
मध्य प्रदेश में सोशल मीडिया की ताकत: लीला साहू की मुहिम लाई रंग, वायरल वीडियो के बाद गांव में शुरू हुआ सड़क निर्माण
भोपाल/बलरामपुर, मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव से शुरू हुई एक महिला की आवाज अब पूरे राज्य में बदलाव की मिसाल बन गई है। सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर और जनहित की पैरोकार लीला साहू की लगातार कोशिशों का असर आखिरकार सामने आया है। एक गर्भवती महिला के वीडियो को वायरल करने के बाद जिस सड़क की मांग लीला बीते एक साल से कर रही थीं, उसका निर्माण कार्य अब शुरू हो गया है।
गर्भवती महिला को ले जाने के लिए नहीं थी सड़क। यह मामला बलरामपुर जिले के एक ग्रामीण क्षेत्र से जुड़ा है, जहां सुविधाओं की भारी कमी वर्षों से लोगों की परेशानी का कारण बनी हुई थी। गांव तक कोई पक्की सड़क नहीं थी, जिससे ग्रामीणों को अस्पताल, स्कूल या किसी जरूरी स्थान तक पहुंचने में घंटों लग जाते थे।
इसी गांव में एक दिन गर्भवती महिला को अस्पताल ले जाने की स्थिति आ गई, लेकिन एंबुलेंस गांव तक नहीं पहुंच सकी। महिला को चारपाई पर रखकर कीचड़ और उबड़-खाबड़ रास्तों से कई किलोमीटर दूर अस्पताल पहुंचाया गया। यह घटना लीला साहू के लिए सहन करना मुश्किल था। उन्होंने इसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर साझा किया, जिसमें उन्होंने सरकार और प्रशासन से सवाल पूछे कि आखिर कब तक ग्रामीण महिलाएं ऐसे हालातों से जूझती रहेंगी?
सोशल मीडिया की गूंज पहुंची सरकार तक
लीला साहू ने वीडियो के साथ भावुक अपील की थी – “यह सिर्फ सड़क नहीं, गांव की जिंदगी की ज़रूरत है। अगर सड़क होती तो समय रहते इलाज हो सकता।” यह वीडियो कुछ ही दिनों में हजारों बार देखा गया। प्रदेश के तमाम मीडिया चैनलों और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर यह मुद्दा छा गया।
वीडियो के वायरल होने के बाद ना सिर्फ स्थानीय प्रशासन हरकत में आया, बल्कि राज्य सरकार के स्तर पर भी तुरंत प्रतिक्रिया देखने को मिली। अधिकारियों ने खुद गांव का दौरा किया और स्थिति का जायजा लिया।
एक साल की लड़ाई के बाद मिली सफलता
लीला साहू पिछले एक साल से इस सड़क की मांग को लेकर प्रयासरत थीं। कई बार उन्होंने तहसील कार्यालय, जनसुनवाई और जिला कलेक्टर के पास जाकर ज्ञापन सौंपा, लेकिन हर बार आश्वासन मिलते रहे। मगर जब उन्होंने सोशल मीडिया का सहारा लिया और अपनी बात पूरे देश के सामने रखी, तब जाकर उनकी लड़ाई को ताकत मिली।
अब, निर्माण एजेंसी द्वारा सड़क बनाने का कार्य शुरू कर दिया गया है और अगले 3 महीनों में इसे पूरी तरह तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है।
लीला साहू: एक आम महिला, एक असाधारण प्रेरणा
लीला साहू खुद किसी बड़े शहर की रहने वाली नहीं हैं। वह इसी गांव की रहने वाली हैं और बीते कुछ वर्षों से सोशल मीडिया पर जनसरोकारों से जुड़े मुद्दे उठाती रही हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला अधिकार, और गांव की मूलभूत सुविधाएं – इनके वीडियो में हमेशा आम जन की समस्याएं रही हैं।
इस मामले में उन्होंने न केवल समस्या को उजागर किया, बल्कि समाधान की दिशा में ठोस कदम भी उठाए। लीला का कहना है, “मैंने यह लड़ाई अपने लिए नहीं, गांव की हर उस महिला के लिए लड़ी है जो सड़क न होने के कारण समय पर इलाज नहीं पा सकी।”
राजनीतिक प्रतिक्रिया और भविष्य की उम्मीद
इस घटना के बाद राज्य सरकार की ओर से बयान आया है कि “हर गांव तक सड़क पहुंचाना प्राथमिकता है, और सोशल मीडिया के जरिए आई शिकायतों पर भी गंभीरता से काम किया जा रहा है।”
वहीं, विपक्ष ने भी सवाल उठाए कि अगर पहले से ही सड़क की मांग हो रही थी, तो कार्रवाई इतनी देर से क्यों हुई?
ग्रामीणों की प्रतिक्रिया
गांव के लोगों में अब उम्मीद की किरण नजर आ रही है। एक ग्रामीण बुजुर्ग ने कहा, “लीला बिटिया ने जो कर दिखाया, वह कोई अफसर या नेता नहीं कर सका।” बच्चों को स्कूल जाने में सुविधा होगी, महिलाओं को समय पर अस्पताल पहुंचाया जा सकेगा, और गांव की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी।
लीला साहू की कहानी यह दिखाती है कि सोशल मीडिया महज एक मंच नहीं, बल्कि बदलाव का सशक्त औजार बन चुका है। जहां प्रशासनिक तंत्र सुस्त नजर आता है, वहां अब आम नागरिकों की आवाज सीधे सरकार तक पहुंच सकती है। यह घटना न केवल एक सड़क निर्माण की शुरुआत है, बल्कि ग्रामीण भारत की महिलाओं के आत्मविश्वास और जज़्बे की गूंज भी है।