राजस्थान बॉर्डर पर तैनात हुई ‘उड़ने वाली तोप’ – अपाचे हेलिकॉप्टर, दुश्मनों के लिए बना काल

भारत की पश्चिमी सीमा यानी पाकिस्तान से लगते राजस्थान बॉर्डर पर अब कोई भी हलचल दुश्मनों की सलामती की गारंटी नहीं होगी। भारतीय वायुसेना ने यहां तैनात किया है ‘अपाचे AH-64E’ अटैक हेलिकॉप्टर – जिसे दुनिया का सबसे घातक युद्धक हेलिकॉप्टर माना जाता है। इसे सैन्य जानकार ‘उड़ने वाली तोप’ कहते हैं, जो दुश्मन के किसी भी ठिकाने को कुछ ही सेकंड में तबाह करने की क्षमता रखता है।

अपाचे की तैनाती – पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश

अपाचे की तैनाती कोई साधारण सैन्य गतिविधि नहीं, बल्कि पाकिस्तान को एक सख्त रणनीतिक संदेश है। बीते कुछ महीनों में सीमा पार से घुसपैठ और ड्रोन एक्टिविटी में इजाफा देखा गया है। ऐसे में भारत ने जवाब देने के लिए न केवल बॉर्डर मैनेजमेंट को मजबूत किया है, बल्कि हवाई ताकत को भी फ्रंटफुट पर लाया है।

पाकिस्तान की ओर से आने वाले खतरे को देखते हुए अब अपाचे हेलिकॉप्टर राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों में लगातार उड़ान भरकर निगरानी करेगा। ये हेलिकॉप्टर जमीन से हवा तक और हवा से जमीन तक मार करने में सक्षम है।

क्या है अपाचे AH-64E की खासियत?

अपाचे हेलिकॉप्टर को अमेरिकी कंपनी बोइंग ने तैयार किया है और इसे ‘बुलेटप्रूफ’ फ्लाइंग फाइटर के तौर पर जाना जाता है। भारतीय वायुसेना के पास अब तक 22 अपाचे हेलिकॉप्टर हैं, जिसमें से अब कई यूनिट्स को राजस्थान में तैनात किया गया है।

अपाचे की प्रमुख क्षमताएं:

गति: 293 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम रफ्तार

मारक क्षमता: AGM-114 हेलफायर मिसाइल, हाइड्रा 70 रॉकेट और 30 मिमी की चेन गन

रेंज: करीब 480 किलोमीटर

यह हेलिकॉप्टर दुश्मन की टैंकों से लेकर बंकर तक, और यहां तक कि चलती हुई गाड़ियों को भी निशाना बना सकता है।

राजस्थान में क्यों जरूरी थी अपाचे की तैनाती?

राजस्थान की सीमा पाकिस्तान से सटी हुई है और यहां थार रेगिस्तान फैला हुआ है, जो दुश्मनों के लिए छिपकर घुसपैठ करने का आसान रास्ता बन सकता है।

यहां कई संवेदनशील पॉइंट्स हैं – जैसलमेर, श्रीगंगानगर और बाड़मेर जैसे इलाके, जहां पहले भी युद्ध के दौरान सैन्य गतिविधियां हुई थीं।

अपाचे की तैनाती से इन क्षेत्रों की निगरानी अब तकनीक और मारक क्षमता के एक नए स्तर पर पहुंच गई है।

बॉर्डर पर बढ़ी तैयारी, भारतीय सेना पूरी तरह अलर्ट

अपाचे की तैनाती के साथ ही भारतीय सेना ने बॉर्डर पर अपने इंफ्रास्ट्रक्चर को और भी मजबूत किया है। नई बंकर लाइनें, उन्नत रडार सिस्टम और रेस्पॉन्स यूनिट्स तैनात की गई हैं।

भारतीय सेना के एक अधिकारी ने बताया, “हम हर चुनौती के लिए तैयार हैं। अपाचे की मौजूदगी से हमारे सैनिकों का मनोबल और मजबूत हुआ है।”

पाकिस्तानी ठिकाने अब अपाचे के निशाने पर
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि अपाचे की तैनाती से पाकिस्तान के कई सीमावर्ती मिलिट्री बेस अब सीधे भारतीय निशाने पर आ गए हैं।

ड्रोन लॉचिंग पैड, घुसपैठ के ट्रांजिट प्वाइंट्स और पाकिस्तान की चेक पोस्टें – ये सभी अब अपाचे की निगरानी और मारक दायरे में हैं।

अपाचे से पहले भारत किन हेलिकॉप्टर्स का करता था इस्तेमाल?
अपाचे से पहले भारतीय सेना मुख्य रूप से Mi-35 और HAL ध्रुव हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल करती थी। हालांकि ये हेलिकॉप्टर्स सीमित टेक्नोलॉजी और लोवर फायर पावर के चलते आधुनिक युद्ध की जरूरतों को पूरी तरह नहीं पूरा कर पा रहे थे।

अपाचे के आने से भारत को अब टैंकों से लेकर एयरबेस तक पूरी तरह सुरक्षित करने में बड़ी ताकत मिल चुकी है।

भविष्य की योजना – और अपाचे आएंगे भारत में

भारत ने अमेरिका से 6 और अपाचे हेलिकॉप्टर्स की डील की है, जो 2026 तक भारत को मिलने की उम्मीद है। इसके बाद अपाचे की तैनाती सिर्फ राजस्थान तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि पंजाब, जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों तक इसका विस्तार किया जाएगा।

अपाचे AH-64E की राजस्थान में तैनाती से यह स्पष्ट हो गया है कि भारत अब सिर्फ बचाव में नहीं, बल्कि हमलावर रणनीति के तहत अपनी सीमाओं की सुरक्षा कर रहा है।

‘उड़ने वाली तोप’ की तैनाती ने पाकिस्तान को कड़ा संदेश दे दिया है – अगर कोई सीमा पार करने की कोशिश करेगा, तो जवाब आसमान से आग बनकर बरसेगा।

 

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