
रांची: पूर्व पार्षद असलम को कोर्ट से मिली बेल, जेल से बाहर आते ही पुलिस ने फिर लिया हिरासत में ।
रांची में सोमवार को एक चौंकाने वाली घटना सामने आई, जब पूर्व पार्षद असलम को कोर्ट से जमानत मिलने के बावजूद जेल से बाहर निकलते ही पुलिस ने दोबारा हिरासत में ले लिया। इस पूरे घटनाक्रम ने शहर में चर्चा का विषय बना दिया है।
सूत्रों के मुताबिक, पूर्व पार्षद असलम को पहले एक पुराने आपराधिक मामले में गिरफ्तार किया गया था। हाल ही में इस मामले में कोर्ट ने उन्हें बेल मंजूर कर दी। सोमवार को सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद असलम जेल से बाहर निकले, लेकिन गेट पर ही पहले से मौजूद पुलिस टीम ने उन्हें फिर से घेर लिया और हिरासत में ले लिया।
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि असलम के खिलाफ एक और गंभीर मामला दर्ज है, जिसमें वे वांछित हैं। इसी केस के सिलसिले में उन्हें दोबारा हिरासत में लिया गया है। पुलिस का दावा है कि इस नए मामले में सबूत और गवाहों के बयान काफी मजबूत हैं, जिसके आधार पर कार्रवाई की गई है। हालांकि, अधिकारियों ने मामले से जुड़े विस्तृत विवरण और धाराओं की जानकारी अभी सार्वजनिक नहीं की है।
असलम का नाम शहर के कई विवादित मामलों में पहले भी आ चुका है। राजनीतिक सफर में सक्रिय रहने के साथ-साथ उन पर कई आपराधिक मामलों में संलिप्त होने के आरोप लगे हैं। समर्थकों का कहना है कि उनके खिलाफ की जा रही कार्रवाई राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित है। वहीं, पुलिस का कहना है कि यह केवल कानूनन प्रक्रिया है और सबूतों के आधार पर ही कदम उठाया गया है।
जेल गेट पर हुई इस गिरफ्तारी के दौरान बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे। जैसे ही असलम को दोबारा पुलिस वाहन में बैठाया गया, समर्थकों में आक्रोश फैल गया। कुछ लोगों ने पुलिस के इस कदम का विरोध किया और नारेबाजी भी की। मौके पर मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए अतिरिक्त बल बुलाया और भीड़ को शांत कराया।
कानूनी जानकारों का कहना है कि बेल मिलने के बाद भी अगर किसी व्यक्ति पर दूसरे मामलों में गिरफ्तारी की जाती है तो यह पूरी तरह से कानूनी है, बशर्ते पुलिस के पास वैध गिरफ्तारी वारंट हो। इस मामले में भी पुलिस के पास कोर्ट से जारी वारंट होने की बात कही जा रही है।
राजनीतिक गलियारों में इस घटना को लेकर अलग-अलग तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। विपक्षी दलों ने पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं और इसे “लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन” बताया है। उनका कहना है कि यदि असलम पर कोई नया मामला दर्ज है तो उसकी जानकारी पहले सार्वजनिक होनी चाहिए थी। वहीं, सत्ताधारी दल के नेताओं का कहना है कि कानून सभी के लिए समान है और अगर कोई अपराध करेगा तो उसे सजा जरूर मिलेगी, चाहे वह किसी भी पद पर रहा हो।
इस मामले ने शहर में कानून-व्यवस्था को लेकर भी बहस छेड़ दी है। लोग सोशल मीडिया पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। कुछ का मानना है कि यह कार्रवाई सही दिशा में कदम है और अपराधियों पर सख्ती होनी चाहिए, जबकि कुछ लोग इसे राजनीति से प्रेरित बता रहे हैं।
पूर्व पार्षद असलम को हिरासत में लेने के बाद पुलिस उन्हें थाने ले गई, जहां उनसे पूछताछ जारी है। सूत्रों के अनुसार, इस नए मामले में कई और लोगों के नाम भी सामने आ सकते हैं और आने वाले दिनों में और गिरफ्तारियां हो सकती हैं। पुलिस इस मामले की जांच में तेजी दिखा रही है ताकि जल्द से जल्द आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल किया जा सके।
जमानत मिलने और फिर तत्काल गिरफ्तारी की यह घटना रांची में पहली बार नहीं हुई है, लेकिन जिस तरह से यह घटनाक्रम जेल गेट पर सबके सामने हुआ, उसने इसे सुर्खियों में ला दिया है। अब देखना यह होगा कि पुलिस जांच में क्या नया खुलासा करती है और कोर्ट में इस मामले का अगला कदम क्या होता है।