
प्रधानमंत्री मोदी की चीन यात्रा: अगस्त 31 से, SCO शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे
नई दिल्ली, 6 अगस्त 2025 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2025 के 25वें शिखर सम्मेलन (25th Heads of State Council Meeting) में हिस्सा लेने के लिए चीन के तियानजिन शहर का दौरा करेंगे, जो 31 अगस्त से 1 सितंबर तक आयोजित होगा । यह उनका चीन का पहला औपचारिक दौरा होगा जून 2020 में गलवान घाटी संघर्ष के बाद, जो भारत–चीन संबंधों में एक महत्वपूर्ण विभाजन बिंदु था ।
इस यात्रा के दौरान ही प्रधानमंत्री मोदी SCO (शंघाई सहयोग संगठन) की वार्षिक बैठक में शामिल होंगे, जहाँ क्षेत्रीय सुरक्षा, आतंकवाद‑रोधी रणनीति, व्यापार एवं ऊर्जा पर व्यापक बातचीत होने की संभावना है । इस वर्ष चीन SCO का अध्यक्ष देश है और उसने इस सम्मेलन की मेजबानी पहले भी चार बार की है; तियानजिन में आयोजित यह पांचवां सम्मेलन होगा।
दो‑चरणीय यात्रा: जापान और चीन
सूत्रों की जानकारी के अनुसार, पीएम मोदी की यात्रा पहले जापान की ओर शुरू होगी, जहाँ वह अपने जापानी समकक्ष के साथ वार्षिक वार्ता करेंगे । इस वार्ता में दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी, व्यापार एवं क्षेत्रीय स्थिरता जैसे महत्वपूर्ण विषय शामिल होंगे। जापान की यात्रा के बाद ही वह 31 अगस्त को तियानजिन, चीन पहुंचेंगे और SCO समिट में शामिल होंगे ।
इसके अलावा, यह द्विपक्षीय यात्रा अमेरिका‑चीन के बीच जारी टैरिफ युद्ध के समय में हो रही है, जिसे देखते हुए भारत द्वारा अपने बहुपक्षीय कूटनीतिक दृष्टिकोण को और अधिक सुदृढ़ करने की पहल की जा रही है ।
संबंधों का पुनर्निर्माण: पृष्ठभूमि महत्वपूर्ण
गलवान संघर्ष (जून 2020) के बाद भारत–चीन सीमा पर तनाव गहरा गया था। दोनों देशों के बीच सैनिक मुकाबला हुआ और भारत ने अपने योगदानों में कटौती कर दी थी। इस दौरे के रूप में मोदी का चीन आना, सीमा पर भरोसा पुनः बहाल करने का एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है ।
अक्टूबर 2024 में, रूसी BRICS सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की अनौपचारिक मुलाकात हुई थी, जिसके बाद सीमा‑प्रबंधन व बातचीत पर फिर से गति आई थी ।
जुलाई 2025 में, भारत ने चीन के लिए पर्यटन वीज़ा फिर से शुरू किए। यह पांच वर्षों के विराम के बाद की पहल थी, जिसे दोनों देशों ने द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना ।
– उसी माह, रक्षा मंत्री अजयशंकर और राजनाथ सिंह ने चीन दौरे पर रहते हुए सीमा विवाद एवं आतंकवाद-केंद्रित मुद्दों पर बातचीत की। राजनाथ सिंह ने Qingdao में SCO रक्षा मंत्रियों की बैठक में आतंकवाद को लेकर असहमति जताई और पी‑हलगाम हमला जैसे मामलों का उल्लेख किया था ।
SCO समिट का महत्व और एजेंडा
1. क्षेत्रीय सुरक्षा एवं आतंकवाद‑रोधी रणनीति: SCO की आधारशिला “तीन बुराइयों” – आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद के उन्मूलन – पर बनी है, और भारत इस मंच पर इन विषयों पर स्पष्ट मुद्रा अपनाएगा ।
2. आर्थिक सहयोग व व्यापार वृद्धि: भारत–चीन व्यापार विकास, ऊर्जा सहयोग तथा क्षेत्रीय आर्थिक परियोजनाओं पर चर्चा की संभावना रहेगी, विशेषकर BRICS और SCO के भीतर आर्थिक समन्वय को बढ़ावा देने हेतु ।
3. राष्ट्राध्यक्षों व प्रधान मंत्रियों की द्विपक्षीय मुलाकातें: सम्मेलन दौरान संभवतः पीएम मोदी की रूस के राष्ट्रपति पुतिन व चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से असाधारण बैठकें हो सकती हैं, जिसमें द्विपक्षीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों की समीक्षा हो सकती है ।
4. SCO सदस्यता व विस्तार पर दृष्टिकोण: भारत तुर्की और अज़रबैजान की सदस्यता पर कुछ संदेह व्यक्त कर चुका है, विशेषकर Operation Sindoor के संदर्भ में इन देशों द्वारा पाकिस्तान के समर्थन के कारण। यह विषय भी विमर्श का हिस्सा हो सकता है ।
भारत‑चीन यात्रा का संभावित प्रभाव
क्षेत्र संभावित प्रभाव
राजनयिक रिश्ते सीमा तनाव का समापन व विश्वसनीयता का पुनरुद्धार
व्यापार एवं निवेश निवेश के नए अवसर और भारत–चीन आर्थिक संबंधों में सुधार
क्षेत्रीय सुरक्षा आतंकवाद व उग्रवाद के खिलाफ संयुक्त रणनीति सुदृढ
बहुपक्षीय कूटनीति भारत की Indo‑Pacific रणनीति में चीन व जापान दोनों के साथ तालमेल
इस यात्रा से भारत की वैश्विक कूटनीतिक स्थिति और क्षेत्रीय संवाद में एक संतुलित एवं सकारात्मक बदलाव की उम्मीद की जा रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह यात्रा न केवल भारत‑चीन रिश्तों के बेहतर भविष्य के लिए एक सकारात्मक मोड़ है, बल्कि क्षेत्रीय साझेदारी, आर्थिक सहयोग, और सुरक्षा सहभागिता को भी नई ऊर्जा प्रदान कर सकती है। 31 अगस्त से आयोजित SCO की वार्षिक बैठक में भारत की भागीदारी, क्षेत्रीय स्थिरता की दिशा में एक सशक्त संदेश देगा।