
राहुल गांधी का आत्मस्वीकृति भाषण: “कांग्रेस की सबसे बड़ी गलती थी…” — OBC सम्मेलन में जताया अफसोस, सुधार का लिया संकल्प
नई दिल्ली | 24 जुलाई 2025
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार को दिल्ली में आयोजित ‘ओबीसी नेतृत्व भागीदारी न्याय सम्मेलन’ में एक बड़ी राजनीतिक और वैचारिक स्वीकारोक्ति करते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी की सबसे बड़ी गलती पिछड़े वर्गों (OBC) की वास्तविक समस्याओं को न समझ पाना रही है। उन्होंने कहा कि उन्होंने खुद भी इस मामले में गहराई से ध्यान नहीं दिया और अब इसे सुधारने का समय आ गया है।
राहुल गांधी ने स्पष्ट शब्दों में कहा,
इस सम्मेलन में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे समेत कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे। सभी नेताओं ने एक स्वर में जातिगत जनगणना की मांग को दोहराया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर झूठ बोलने का आरोप लगाया।
जातिगत जनगणना की मांग हुई तेज
राहुल गांधी ने अपने भाषण में जातिगत जनगणना को देश की जरूरत बताया और कहा कि इसके बिना सामाजिक न्याय की कल्पना अधूरी है। उन्होंने कहा,
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि वह खुद को ओबीसी बताकर वोट लेते हैं, लेकिन जब OBC की गिनती कराने की बात आती है, तो चुप्पी साध लेते हैं।
खरगे का तीखा हमला: “मोदी झूठ बोलते हैं”
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा,
खरगे ने कहा कि राहुल गांधी सच में OBC और दलितों के हक की लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने न केवल संसद में इस मुद्दे को उठाया, बल्कि अपनी भारत जोड़ो यात्रा और न्याय यात्रा में भी इसे केंद्र में रखा।
कांग्रेस में बदलते एजेंडे की झलक
राहुल गांधी का यह बयान कांग्रेस की रणनीति में आए बड़े बदलाव की ओर इशारा करता है। बीते कुछ वर्षों में कांग्रेस नेतृत्व, खासकर राहुल गांधी, सामाजिक न्याय और समान भागीदारी के मुद्दों पर ज्यादा मुखर हुए हैं। उन्होंने विशेष रूप से पिछड़े वर्गों को संगठन और नेतृत्व में हिस्सेदारी देने की बात की।
कांग्रेस का मानना है कि BJP ने भले ही OBC के नाम पर राजनीति की हो, लेकिन हकीकत में उनकी उपेक्षा की है। पार्टी अब अपने ‘न्याय यात्रा’ और ‘भागीदारी न्याय सम्मेलन’ जैसे आयोजनों से यह बताने की कोशिश कर रही है कि कांग्रेस वंचित तबकों की असली हितैषी है।
‘हम सत्ता की चाभी OBC को सौंपेंगे’
राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस केवल सत्ता में हिस्सेदारी की बात नहीं कर रही, बल्कि वास्तविक नेतृत्व देना चाहती है। उन्होंने कहा:
उन्होंने यह भी जोड़ा कि कांग्रेस संगठन में भी अब नेतृत्व की जिम्मेदारी उन लोगों को दी जाएगी जो समाज के वंचित तबकों से आते हैं।
राजनीतिक मायने: BJP पर सीधा वार
राहुल गांधी के इस बयान को राजनीतिक रूप से भाजपा के OBC वोट बैंक में सेंधमारी की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। नरेंद्र मोदी अक्सर अपने भाषणों में OBC पृष्ठभूमि से होने की बात करते हैं, जिससे इस वर्ग में उनकी पकड़ बनी रही है। कांग्रेस अब उसी वर्ग के बीच जाकर यह संदेश दे रही है कि असली हितैषी वही है जो सत्ता में भागीदारी सुनिश्चित करे, न कि केवल वादे करे।
कांग्रेस नेताओं का यह भी कहना है कि BJP और RSS हमेशा से ही जाति आधारित गणना और सामाजिक न्याय के खिलाफ रहे हैं। जबकि कांग्रेस अब इसे अपने मुख्य चुनावी एजेंडे में ला रही है।
राजनीति से परे आत्मचिंतन की झलक
राहुल गांधी का यह बयान केवल राजनीतिक चाल नहीं बल्कि एक आत्मचिंतन और वैचारिक दिशा-परिवर्तन की भी मिसाल है। उन्होंने सार्वजनिक मंच से न केवल गलती मानी बल्कि उसे सुधारने का वादा किया। आज की राजनीति में जब नेता अपनी ग़लतियों से इनकार करते हैं, ऐसे में राहुल गांधी का यह कदम साहसिक माना जा रहा है ।
आगे की राह: कांग्रेस की चुनावी रणनीति स्पष्ट
कांग्रेस अब ‘जातिगत जनगणना’, ‘न्याय यात्रा’, और ‘साझा भागीदारी’ जैसे मुद्दों के जरिए आगामी चुनावों में उतरने की तैयारी में है। पार्टी का पूरा फोकस OBC, SC, ST और अल्पसंख्यक वर्गों को साधने पर है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि कांग्रेस इस रणनीति को ज़मीन पर ईमानदारी से लागू कर पाई, तो भाजपा के पारंपरिक वोटबैंक में असर जरूर पड़ेगा।
राहुल गांधी का ‘गलती स्वीकारने’ वाला बयान, न केवल कांग्रेस की वैचारिक स्थिति में परिवर्तन का संकेत है, बल्कि यह दर्शाता है कि पार्टी अब सामाजिक न्याय और सत्ता में भागीदारी के सवाल को अपने एजेंडे के केंद्र में लाने जा रही है। आने वाले समय में यह मुद्दा न केवल बहस में रहेगा, बल्कि चुनावी रणभूमि में भी निर्णायक साबित हो सकता है।