पटना। बिहार की राजनीति में मंगलवार का दिन एक महत्वपूर्ण मोड़ लेकर आया, जब राज्य सरकार के भवन निर्माण विभाग ने पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी नेता राबड़ी देवी को 10 सर्कुलर रोड स्थित उनके लंबे समय से आवास रहे सरकारी बंगले को खाली करने का नोटिस थमा दिया। यह बंगला न सिर्फ एक घर था, बल्कि राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की राजनीतिक विरासत का केंद्र भी माना जाता रहा है। पार्टी की कई ऐतिहासिक बैठकों से लेकर बड़े फैसले इसी पते से होते रहे हैं। लेकिन अब इस पते की पहचान बदलने वाली है।

हाईकोर्ट के पुराने आदेश पर अमल की शुरूआत
राबड़ी देवी से बंगला खाली करवाने की प्रक्रिया अचानक नहीं है। इसकी जड़ें 19 फरवरी 2019 के उस पटना हाईकोर्ट के आदेश में छिपी हैं, जिसमें अदालत ने साफ कहा था कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को दी जाने वाली कई सरकारी सुविधाओं — जिसमें सरकारी बंगला, सुरक्षा, स्टाफ और गाड़ी जैसे फायदे शामिल हैं — अब बंद कर दिए जाएं।
यह आदेश सार्वजनिक धन के सही उपयोग और पद छोड़ने के बाद नेताओं को मिल रही ‘अतिरिक्त सुविधाओं’ को खत्म करने की दिशा में एक अहम कदम था।
दिलचस्प बात यह है कि उसी समय RJD नेता और राबड़ी देवी के बेटे तेजस्वी यादव ने भी इस फैसले पर अपनी याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने पुरानी व्यवस्था की पुनरावलोकन और स्पष्टीकरण मांगा था। अब वर्तमान सरकार ने इस आदेश पर सख्ती से अमल शुरू किया है, जिसकी पहली बड़ी कार्रवाई राबड़ी देवी के बंगले पर देखने को मिली।
10 सर्कुलर रोड: सिर्फ एक पता नहीं, एक राजनीतिक केंद्र
राबड़ी देवी का 10 सर्कुलर रोड वाला बंगला बिहार की राजनीति का महत्वपूर्ण केंद्र रहा है।
यहां:
लालू प्रसाद यादव की बीमारी और जेल प्रकरण से जुड़े महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए,
कई चुनावी रणनीतियाँ बनीं,
बिहार की बड़ी राजनीतिक हलचलों का जन्म यहीं से हुआ।
2015 के महागठबंधन की कई बैठकों का केंद्र रहा यह बंगला, अब सिर्फ उनका घरेलू पता नहीं था—यह RJD की शक्ति का प्रतीक था।
लेकिन अब, हाईकोर्ट के आदेश के बाद, यह पता ‘पूर्व मुख्यमंत्री कोटा’ से बाहर माना गया है, और इसी आधार पर सरकार ने इसे खाली कराने का निर्देश दिया है।
20 साल बाद राबड़ी को नया पता—हार्डिंग रोड 39
भवन निर्माण विभाग ने राबड़ी देवी को अब हार्डिंग रोड, बंगला संख्या 39 आवंटित किया है।
यह बंगला विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष के कोटे के तहत दिया गया है, और इस समय राबड़ी देवी इसी पद पर हैं।
हालांकि प्रशासन का दावा है कि यह सामान्य प्रक्रिया है और हाईकोर्ट के आदेश का पालन किया गया है, लेकिन RJD इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई के तौर पर देख रही है।
RJD का आरोप: यह फैसला राजनीतिक नीयत से प्रेरित
इस फैसले के बाद RJD में तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं।
पार्टी नेताओं का कहना है:
यह कार्रवाई “परेशानी पैदा करने की नीयत” से की गई है,
सत्ता बदलने के बाद विरोधियों को निशाना बनाने के लिए सरकार प्रतीकात्मक कदम उठा रही है,
और यह निर्णय सिर्फ एक बंगले का नहीं, बल्कि “राजनीतिक पहचान और विरासत” से जुड़ा है।
RJD का यह तर्क भी है कि इतने वर्षों तक बंगला आवंटित रहने के बावजूद अचानक कार्रवाई सिर्फ राजनीतिक बदले का हिस्सा लगती है।
सरकार की सफाई: कोर्ट आदेश पालन, राजनीति नहीं
दूसरी ओर सरकारी सूत्रों का कहना है कि यह निर्णय किसी राजनीतिक भावना से प्रेरित नहीं है।
उनके अनुसार:
बिहार सरकार हाईकोर्ट के आदेश पर अमल कर रही है,
पूर्व मुख्यमंत्रियों को अनावश्यक सुविधाएँ देने का कोई प्रावधान नहीं,
और राबड़ी देवी को वैकल्पिक सरकारी आवास पहले ही उपलब्ध करा दिया गया है।
सरकार का तर्क यह भी है कि 10 सर्कुलर रोड एक उच्च श्रेणी का बंगला है, और इसका आवंटन अब नियमों के तहत किसी अन्य पात्र पदाधिकारी को किया जा सकता है।
तेजस्वी यादव की याचिका को लेकर भी सियासत गरम
यह फैसला इसलिए भी चर्चा का विषय है क्योंकि जिस मुद्दे पर कोर्ट ने आदेश दिया था, उसकी याचिका तेजस्वी यादव ने ही दायर की थी।
अब RJD के भीतर ही चर्चा है कि यह कदम तेजस्वी की ही कानूनी पहल का ‘अनचाहा परिणाम’ है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि:
तेजस्वी की याचिका का उद्देश्य पारदर्शिता बढ़ाना था,
लेकिन अब उसी फैसले का असर उनके घर-परिवार तक पहुंच गया है,
और इससे RJD के भीतर रणनीतिक असहजता पैदा हो रही है।
क्या बदलेगी RJD की राजनीतिक दिशा?
10 सर्कुलर रोड से हटना RJD की राजनीतिक छवि और कार्यशैली पर असर डालेगा या नहीं — यह आने वाला समय बताएगा।
हालांकि यह जरूर है कि:
पार्टी की मिट्टी से जुड़ी पहचान में यह बंगला अहम स्थान रखता था,
और इसे छोड़ने का अर्थ है परंपरागत राजनीतिक ठिकाने का बदलना।
कई विशेषज्ञ मानते हैं कि यह कदम RJD को नई राजनीतिक व्यवस्था और संरचना बनाने के लिए मजबूर करेगा, जिसके परिणाम 2025–2026 की राजनीति पर नजर आ सकते हैं।
आगे की राह
राबड़ी देवी को नया आवास मिल चुका है, लेकिन सवाल यह भी है कि क्या RJD इस फैसले को चुनौती देगी?
क्या यह मुद्दा आने वाले चुनावी दौर में बड़ा राजनीतिक हथियार बनेगा?
और क्या तेजस्वी यादव इस फैसले को लेकर न्यायालय में पुनर्विचार याचिका डालेंगे?
फिलहाल पटना की राजनीति में नए सिरे से हलचल दिखाई दे रही है और 10 सर्कुलर रोड का बंगला—जो कभी सत्ता और रणनीति का केंद्र था—अब एक नई कहानी कहने के लिए तैयार है।
