श्री संस्थान गोकर्ण पर्तगाली जीवोत्कम मठ में शुक्रवार, 28 नवंबर को इतिहास रच देने वाली एक महत्वपूर्ण घटना घटी। इस दिन भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भगवान श्रीराम की 77 फुट ऊँची भव्य कांस्य प्रतिमा का अनावरण किया। यह प्रतिमा न केवल अपनी विशालता के कारण विशेष है, बल्कि यह भारत की आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और वैदिक परंपरा का प्रतीक मानी जा रही है। इस अवसर पर मठ परिसर में देशभर से आए साधु-संत, भक्त और स्थानीय लोगों की बड़ी संख्या मौजूद रही।

77 फुट की भगवान राम प्रतिमा का महत्व
गोकर्ण पर्तगली मठ में स्थापित की गई भगवान राम की यह प्रतिमा शिल्पकला और धार्मिक भावनाओं का अद्भुत संगम है। कांस्य धातु से निर्मित यह प्रतिमा भक्तों को मर्यादा पुरुषोत्तम राम के आदर्शों, त्याग और सदाचारी जीवन की याद दिलाती है। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा किए गए इसके अनावरण को मठ की 500 वर्षों पुरानी ऐतिहासिक विरासत में एक नया अध्याय माना जा रहा है।
गोकर्ण पर्तगली मठ का इतिहास
गोकर्ण और गोवा के बीच स्थित यह मठ दक्षिण भारत के वैष्णव संप्रदाय के प्रमुख आध्यात्मिक केंद्रों में से एक है। इसकी स्थापना 1476 में जीवोत्कम स्वामी द्वारा की गई थी। यह मठ दत्तात्रेय परंपरा, वैदिक शिक्षाओं, आध्यात्मिक साधना और भारतीय संस्कृति के संरक्षण के लिए प्रसिद्ध है।
मठ का प्रमुख उद्देश्य वेद-शास्त्रों का प्रचार, समाज सेवा, नैतिक शिक्षा और धार्मिक अनुष्ठानों का संचालन करना है। सदियों से यह स्थान साधकों, भक्तों और विद्वानों के लिए ज्ञान और अध्यात्म का प्रमुख केंद्र रहा है।
इस मठ का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
यह मठ दत्त संप्रदाय से जुड़ा है, और यहाँ वर्षों से गुरु-शिष्य परंपरा को संरक्षित किया जाता रहा है। मठ में आयोजित होने वाली पूजन विधियाँ, यज्ञ, अनुष्ठान और धार्मिक पर्व बड़ी धूमधाम से मनाए जाते हैं।
गोकर्ण पर्तगली मठ न केवल एक तीर्थस्थल है बल्कि यह कला, संस्कृति और आध्यात्मिकता का संगम है। मठ की वास्तुकला, मूर्तियाँ और प्राचीन ग्रंथों का संग्रह इसकी समृद्ध विरासत को दर्शाता है।
पीएम मोदी के दौरे का मठ पर प्रभाव
प्रधानमंत्री मोदी के आगमन से मठ का महत्व और अधिक बढ़ गया है। राम प्रतिमा के अनावरण के बाद यह स्थल देशभर के भक्तों और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनता जा रहा है। इससे गोकर्ण क्षेत्र में धार्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा मिलने की संभावना है।
क्या बनाता है इस मठ को खास?
500 से अधिक वर्ष पुराना विरासत केंद्र
दत्तात्रेय और वैष्णव परंपरा का प्रमुख संस्थान
आध्यात्मिक शिक्षा, संस्कृति और वेद ज्ञान का संरक्षण
गुरु-शिष्य परंपरा का जीवंत उदाहरण
विशाल राम प्रतिमा के कारण नई पहचान
यह मठ भारतीय संस्कृति के उन पवित्र स्थलों में से है जहां भारत की आध्यात्मिक धरोहर आज भी जीवंत रूप में दिखाई देती है।
