारियां शुरू हो चुकी हैं।

भाजपा की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं

प्रशांत किशोर के आरोपों पर भाजपा की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि आने वाले समय में भाजपा के प्रवक्ता या संबंधित नेता इस पर जवाब दे सकते हैं।

प्रशांत किशोर का यह हमला न केवल भाजपा की बिहार नीति पर सवाल उठाता है, बल्कि चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर भी गंभीर प्रश्न खड़ा करता है। अगर उनके दावे सही साबित होते हैं, तो यह भारतीय लोकतंत्र के लिए एक गंभीर चुनौती हो सकती है। हालांकि, अंतिम फैसला तो जनता के विवेक और न्यायपालिका की प्रक्रिया पर ही निर्भर करेगा।

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