अयोध्या में राम मंदिर के शिखर पर धर्म ध्वजा की स्थापना के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रतिक्रियाएं सामने आने लगी हैं। जैसे ही विश्व पटल पर राम मंदिर की इस विशेष धार्मिक प्रक्रिया की तस्वीरें और वीडियो वायरल हुए, पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने आधिकारिक बयान जारी कर अपनी प्रतिक्रिया दी। पाकिस्तान ने कहा कि “राम मंदिर के नाम पर भारत में अल्पसंख्यक समुदाय और मुस्लिम सांस्कृतिक विरासत को खतरा है।” इस बयान ने भारत में नई राजनीतिक बहस को जन्म दे दिया है।

भारत के अंदर जहां करोड़ों लोगों ने इस धार्मिक ध्वजा-स्थापना को ऐतिहासिक और भावनात्मक क्षण बताया, वहीं पाकिस्तान का यह बयान कई भारतीय नेताओं और विदेश नीति विशेषज्ञों को नागवार गुजरा। भारतीय पक्ष ने जवाब देते हुए पाकिस्तान को अपने “आंतरिक मामलों पर ध्यान देने” की नसीहत दी है।
पाकिस्तान का आधिकारिक बयान—क्या कहा इस्लामाबाद ने?
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने प्रेस रिलीज में कहा कि अयोध्या में “धर्म ध्वजा की स्थापना भारत की मुस्लिम विरासत को मिटाने की कोशिश है” और यह भारत में अल्पसंख्यक समुदायों के लिए “खतरे का संकेत” है।
इस्लामाबाद ने यह भी कहा कि “भारत को चाहिए कि वह सांप्रदायिक माहौल पैदा करने के बजाय धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता को संरक्षण देने की दिशा में काम करे।”
पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से भी भारत पर “दबाव बनाने” की बात कही।
भारत ने दिया दो-टूक जवाब—धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार हमारा आंतरिक विषय
भारत की ओर से सूत्रों ने स्पष्ट किया कि अयोध्या राम मंदिर का निर्माण और उससे जुड़ी सभी धार्मिक प्रक्रियाएं भारत का पूर्णतः आंतरिक मामला हैं।
भारत का कहना है—
भारत सभी धर्मों का सम्मान करता है
किसी भी देश को भारत की धार्मिक प्रक्रियाओं पर टिप्पणी करने का अधिकार नहीं
पाकिस्तान को पहले अपने यहां अल्पसंख्यकों की स्थिति सुधारनी चाहिए
भारतीय विशेषज्ञों ने भी कहा कि पाकिस्तान का बयान “अनावश्यक और राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित” है, जिसका वास्तविकता से कोई लेना-देना नहीं है।
राम मंदिर में धर्म ध्वजा की स्थापना—क्या है इसका धार्मिक महत्व?
अयोध्या में निर्मित भव्य राम मंदिर का शिखर भगवान राम के राजचिह्न, धर्म और विजय के प्रतीक ध्वज से सजा दिया गया।
हिंदू धर्म में धर्म ध्वजा का अर्थ है
धर्म का उत्थान
असत्य पर सत्य की विजय
संस्कृति और सभ्यता का प्रतिनिधित्व
दैवीय ऊर्जा का प्रतीक
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अनुसार, यह ध्वज मंदिर के उद्घाटन के बाद की सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक क्रियाओं में से एक है।
ध्वजा-स्थापना के अवसर पर हजारों भक्त शामिल रहे और इस आयोजन को धार्मिक उत्सव की तरह मनाया गया।
भारत-पाकिस्तान के बीच धार्मिक मुद्दों पर मतभेद नया नहीं
भारत-पाकिस्तान के बीच धार्मिक और सांस्कृतिक मुद्दों को लेकर समय-समय पर विवाद होते रहे हैं।
2019 में अनुच्छेद 370 पर पाकिस्तान ने कड़ा विरोध जताया
2020 में राम मंदिर भूमि पूजन पर भी पाकिस्तान की प्रतिक्रिया आई थी
हिंदू और सिख मंदिरों के मुद्दे पर भी पाकिस्तान अक्सर भारत पर आरोप लगाता आई है
विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान अपनी घरेलू राजनीति को साधने और लोगों का ध्यान आंतरिक समस्याओं से हटाने के लिए ऐसे बयान देता रहता है।
विशेषज्ञ क्या कहते हैं—पाकिस्तान का बयान राजनीतिक?
विदेश नीति विशेषज्ञ इस मुद्दे को भारत के धार्मिक अधिकारों पर अनावश्यक हस्तक्षेप मानते हैं।
कई विश्लेषकों का यह भी कहना है कि—
पाकिस्तान अपने घरेलू संकट से ध्यान हटाना चाहता है
धार्मिक मुद्दों पर बयान देकर वह अपनी कट्टरपंथी राजनीति को मजबूत करता है
अयोध्या मुद्दे का पाकिस्तान की भू-राजनीतिक स्थिति से कोई सीधा संबंध नहीं है
भारत के पूर्व राजनयिकों का कहना है कि “धर्म ध्वजा भारत का सांस्कृतिक प्रतीक है। इसे राजनीतिक चश्मे से देखना पाकिस्तान की पुरानी नीति का हिस्सा है।”
भारत में राजनीतिक प्रतिक्रिया—पाकिस्तान को करारा जवाब
भारतीय राजनीतिक दलों ने पाकिस्तान के बयान को भारत के आंतरिक मामलों में दखल बताया है।
कई नेताओं ने कहा—
“यह भारत की सांस्कृतिक आस्था का विषय है”
“पाकिस्तान को अपने हालात देखना चाहिए”
“भारत में सभी धर्मों को बराबर सम्मान और स्वतंत्रता मिलती है”
सोशल मीडिया पर भी पाकिस्तान के बयान की तीखी आलोचना देखी जा रही है।
हजारों यूज़र्स ने लिखा कि पाकिस्तान को अपने यहां अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए, बजाय भारत के धार्मिक समारोहों पर बयान देने के।
धर्म ध्वजा विवाद—क्या बढ़ेगा भारत–पाक तनाव?
हालांकि यह विवाद बड़ा राजनयिक संकट बनने की संभावना नहीं रखता, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत-पाक के बीच पहले से तनावपूर्ण रिश्तों में यह एक और अध्याय जुड़ गया है।
फिर भी भारत की आधिकारिक नीति यही रही है कि धार्मिक उत्सव और मंदिरों से जुड़े कार्यक्रमों पर बाहरी देशों की टिप्पणी स्वीकार्य नहीं।
अयोध्या राम मंदिर के शिखर पर धर्म ध्वजा की स्थापना एक ऐतिहासिक, धार्मिक और भावनात्मक क्षण है।
पाकिस्तान का इस पर सवाल उठाना भारतीय राजनीतिक, सांस्कृतिक और कूटनीतिक हलकों में तीखी प्रतिक्रिया का कारण बना है।
भारत ने स्पष्ट संदेश दे दिया है कि यह उसका संपूर्ण आंतरिक मामला है और किसी भी बाहरी देश को इस पर टिप्पणी का अधिकार नहीं।
राम मंदिर का निर्माण और उससे जुड़े धार्मिक अनुष्ठान न सिर्फ भारत की संस्कृति का प्रतिनिधित्व करते हैं, बल्कि करोड़ों भक्तों की आस्था से जुड़े मुद्दे हैं—जिन पर विवाद खड़ा करना राजनीतिक लाभ का हिस्सा माना जा रहा है।
