राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा मंजूर कर किया

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा मंजूर कर किया

नई दिल्ली। देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, जिसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने औपचारिक रूप से स्वीकार कर लिया है। इस अप्रत्याशित घटनाक्रम ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए धनखड़ ने अपना त्यागपत्र राष्ट्रपति को सौंपा, जिसके बाद यह खबर सामने आई।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पर तुरंत प्रतिक्रिया दी। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए प्रधानमंत्री ने उपराष्ट्रपति धनखड़ के स्वास्थ्य को लेकर चिंता जताई और उनके बेहतर स्वास्थ्य की कामना की। उन्होंने लिखा, “जगदीप जी के इस्तीफे की खबर से मन व्यथित है। उन्होंने अपने कार्यकाल में गरिमा और समर्पण के साथ राष्ट्र की सेवा की है। उनके अच्छे स्वास्थ्य और शीघ्र स्वस्थ होने की ईश्वर से प्रार्थना करता हूं।”

धनखड़ का इस्तीफा ऐसे समय पर आया है जब देश में राजनीतिक तापमान ऊंचा है। ऐसे में यह फैसला कई सवालों को जन्म दे रहा है। हालांकि, उनके इस्तीफे के पीछे मुख्य रूप से स्वास्थ्य कारणों का उल्लेख किया गया है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में इस पर तरह-तरह की अटकलें भी लगाई जा रही हैं।

कार्यकाल की उपलब्धियां

जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण और यादगार क्षण दिए। अपने स्पष्ट विचारों और संवैधानिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता के लिए वे पहचाने जाते रहे। राज्यसभा की कार्यवाही को अनुशासित और मर्यादित बनाए रखने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई। संसद के मानसून सत्रों के दौरान विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच उत्पन्न तनावपूर्ण परिस्थितियों को उन्होंने शांतिपूर्ण और संवैधानिक तरीके से संभाला।

उन्होंने हमेशा लोकतंत्र की गरिमा बनाए रखने की अपील की और जनहित के मुद्दों पर संवाद को प्राथमिकता दी। सत्रों के दौरान उनके द्वारा की गई टिप्पणियां और हस्तक्षेप कई बार मीडिया की सुर्खियां बने।

प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिक्रिया: संवेदनशीलता या औपचारिकता?

प्रधानमंत्री मोदी की ओर से आया यह बयान काफी भावनात्मक और सम्मानजनक माना जा रहा है। सोशल मीडिया पर लोगों ने इस पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं दी हैं। कुछ लोगों ने इसे संवेदनशील और सहानुभूतिपूर्ण बताया, वहीं कुछ ने इसे एक औपचारिक प्रतिक्रिया करार दिया।

कुछ विश्लेषकों का मानना है कि प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति के बीच एक आत्मीय रिश्ता था, जो इस बयान में झलकता है। वहीं, कुछ आलोचकों का कहना है कि इस्तीफे जैसे संवेदनशील मामले में सरकार को ज्यादा पारदर्शिता दिखानी चाहिए थी।

संभावित उत्तराधिकारी की चर्चा शुरू

धनखड़ के इस्तीफे के बाद अब यह सवाल उठने लगा है कि अगला उपराष्ट्रपति कौन होगा। हालांकि सरकार की ओर से इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अगले कुछ हफ्तों में नामांकन प्रक्रिया शुरू हो सकती है। संभावना जताई जा रही है कि सरकार किसी ऐसे व्यक्ति को आगे लाना चाहेगी जो न केवल राजनीतिक दृष्टिकोण से विश्वसनीय हो, बल्कि संवैधानिक मर्यादाओं का भी पूरी निष्ठा से पालन कर सके।

राजनीतिक हलचल और प्रतिक्रियाएं

विपक्षी दलों ने भी इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रियाएं देना शुरू कर दिया है। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, “उपराष्ट्रपति के इस्तीफे की खबर चौंकाने वाली है। हम उनके स्वास्थ्य की कामना करते हैं और उनके योगदान को नमन करते हैं।” वहीं, तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी जैसे दलों ने भी इस पर शोक जताया और धनखड़ के कार्यकाल की सराहना की।

जनता की प्रतिक्रिया

सोशल मीडिया पर जनता की राय कई रंगों में सामने आ रही है। किसी ने इसे एक आदर्श विदाई करार दिया तो किसी ने कहा कि देश को ऐसे अनुभवी नेताओं की और जरूरत है।

एक ऑनलाइन पोल में लोगों से पूछा गया — “उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर पीएम मोदी के बयान पर आपकी क्या राय है?”

धनखड़ का इस्तीफा एक युग का अंत है, जिसमें उन्होंने गरिमा, निष्पक्षता और संवैधानिक मूल्यों के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया। अब राष्ट्र को एक नए उपराष्ट्रपति की प्रतीक्षा है, जो उसी प्रतिबद्धता और गंभीरता के साथ जिम्मेदारियां निभा सके। प्रधानमंत्री मोदी की संवेदनशील प्रतिक्रिया ने उनके और धनखड़ के बीच के रिश्ते की गहराई को उजागर किया है।

आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस संवैधानिक पद के लिए अगला चेहरा कौन होगा और वह देश की लोकतांत्रिक यात्रा को कैसे आगे बढ़ाएगा।

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