
पंजाब में बाढ़ की विभीषिका बढ़ती जा रही है, क्योंकि राज्य का प्रतिष्ठित भाखड़ा बांध खतरे के निशान के बेहद करीब पहुंच गया है। साथ ही, राजधानी दिल्ली में यमुना नदी ने डेंजर मार्क पार कर लिया है, जिससे राजधानी और आसपास के क्षेत्रों में हालात गंभीर हैं। वहीं, मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने उत्तर प्रदेश, बिहार और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में भी मूसलाधार बारिश की चेतावनी जारी की है, जिससे राहत और बचाव कार्यों में चुनौतियां तेज हो गई हैं।
पंजाब में बाढ़ का प्रकोप
भाखड़ा बांध की स्थिति:
भाखड़ा बांध का जलस्तर 1,678.97 फीट पर पहुंच गया है, सिर्फ 2 फीट की दूरी पर यह खतरे का निशान (1,680 फीट) है। BBMB ने इस पर काबू पाने के लिए 80,000–85,000 क्यूसक पानी छोड़ने का निर्णय लिया है, जिससे नीचे के निम्नवर्ती क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा और बढ़ गया है।
अतिरिक्त बांधों की स्थिति:
पोंग और रणजीत सागर बांधों में भी जलस्तर निर्धारित सीमा से ऊपर पहुँच गया है, जिससे पंजाब में बाढ़ की त्रासदी और भी विकराल हो गई है।
सरकारी प्रतिक्रिया और राहत कार्य:
राज्य में आपदा घोषित कर दी गई है। एनडीआरएफ, भारतीय सेना, वायुसेना, बीएसएफ के लगभग 31 टीम, 12 सक्रिय और 8 स्टैंडबाय फ्लोट्स व 100 से अधिक हेलीकॉप्टर लगाए गए हैं, साथ ही 123 नावें बाढ़ प्रभावित इलाकों तक पहुंच रही हैं। राहत शिविरों में 196 स्थल बनाए गए हैं, जहां दशकों की संकल्पना से जनता को सुरक्षित आश्रय दिया जा रहा है।
घायलों, नुकसान और प्रभावितों की संख्या:
पंजाब में अब तक 43 लोगों की मौत हो चुकी है। 1,902 गांवों तक बाढ़ का फैलाव हो चुका है, 438,040 एकड़ कृषि भूमि तबाह हो गई है। गृडासपुर सबसे ज़्यादा प्रभावित जिला है (1 लाख एकड़ बर्बाद, 1.45 लाख लोग प्रभावित)। राहत प्रयासों में अब तक 384,205 लोग विस्थापित हुए हैं, 20,972 लोगों को बचाया गया।
तथ्य और विवरण:
अगस्त माह में 23 जिलों के 1,400 से अधिक गांव बाढ़ की चपेट में आए और 3.5 लाख लोगों को बिना संरक्षण छोड़ा गया।
यह पंजाब का सबसे गंभीर बाढ़ संकट है, जो 1988 के बाद का सबसे भयानक आँकड़ा है।
दिल्ली में यमुना का उफान
यमुना नदी ने डेंजर मार्क पार कर लिया, जिससे लो-लाइंग इलाकों में पानी भर गया और हजारों लोग प्रभावित हुए हैं। लोहा पुल और पुरानी रेलवे पुल को बंद करना पड़ा। रेड फोर्ट के आसपास के इलाकों में पानी भर गया, और कई इलाकों में निकासी अभियान चलाए गए।
विशेष प्रभाव:
निगमोध घाट पर अंतिम संस्कार बंद कर दिए गए। नोएडा, आगरा और प्रयागराज में भी यमुना और गंगा का स्तर बढ़ गया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने ‘टीम-11’ गठित की है, जो 12 जिलों में राहत कार्य की मॉनिटरिंग करेगी।
IMD की चेतावनी:
मौसम विभाग ने NCR (दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद) के लिए भारी बारिश के अलर्ट जारी किए हैं। यातायात व्यवस्था में बाधा, जलजमाव और आपातकालीन स्थिति बनी हुई है।
उत्तर प्रदेश-बिहार समेत अन्य राज्यों के हालात
बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में अब भी मानसूनी वर्षा जारी है, IMD ने कई जिलों में अस्थिरतम बारिश की चेतावनी दी है, जिससे बाढ़ का खतरा बना हुआ है।
हालांकि अबतक विशिष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन राजस्थान, उत्तराखंड और पूर्वोत्तर राज्यों में भी बारिश की आशंका बनी है, जिससे नदी तटवर्ती क्षेत्र सतर्क हैं।
विश्लेषण: कारण और चुनौती
मौसम विज्ञान और जल प्रबंधन की खामी:
मानसून की अनियमितता और बदलाव अब चरम पर है। जलाशयों से अतिवृष्टि के कारण मुक्ति आवश्यक होती है, लेकिन सीमाओं पर पानी छोड़ने से बाढ़ की जोखिम बढ़ती है।
जल निकासी और अवसंरचना की कमजोरी:
बढ़ते पानी को संभालने के लिए मौजूदा ढांचे अपर्याप्त हैं। बांधों का समन्वित प्रबंधन, बेहतर चेतावनी सिस्टम और आपदा-तैयारी अब अनिवार्य हो चुके हैं।
जलवायु परिवर्तन का प्रभाव:
विशेषज्ञ मानते हैं कि बदलते वैश्विक तापमान के चलते मानसूनी वर्षा अत्यधिक मुखर हो गई है। इस बदलाव को नियंत्रण में लाने के लिए दीर्घकालीन योजना और स्थानीय तैयारी जरूरी है।
अंत में: राहत एवं सुझाव
1. तीव्र राहत कार्य: NDRF, सेना, और स्थानीय प्रशासन द्वारा चल रहे बचाव अभियान को और मजबूत बनाना।
2. प्रभावी राहत शिविर: खाद्य, पानी, चिकित्सा और आश्रय का संचालन सुनिश्चित करना।
3. बढ़ते जल स्तर पर सतत निगरानी और Early Warning सिस्टम को सक्रिय रखना।
4. लंबी अवधि में: जल निकासी तंत्र, बांध प्रबंधन, संसदीय विनिर्देशन और बेहतर भवन नियोजन जैसी रणनीतियों को अपनाकर भविष्य के आपदाओं से निपटना।