
Pradosh Kaal Time Today 19 September 2025: आज आश्विन कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि और शुक्रवार का दिन है। इस दिन शुक्र प्रदोष व्रत रखा जाता है। हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का अत्यधिक महत्व माना जाता है। खासकर शुक्रवार के दिन पड़ने वाला यह व्रत विवाह योग्य युवाओं और वैवाहिक जीवन में सुख-शांति चाहने वालों के लिए बहुत लाभकारी माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु पूरे नियम और विधि-विधान के साथ इस व्रत को करता है, उसके जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं और घर-परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है।
प्रदोष व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा का विधान है। शुक्र प्रदोष व्रत को करने से न केवल शुक्र ग्रह मजबूत होते हैं, बल्कि वैवाहिक जीवन में मधुरता और आर्थिक समृद्धि भी प्राप्त होती है। इस दिन प्रदोष काल में पूजा करने का विशेष महत्व है क्योंकि इस समय भगवान शिव की उपासना सबसे फलदायी मानी जाती है।
शुक्र प्रदोष व्रत का महत्व
धार्मिक मान्यता के अनुसार प्रदोष व्रत करने से पापों का नाश होता है और व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इस व्रत को करने वाले श्रद्धालु को भगवान शिव और माता पार्वती का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। शुक्र प्रदोष व्रत रखने से विवाह में आने वाली अड़चनें दूर होती हैं और पति-पत्नी के बीच प्रेम और सामंजस्य बढ़ता है।
आज का प्रदोष काल समय
19 सितंबर 2025 को प्रदोष काल शाम 6 बजकर 21 मिनट से शुरू होकर रात 8 बजकर 43 मिनट तक रहेगा। इस दौरान किए गए व्रत और पूजन का फल अत्यधिक शुभकारी होता है।
पूजा विधि
शुक्र प्रदोष व्रत पर श्रद्धालु पूरे दिन व्रत रखते हैं और संध्या के समय प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करते हैं। शिवलिंग पर जल, दूध, शहद और बेलपत्र चढ़ाए जाते हैं। माता पार्वती की आराधना भी इस दिन आवश्यक मानी जाती है। मंत्र जाप और शिव चालीसा का पाठ करने से विशेष फल मिलता है।
शुभ फल
इस व्रत को करने से वैवाहिक जीवन में खुशियां आती हैं, संतान सुख की प्राप्ति होती है और घर-परिवार की समस्याएं दूर होती हैं। शुक्र ग्रह के दोष भी समाप्त होते हैं और व्यक्ति को धन-समृद्धि के साथ समाज में मान-सम्मान प्राप्त होता है।
यह जानकारी धार्मिक आस्थाओं और मान्यताओं पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल सामान्य जानकारी देना है। किसी भी प्रकार की पूजा या व्रत करने से पहले योग्य आचार्य या विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।