बिहार में मुस्लिम वोटरों का रिमोट PK के हाथ: मुस्लिम हिस्सेदारी पर बड़ा दांव, वक्फ बनाम पसमांदा की राजनीति

बिहार में मुस्लिम वोटरों का रिमोट PK के हाथ: मुस्लिम हिस्सेदारी पर बड़ा दांव, वक्फ बनाम पसमांदा की राजनीति

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारी के बीच, मुस्लिम वोटरों की भूमिका एक निर्णायक मोर्चा खड़ा कर रही है। राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर (PK) ने मुस्लिम समाज में ‘हिस्सेदारी के अनुसार टिकट’ का मंत्र देकर नया राजनीतिक समीकरण गढ़ दिया है, जिस पर अब सभी दलों की नजर है।

1. बिहार में मुसलमानों की राजनीतिक ताकत

बिहार में मुस्लिम आबादी लगभग 17.7 फीसदी है, जो राजनीतिक तौर पर एक बड़ा और असरदार समूह है ।

243 विधानसभा सीटों में से करीब 47 सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं (मुस्लिम आबादी 20-40% या उससे अधिक) ।

इनमें से 11 सीटों पर मुस्लिम आबादी 40% से अधिक है, और 7 सीटों पर 30% से अधिक ।

2. PK का ‘हिस्सेदारी’ वाला राजनीतिक दांव

प्रशांत किशोर ने कहा है कि मुस्लिम जातीयता के अनुसार यानी “जिसकी जितनी भागीदारी, उसी को उतनी हिस्सेदारी” की नीति पर चुनावी टिकट दिए जाएंगे; अनुमान है कि लगभग 42 सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतार सकते हैं ।

उनका यह एलान न सिर्फ AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की मुस्लिम सियासत को चुनौती है, बल्कि PK खुद एक “चौथा मोर्चा” बनाकर मुस्लिम वोटरों को आकर्षित करना चाहते हैं ।

3. ओवैसी और AIMIM की चुनौती

AIMIM — असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी — बिहार में तीसरे मोर्चे का गठन कर रही है, और लगभग 100 सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बना रही है ।

यह रणनीति RJD को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाने की संभावना रखती है, क्योंकि दोनों दल मुस्लिम वोटरों को साधने की कोशिश कर रहे हैं ।

4. बीजेपी का पसमांदा रणनीति

बीजेपी ने ‘वक्फ’ विषय को राजनीतिक मुद्दा बनाकर विपक्ष की पकड़ कमजोर करने का प्रयास किया है, खासकर विपक्षी दलों के वक्फ़ विरोधी रैली से जुड़ाव के ज़रिये ।

साथ ही, पार्टी ने ‘पसमांदा मिलन समारोह’ आयोजित कर पसमांदा मुस्लिम समाज (OBC मुसलमान) को साधने की कवायद की है ।

बीजेपी का मानना है कि पसमांदा मुसलमान अब तक पिछड़े रह गए हैं और उन्हें हिस्सेदारी की बोली देने का समय है ।

5. MY-वोट बैंक से Luv-Kush समीकरण तक

लालू यादव का परंपरागत “MY समीकरण” (मुस्लिम-यादव वोट बैंक) बिहार में लंबे समय तक प्रभावी रहा ।

लेकिन अब नीतीश कुमार-बीजेपी गठबंधन ने इस समीकरण को तोड़ते हुए खुद को सुशासन और विकास-मुखी नेता के रूप में स्थापित किया है ।

इसने लालू की पकड़ को कमजोर किया और बिहार की राजनीतिक तस्वीर बदल दी है ।

6. PK की सार्वजनिक रणनीतिक बयानबाज़ियाँ

किशनगंज से PK ने राष्‍ट्रीय जनता दल (RJD) और लालू यादव पर हमला किया, कहा कि पिछले 30 सालों में उन्होंने मुस्लिमों के लिए कुछ ठोस नहीं किया, सिर्फ भय के आधार पर वोट बटोरते रहे ।

वैशाली में उन्होंने जनता से अपील की कि वे “अपने बच्चों के भविष्य को देखें” और लालू की राजनीति से सीखें कि कैसे बच्चों की भलाई की चिंता करनी चाहिए ।

PK को LJP (RV) प्रमुख चिराग पासवान ने हाल ही में बिहार के लिए किये गए ईमानदार प्रयासों के लिए सराहा है — यह राज्य की राजनीति में शानदार मोड़ हो सकता है ।

7. मुस्लिम वोटरों पर सियासी दलों की टक्कर

राजनीतिक मोर्चा रणनीति का सारांश

PK / Jan Suraaj मुस्लिम हिस्सेदारी के अनुसार टिकट, मुस्लिम नेताओं को जोड़ना, चौथा मोर्चा निर्माण
AIMIM (ओवैसी) सीमांचल में पहले ही स्थिति मजबूत, तीसरा मोर्चा बनाने की कवायद
RJD / महागठबंधन पारंपरिक MY समीकरण, वक्फ बिल के विरोध से मुस्लिम समर्थन खींचना
BJP / NDA पसमांदा मुसलमानों पर ध्यान, वक्फ मुद्दे से मुस्लिम समाज में विभाजन

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में मुस्लिम वोट बैंक का रिमोट अब प्रशांत किशोर (PK), ओवैसी, महागठबंधन, और बीजेपी — सबकी रणनीतियों में केंद्र में है।
PK का “हिस्सेदारी” वाला मॉडल नए राजनीतिक एजेंडा को जन्म दे रहा है। AIMIM की सीमांचल में पकड़, वक्फ-पसमांदा संघर्ष, और जातीय समीकरणों में बदलाव, सभी मिलकर चुनाव के समीकरण को और अधिक दिलचस्प बना रहे हैं।

इस बीच मुस्लिम वोटरों का भविष्य और बिहार की राजनीति की दिशा दोनों पर इन चालों का निर्धारणात्मक प्रभाव रहेगा।

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