
प्रधानमंत्री मोदी का ममता सरकार पर हमला: बंगाल की सियासत में गरमाया विकास बनाम विफलता का मुद्दा
दुर्गापुर से विशेष रिपोर्ट
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर में एक विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए राज्य की तृणमूल कांग्रेस सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने ममता बनर्जी सरकार को विभिन्न मोर्चों पर विफल बताते हुए “बंगाल की जनता के साथ विश्वासघात” का आरोप लगाया। पीएम मोदी ने अपने भाषण में खासकर बेरोजगारी, पलायन, महिला सुरक्षा, और निवेश की कमी जैसे मुद्दों को प्रमुखता से उठाया। यह बयान ऐसे समय में आया है जब राज्य में राजनीतिक हलचल और आगामी चुनावों को लेकर माहौल गरम है।
पलायन का मुद्दा: युवाओं के लिए संकट या विपक्षी एजेंडा?
पीएम मोदी ने दावा किया कि बंगाल के लाखों युवा अन्य राज्यों में रोज़गार की तलाश में पलायन कर रहे हैं। उन्होंने सवाल किया कि जब राज्य में इतनी योजनाएं चल रही हैं, तब स्थानीय युवाओं को बाहर क्यों जाना पड़ रहा है
राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (NSSO) और कई स्वतंत्र रिपोर्टों के अनुसार, बंगाल से बिहार, महाराष्ट्र, दिल्ली और पंजाब जैसे राज्यों में श्रमिकों का पलायन वर्षों से होता आया है। हालांकि, राज्य सरकार का दावा है कि उसने ‘दुआरे रोजगार’, ‘उत्कर्ष बंगला’ जैसी योजनाओं के जरिए लाखों लोगों को स्थानीय स्तर पर रोजगार दिया है। पलायन की मुख्य वजह कुशल रोजगार के अवसरों की कमी मानी जाती है।
प्रधानमंत्री ने आरोप लगाया कि बंगाल की सरकार बेरोजगारी पर नियंत्रण नहीं कर पा रही है और युवा हताश हैं।
तथ्य यह कहते हैं कि सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के मुताबिक, बंगाल की बेरोजगारी दर 2023-24 के दौरान राष्ट्रीय औसत से कई बार कम रही है। लेकिन यह भी सच है कि राज्य में संगठित क्षेत्र में नौकरी के अवसर अपेक्षाकृत सीमित हैं। अधिकांश रोजगार असंगठित या पारंपरिक क्षेत्रों में केंद्रित है, जिससे स्थिर करियर विकल्पों की कमी बनी रहती है।
महिला सुरक्षा पर उठे सवाल: कितनी गंभीर है स्थिति?
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि बंगाल में महिलाएं सुरक्षित महसूस नहीं करतीं और अपराध की घटनाएं बढ़ रही हैं। उन्होंने हाल की घटनाओं का हवाला देते हुए यह भी कहा कि पीड़ितों को न्याय मिलने में देरी हो रही है।
हालांकि, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार, बंगाल में महिलाओं के खिलाफ अपराध की संख्या जरूर अधिक है, लेकिन यह राज्य की बड़ी आबादी और रिपोर्टिंग संस्कृति से भी जुड़ा है।
ममता बनर्जी सरकार की ‘कन्याश्री योजना’ को संयुक्त राष्ट्र और यूनिसेफ जैसे संस्थानों से भी मान्यता मिली है, जिससे यह भी जाहिर होता है कि राज्य महिला सशक्तिकरण की दिशा में प्रयासरत है। निवेश और औद्योगिक विकास की राजनीति
पीएम मोदी ने यह भी आरोप लगाया कि बंगाल में औद्योगिक विकास की गति रुकी हुई है और ममता सरकार निवेशकों के लिए अनुकूल माहौल नहीं बना पाई है।
दरअसल, बंगाल में टाटा नैनो प्रोजेक्ट का सिंगूर विवाद और अन्य औद्योगिक परियोजनाओं में देरी को लेकर निवेशकों की हिचकचाहट देखी गई है।
लेकिन 2022 में आयोजित ‘बंगाल ग्लोबल बिजनेस समिट’ में राज्य को 3 लाख करोड़ से अधिक के निवेश प्रस्ताव मिले थे। इन प्रस्तावों का भविष्य में कितना प्रभाव पड़ेगा, यह देखने की बात है। राजनीतिक संदर्भ और मतदाताओं की भूमिका
प्रधानमंत्री के इस भाषण को विशुद्ध रूप से चुनावी रणनीति के तौर पर भी देखा जा रहा है। बंगाल में बीजेपी लगातार तृणमूल के गढ़ में सेंध लगाने की कोशिश में है। वर्ष 2021 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने तृणमूल को कड़ी टक्कर दी थी, हालांकि सत्ता ममता बनर्जी के पास ही रही।
राज्य की जनता के सामने अब दो सवाल हैं: क्या वे केंद्र सरकार के आरोपों को वास्तविक मानते हैं?
या वे ममता सरकार के सामाजिक योजनाओं और महिला-गरीब केंद्रित नीतियों पर भरोसा रखते हैं?
आरोपों के बीच जनता को तय करनी है दिशा
प्रधानमंत्री मोदी का भाषण निश्चित रूप से बंगाल की राजनीति में नई बहसों को जन्म देगा। पलायन, बेरोजगारी और महिला सुरक्षा जैसे विषय आम जनता के लिए रोज़मर्रा के मुद्दे हैं, जिन पर हर सरकार की जवाबदेही बनती है। अब यह बंगाल की जनता पर है कि वह किस पर विश्वास जताती है — आरोप लगाने वाले प्रधानमंत्री पर या जवाब देने वाली मुख्यमंत्री पर।
राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप तो चलते रहेंगे, लेकिन जनता का अनुभव, रोज़गार की स्थिति, और सामाजिक सुरक्षा ही असली कसौटी होंगे, जिन पर अगले चुनाव की दिशा तय होगी।