
नई दिल्ली। कहते हैं कि असफलता ही सफलता की पहली सीढ़ी होती है। इस कहावत को सही साबित किया है गुरुग्राम की रहने वाली रागिनी दास ने, जिन्हें 2013 में गूगल जैसी बड़ी टेक कंपनी ने नौकरी देने से मना कर दिया था। लेकिन आज, वही रागिनी दास “Leap Club” नाम के एक सफल स्टार्टअप की सीईओ (CEO) और को-फाउंडर हैं। उनकी कहानी न सिर्फ युवाओं के लिए प्रेरणा है बल्कि यह बताती है कि ठोकरें खाने के बाद भी अगर हौसले बुलंद हों, तो मंज़िल पाना नामुमकिन नहीं।
रागिनी दास का शुरुआती जीवन
रागिनी दास का जन्म और पालन-पोषण गुरुग्राम, हरियाणा में हुआ। शुरू से ही वह पढ़ाई में तेज और आत्मविश्वासी थीं। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा दिल्ली के एक प्रतिष्ठित स्कूल से पूरी की और इसके बाद लेडी श्रीराम कॉलेज (LSR), दिल्ली विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक की डिग्री हासिल की।
कॉलेज के दौरान ही उन्हें मार्केटिंग और बिज़नेस मैनेजमेंट में रुचि हुई। वह चाहती थीं कि एक दिन किसी बड़ी टेक कंपनी में काम करें — और गूगल उनका ड्रीम डेस्टिनेशन था।
गूगल से रिजेक्शन और जिंदगी का टर्निंग पॉइंट
2013 में, रागिनी ने गूगल में नौकरी के लिए आवेदन किया। कई इंटरव्यू राउंड के बाद उन्हें रिजेक्ट कर दिया गया। उस समय यह उनके लिए बहुत बड़ा झटका था। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने कहा था —
> “उस रिजेक्शन ने मुझे मजबूत बनाया। मुझे एहसास हुआ कि अगर दरवाजा बंद होता है, तो इसका मतलब है कि मेरे लिए कोई और बेहतर रास्ता खुलने वाला है।”
गूगल के रिजेक्शन के बाद रागिनी ने अपनी स्किल्स को निखारने और नेटवर्क बढ़ाने पर फोकस किया। उन्होंने मार्केटिंग और बिज़नेस डेवेलपमेंट में काम करना शुरू किया और धीरे-धीरे कॉर्पोरेट दुनिया में अपनी पहचान बनाती चली गईं।
Leap Club की शुरुआत
साल 2020 में, रागिनी दास ने अपनी सह-संस्थापक लीना गुप्ता के साथ मिलकर Leap Club नाम से एक स्टार्टअप की नींव रखी। यह एक महिलाओं के लिए नेटवर्किंग और ग्रोथ प्लेटफॉर्म है, जो महिलाओं को पेशेवर रूप से आगे बढ़ने, सीखने और लीडरशिप के अवसर प्राप्त करने में मदद करता है।
आज Leap Club के भारत में हजारों मेंबर हैं, जिनमें कॉर्पोरेट, टेक, एजुकेशन और स्टार्टअप जगत की महिलाएं शामिल हैं।
महिलाओं को सशक्त बनाने का मिशन
रागिनी दास का मानना है कि भारत में महिलाओं के लिए कॉर्पोरेट सेक्टर में समान अवसरों की कमी है। इसलिए उन्होंने “लीप क्लब” को सिर्फ एक नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म नहीं बल्कि महिला सशक्तिकरण की क्रांति के रूप में विकसित किया।
उनकी यह पहल न केवल महिलाओं को जॉब और बिज़नेस के अवसर देती है, बल्कि उन्हें आत्मविश्वास और नेतृत्व की दिशा में आगे बढ़ने के लिए भी प्रेरित करती है।
रागिनी की सोच और नेतृत्व शैली
रागिनी कहती हैं —
> “सफलता तभी मिलती है जब आप अपनी असफलताओं से सीखते हैं। गूगल से रिजेक्ट होना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सबक था, जिसने मुझे आत्मनिर्भर और लक्ष्य-केन्द्रित बनाया।”
उनकी नेतृत्व शैली बेहद व्यावहारिक और इंस्पिरेशनल मानी जाती है। वह अपनी टीम को सहयोग और भरोसे के साथ आगे बढ़ाने में विश्वास रखती हैं।
Leap Club की सफलता और भविष्य की योजनाएं
आज Leap Club की वैल्यू करोड़ों में है और इसे भारत के टॉप महिला-प्रधान स्टार्टअप्स में गिना जाता है। कंपनी आने वाले वर्षों में अंतरराष्ट्रीय बाजारों में विस्तार की योजना बना रही है।
रागिनी का सपना है कि भारत की हर महिला को करियर और आत्मनिर्भरता के अवसर समान रूप से मिलें।
सोशल मीडिया पर भी हैं प्रेरणा का स्रोत
रागिनी दास सोशल मीडिया पर भी काफी सक्रिय हैं। वह LinkedIn और Instagram पर अपने विचार साझा करती हैं और युवाओं को करियर में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं।
उनकी पोस्ट्स में मोटिवेशनल मैसेज और लाइफ एक्सपीरियंस झलकते हैं, जो हजारों लोगों को प्रेरित करते हैं।
रागिनी दास की कहानी हमें सिखाती है कि रिजेक्शन अंत नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत होती है। अगर हम अपनी मेहनत और जुनून बनाए रखें, तो असफलता भी सफलता का रास्ता बन सकती है।