
पंजाब। पंजाब के कई इलाकों में आई भीषण बाढ़ ने जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। गांवों से लेकर शहरों तक पानी ने तबाही मचाई है। ऐसे में कई परिवारों की ज़िंदगियाँ खतरे में पड़ गई हैं। इसी बीच एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसने लोगों का दिल पिघला दिया है। एक नन्हे से बच्चे ने अपनी मां को बाढ़ के पानी में डूबने से बचाने की नाकाम कोशिश की। लेकिन मां ने अपनी जान की परवाह किए बिना पहले अपने बेटे को सुरक्षित जगह तक पहुंचा दिया, और खुद डूब गई। यह घटना न सिर्फ मातृत्व की पराकाष्ठा है, बल्कि मानवता और बलिदान का सबसे बड़ा उदाहरण भी है।
बाढ़ का कहर और असहाय परिवार
पंजाब के जालंधर ज़िले के नज़दीकी क्षेत्र में बीते दिनों भारी बारिश के चलते बाढ़ आ गई। खेत, सड़कें, घर – सब पानी में डूब गए। प्रशासन ने राहत कार्य शुरू कर दिया, लेकिन कई इलाके ऐसे थे जहां पहुंचना मुश्किल हो रहा था। इसी दौरान गांव रामगढ़ के रहने वाले एक परिवार की कहानी सामने आई।
परिवार की मां, 28 वर्षीय गुरप्रीत कौर, अपने दो बच्चों के साथ घर में फंसी हुई थी। पानी तेजी से बढ़ रहा था। आसपास की मदद सीमित थी। परिवार के लोगों ने बताया कि गुरप्रीत कौर ने पहले अपने बच्चों को ऊँची जगह पर ले जाकर सुरक्षित किया और फिर खुद मदद की तलाश में पानी में उतरीं।
बेटे की नन्ही कोशिश
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, गुरप्रीत का चार साल का बेटा, मनदीप, पानी में डूबती अपनी मां को बचाने की कोशिश कर रहा था। वह हाथ बढ़ाकर मां को पकड़ने की कोशिश कर रहा था। उसकी मासूम आँखों में डर और बेबसी साफ झलक रही थी। मनदीप जोर-जोर से रोता हुआ कह रहा था – “मां, मत जाओ… मैं तुम्हें पकड़ लूंगा।” लेकिन पानी का बहाव इतना तेज था कि वह अपनी मां को थाम नहीं पाया।
गांव के एक बुजुर्ग हरपाल सिंह ने बताया, “हम सब देखते रह गए। वो बच्चा बार-बार अपनी मां की तरफ हाथ बढ़ा रहा था। उसका चेहरा देखकर हर किसी की आँख भर आई। कोई भी मदद के लिए पानी में उतर नहीं पा रहा था।”
मां का अंतिम बलिदान
गुरप्रीत कौर ने अपने बेटे को बार-बार धकेलकर सुरक्षित जगह तक पहुंचाया। बताया जा रहा है कि उन्होंने उसे लकड़ी की एक तख्ती पर बैठाकर किनारे भेज दिया। जब तक आसपास के लोग मदद के लिए पहुँचते, वह खुद बाढ़ की तेज धारा में बह गई थीं। राहतकर्मियों ने उनकी तलाश की, लेकिन उनकी लाश दो दिन बाद मिली।
गुरप्रीत कौर के पति ने रोते हुए कहा, “उसने आखिरी समय तक अपने बच्चों को बचाया। वह पहले सुनिश्चित कर रही थी कि मनदीप सही जगह पर पहुंच जाए। खुद की परवाह नहीं की। वो सच में देवी है। ऐसी ममता देखने को बहुत कम मिलती है।”
गांव में शोक, लेकिन गर्व भी
घटना की खबर फैलते ही पूरे गांव में मातम छा गया। लोग गुरप्रीत कौर को श्रद्धांजलि देने पहुंचे। स्थानीय प्रशासन ने उनके परिवार को आर्थिक सहायता और राहत सामग्री प्रदान की। वहीं कई सामाजिक संगठनों ने परिवार की मदद का आश्वासन दिया।
गांव की महिलाओं ने कहा, “ऐसी माएं भगवान का रूप होती हैं। उन्होंने अपनी जान देकर बच्चों को बचाया। हम सब उनके लिए प्रार्थना करेंगे।”
प्रशासन की प्रतिक्रिया
जिला प्रशासन ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्य तेज कर दिया है। एनडीआरएफ की टीम घटनास्थल पर पहुंच चुकी है। जिला कलेक्टर ने कहा, “हम इस घटना से बेहद दुखी हैं। गुरप्रीत कौर जैसी माताओं की बहादुरी हमें इंसानियत और परिवार की असली ताकत का एहसास कराती है। हम परिवार की हर संभव मदद करेंगे।”
समाज के लिए संदेश
यह घटना न सिर्फ एक व्यक्तिगत त्रासदी है, बल्कि समाज के लिए एक प्रेरणा है। संकट के समय मनुष्य का असली चरित्र सामने आता है। गुरप्रीत कौर ने दिखा दिया कि मातृत्व क्या होता है – वह प्यार जो अपनी जान की कीमत पर भी बच्चों की रक्षा करता है। ऐसे उदाहरण हमें संवेदनशील बनाते हैं और एक-दूसरे की मदद के लिए आगे आने की प्रेरणा देते हैं।
मां की ममता अमर रहेगी
गुरप्रीत कौर का बलिदान अब उनके गांव ही नहीं, बल्कि पूरे पंजाब और देश में चर्चा का विषय बन चुका है। सोशल मीडिया पर उनकी तस्वीरें और वीडियो वायरल हो रहे हैं। लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं और उनके बच्चों के लिए मदद की अपील कर रहे हैं।
आज उनकी कहानी हमें याद दिलाती है कि संकट में भी एक मां की ममता सबसे बड़ी ताकत होती है। उनका बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। मनदीप जैसे बच्चों के लिए यह कहानी हमेशा प्रेरणा बनेगी।