भारत और रूस के रिश्तों में एक बार फिर नई गर्माहट देखने को मिली है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व क्षमता, वैश्विक मुद्दों पर उनके संतुलित रुख और दबाव में न झुकने वाले निर्णयों की सराहना की है। पुतिन का यह बयान ऐसे समय में आया है जब विश्व राजनीति में बड़े बदलाव हो रहे हैं और भारत तेजी से एक वैश्विक शक्ति के रूप में उभर रहा है।

पुतिन ने कहा कि “प्रधानमंत्री मोदी एक ऐसे नेता हैं जो किसी भी तरह के बाहरी दबाव में नहीं आते। वे भारत के हितों को सर्वोपरि रखते हैं और कठिन समय में भी बेहद संतुलित निर्णय लेने की क्षमता रखते हैं।”
इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि भारत और रूस के बीच 90 प्रतिशत से अधिक द्विपक्षीय लेन-देन सफलतापूर्वक पूरा हो चुका है, जो दोनों देशों के बीच मजबूत आर्थिक सहयोग का संकेत है।
भारत-रूस संबंध: दशकों पुरानी साझेदारी में नई ऊर्जा
भारत और रूस के बीच साझेदारी दशकों पुरानी है। चाहे रक्षा क्षेत्र हो, ऊर्जा सुरक्षा, अंतरिक्ष सहयोग या व्यापार—दोनों देशों ने हमेशा एक-दूसरे का साथ दिया है। पुतिन के नवीनतम बयान ने इन संबंधों में और मजबूती का संकेत दिया है।
रूस ने कई मौकों पर भारत को भरोसेमंद साझेदार बताया है। वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने भी बार-बार कहा है कि भारत ‘सबका साथ, सबका विकास’ के सिद्धांत पर चलते हुए सभी देशों से संतुलित और व्यावहारिक संबंधों को महत्व देता है।
पुतिन की टिप्पणी का राजनीतिक और रणनीतिक महत्व
विशेषज्ञों का मानना है कि पुतिन का यह बयान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की बढ़ती शक्ति और प्रधानमंत्री मोदी की वैश्विक स्वीकार्यता को दर्शाता है। वर्तमान भू-राजनीतिक माहौल में जब कई देश नए गठबंधन बना रहे हैं, ऐसे समय में रूस का भारत के प्रति स्पष्ट और सकारात्मक रुख एक महत्वपूर्ण संदेश देता है।
रूस यह समझता है कि भारत एशिया ही नहीं, बल्कि वैश्विक शक्ति समीकरण का एक प्रमुख केंद्र बन चुका है। यही कारण है कि पुतिन ने प्रधानमंत्री मोदी को एक स्थिर, निर्णायक और दूरदर्शी नेता के रूप में वर्णित किया है।
90% से अधिक लेन-देन सफल: आर्थिक सहयोग के नए आयाम
पुतिन ने यह भी बताया कि भारत और रूस के बीच 90 प्रतिशत से अधिक लेन-देन सफलतापूर्वक पूरा हो चुका है। इसमें ऊर्जा, तेल-गैस, व्यापार, रक्षा सौदे, मशीनरी, फार्मा, कृषि उत्पाद सहित कई सेक्टर शामिल हैं।
तेल-गैस में रिकॉर्ड सहयोग
पिछले दो वर्षों में भारत ने रूसी कच्चे तेल की खरीद में तेज वृद्धि की है। इससे भारत को किफायती ऊर्जा मिली और रूस को स्थिर उपभोक्ता बाजार।
रक्षा क्षेत्र में साझेदारी
भारत-रूस रक्षा सहयोग वर्षों से मजबूत रहा है। ब्रह्मोस मिसाइल से लेकर एस-400 मिसाइल सिस्टम तक कई बड़े रक्षा प्रोजेक्ट दोनों देशों की साझेदारी के उदाहरण हैं।
व्यापार और निवेश
द्विपक्षीय व्यापार 50 बिलियन डॉलर से ऊपर जा चुका है, जो ऐतिहासिक रिकॉर्ड है। भविष्य में इसे 100 बिलियन डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य रखा गया है।
क्यों बढ़ रही है PM मोदी की वैश्विक स्वीकार्यता?
पुतिन द्वारा प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा यह दर्शाती है कि भारत की विदेश नीति कितनी संतुलित और स्वतंत्र है।
इसके पीछे कुछ प्रमुख कारण हैं—
1. दबाव में न आने वाली नेतृत्व शैली
भारत ने रूस-यूक्रेन युद्ध पर संतुलित रुख अपनाया। न तो रूस से दूरी बनाई और न ही युद्ध को समर्थन दिया।
भारत ने शांति का समर्थन किया और संवाद की अपील की—यह एक वैश्विक नेतृत्वकारी भूमिका है।
2. बहुध्रुवीय दुनिया के निर्माण की वकालत
भारत लगातार कह रहा है कि दुनिया एक देश के प्रभाव पर नहीं टिक सकती।
यह संदेश रूस सहित कई देशों को भारत के और करीब ला रहा है।
3. आर्थिक सुधार और मजबूत आती GDP
भारत तेजी से दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर बढ़ रहा है।
यह विश्व नेताओं के लिए आकर्षण का केंद्र है।
4. मजबूत घरेलू नेतृत्व
PM मोदी की लोकप्रियता और निर्णायक सरकारी नीतियों ने भारत की छवि को स्थिर राष्ट्र के रूप में स्थापित किया है।
भारत-रूस साझेदारी का भविष्य
पुतिन के सकारात्मक बयान के बाद यह संकेत मिल रहा है कि आने वाले वर्षों में भारत और रूस के रिश्ते और मजबूत हो सकते हैं।
कुछ संभावित क्षेत्रों में सहयोग बढ़ने की संभावना है—
रक्षा उत्पादन में ‘मेक इन इंडिया’ के तहत संयुक्त निर्माण
ऊर्जा सुरक्षा—एलएनजी, तेल, गैस, कोयला
नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर में लॉजिस्टिक सहयोग
चंद्रमा और अंतरिक्ष मिशनों में संयुक्त शोध
कृषि और खाद्यान्न व्यापार में नई संभावनाएँ
भारत और रूस दोनों ही ऐसी स्थिति में हैं जहाँ एक-दूसरे का साथ वैश्विक राजनीति में नई मजबूती देगा।
क्या संदेश जाता है दुनिया को?
पुतिन का यह बयान केवल भारत की प्रशंसा नहीं है, बल्कि यह पश्चिमी देशों को भी एक संकेत है कि भारत अपनी स्वतंत्र विदेश नीति को जारी रखेगा।
भारत किसी दबाव में न आकर केवल राष्ट्रीय हितों के आधार पर निर्णय लेता है—यह वैश्विक मंच पर उसकी बढ़ती ताकत को दर्शाता है।
व्लादिमीर पुतिन द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व क्षमता की openly तारीफ और दोनों देशों के 90% से अधिक लेन-देन सफल होने की जानकारी ने यह साफ कर दिया है कि भारत-रूस संबंध पहले से कहीं अधिक मजबूत हो रहे हैं।
यह भारत की कूटनीतिक सफलता और PM मोदी की विश्व स्तर पर बढ़ती भूमिका का स्पष्ट संकेत है।
आने वाले दिनों में दोनों देशों के बीच आर्थिक, सामरिक और तकनीकी सहयोग नए आयाम प्राप्त कर सकता है।
