
पूर्णिया (बिहार)। ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के आठवें दिन, रविवार 24 अगस्त 2025 को कांग्रेस नेता राहुल गांधी और RJD नेता तेजस्वी यादव ने एक साथ बुलेट बाइक पर सवारी कर जनसभा तक की रवानगी की—लेकिन समर्थकों की नाराज़गी ने राजनीतिक नज़ारे को पेचीदा बना दिया।
1. बुलेट पर सवार राहुल–तेजस्वी
राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने पूर्णिया की सड़कों पर एक साथ बुलेट बाइक से यात्रा जारी रखी, जिससे विपक्ष के एकजुटता का संदेश साफ झलकता है ।
यह “Vote Adhikar Yatra” 17 अगस्त को सासाराम से शुरू हुई थी, 1,300 किमी की दूरी तय करते हुए 20 से अधिक जिलों से गुजरते हुए 1 सितंबर को पटना में समाप्त होगी ।
2. समर्थकों की नाराज़गी
यात्रा कटिहार मोड़ से शुरू जरूर हुई, लेकिन राहुल गांधी ने एक मिनट भी रुककर जनता से संवाद नहीं किया। उनसे संवाद की अपेक्षा रखने वाले समर्थकों ने निराशा जताई ।
3. लोकप्रिय मुद्दों पर लड़खड़ाती रणनीति
यात्रा की शुरूआत से ही निर्वाचन सुधार और ‘वोट चोरी’ को लेकर विवाद बरकरार है। राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर “वोट चोरी” का आरोप लगाया है और इसे हर विधानसभा व लोकसभा सीट पर उजागर करने की चेतावनी दी है ।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने उन्हें सात दिन के भीतर अथवा हलफनामा दाखिल करने या माफी मांगने का निर्देश दिया है ।
4. किसानों से जुड़ाव की कोशिश
यात्रा से पहले राहुल गांधी कटिहार में मखाना किसानों से भी मिले। उन्होंने मध्यमों द्वारा शोषण और मखाना उत्पादकों की स्थिति पर सरकार की उपेक्षा उजागर की ।
5. रूट बंद, यातायात में बदलाव
पूर्णिया में यात्रा को ध्यान में रखते हुए ट्रैफिक रूट बदले गए। कुछ रास्तों पर नो-एंट्री लगाया गया, वैकल्पिक मार्गों पर पुलिस तैनात रही ।
6. राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता और आरोप-प्रत्यारोप
NDA ने कांग्रेस–RJD यात्रा को राजनीतिक नाटक बताते हुए विपक्ष पर तीखे वार किए ।
BJP का कहना है कि यह यात्रा “लोक भ्रमित करने वाला” है, जबकि यात्रा के अभियान का मकसद भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और वोट के अधिकार पर ध्यान केंद्रित करना है ।
7. अगले चरण की तैयारी
पार्टी रणनीतिक रूप से यात्रा को राजधानी पटना तक ले जाने की योजना पर काम कर रही है, जिसमें अन्य शीर्ष विपक्षी नेता भी शामिल होंगे। इस यात्रा में लोगों की उम्मीद, असंतोष और राजनीतिक एकजुटता का मिश्रण साफ दिखता है ।
पूर्णिया की सड़कों पर बुलेट पर सवार दो राजनीतिक हस्तियों का यह नज़ारा न केवल यात्रा की मजबूती को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि जनता के बीच संवाद का महत्व कितना बड़ा है। जहां एक तरफ यात्रा प्रशासनिक रूप से सफल लगी, वहीं दूसरी ओर समर्थकों की नाराज़गी उस रणनीति पर प्रश्न चिन्ह दिखाती है जिस पर ‘जनता के साथ जुड़ने’ का दावा किया जा रहा है।