
रांची। राजधानी रांची में हिंदी दिवस (Hindi Diwas 2025) बड़े ही उत्साह और गरिमा के साथ मनाया गया। इस अवसर पर विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी संस्थानों, विश्वविद्यालयों, कॉलेजों तथा स्कूलों में विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। समारोह का मुख्य उद्देश्य हिंदी भाषा को बढ़ावा देना, उसकी महत्ता पर चर्चा करना और युवाओं को मातृभाषा के प्रयोग के लिए प्रेरित करना रहा।
हिंदी दिवस का महत्व
हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। 14 सितंबर 1949 को भारत की संविधान सभा ने हिंदी को देश की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया था। इस ऐतिहासिक दिन को याद रखने और हिंदी को जन-जन तक पहुंचाने के लिए यह दिवस मनाया जाता है। हिंदी दिवस न केवल भाषा का उत्सव है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर, पहचान और एकता का प्रतीक भी है।
रांची में हुए आयोजन
रांची के मोरहाबादी मैदान, रांची विश्वविद्यालय, प्रेस क्लब, केंद्रीय विद्यालय और विभिन्न सरकारी दफ्तरों में हिंदी दिवस समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रमों में कविता पाठ, भाषण प्रतियोगिता, निबंध लेखन, वाद-विवाद और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां शामिल रहीं।
रांची विश्वविद्यालय में आयोजित मुख्य समारोह में कुलपति ने कहा कि हिंदी भाषा केवल संचार का माध्यम नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की आत्मा है।
राज्य पुस्तकालय रांची में हिंदी साहित्य पर आधारित प्रदर्शनी लगाई गई जिसमें प्रेमचंद, हरिवंश राय बच्चन, महादेवी वर्मा और अन्य साहित्यकारों की कृतियां प्रदर्शित की गईं।
स्कूल-कॉलेजों में छात्रों ने “हिंदी का बढ़ता महत्व”, “डिजिटल युग में हिंदी की भूमिका” जैसे विषयों पर भाषण दिए।
सरकारी विभागों में विशेष कार्यक्रम
राज्य सरकार के विभिन्न विभागों ने भी हिंदी दिवस पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए। कर्मचारियों को शपथ दिलाई गई कि वे दफ्तर के कामकाज में हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देंगे। झारखंड सरकार ने इस अवसर पर सभी विभागों को पत्र जारी कर राजभाषा हिंदी के प्रयोग पर विशेष जोर दिया।
डिजिटल युग और हिंदी की भूमिका
आज के डिजिटल युग में हिंदी का महत्व तेजी से बढ़ रहा है। गूगल सर्च, सोशल मीडिया, यूट्यूब और ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म्स पर हिंदी सामग्री की मांग सबसे ज्यादा हो चुकी है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, आने वाले वर्षों में इंटरनेट पर हिंदी उपयोगकर्ताओं की संख्या अंग्रेजी से अधिक होगी।
ई-कॉमर्स कंपनियां भी हिंदी भाषा में सेवाएं उपलब्ध करा रही हैं।
रांची के विशेषज्ञों ने समारोह में बताया कि युवाओं को हिंदी कंटेंट क्रिएशन, हिंदी पत्रकारिता और हिंदी ब्लॉगिंग के क्षेत्र में करियर बनाने का सुनहरा अवसर है।
हिंदी और रोजगार
कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि हिंदी केवल साहित्य की भाषा नहीं रही, बल्कि यह रोजगार, व्यवसाय और तकनीक की भाषा बनती जा रही है।
सरकारी नौकरियों में हिंदी ज्ञान आवश्यक है।
निजी कंपनियां भी अब हिंदी कंटेंट क्रिएटर और अनुवादक की मांग कर रही हैं।
हिंदी फिल्म इंडस्ट्री, टीवी और ओटीटी प्लेटफॉर्म पर हिंदी की लोकप्रियता सबसे ज्यादा है।
प्रतिभागियों की उत्साहपूर्ण भागीदारी
हिंदी दिवस समारोह में छात्रों और युवाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। कई छात्रों ने हिंदी में कविताएं और नारे प्रस्तुत किए—जिनमें “हिंदी है हमारी शान, हिंदी से बढ़े देश की पहचान” जैसे संदेश गूंजे।
चुनौतियां और समाधान
हालांकि हिंदी का महत्व बढ़ रहा है, लेकिन अंग्रेजी व विदेशी भाषाओं के प्रभाव से हिंदी को चुनौतियां भी मिल रही हैं। विशेषज्ञों ने सुझाव दिए—
1. हिंदी में तकनीकी शब्दावली का विकास किया जाए।
2. शिक्षा व्यवस्था में हिंदी को मजबूत किया जाए।
3. युवाओं को हिंदी लेखन और पत्रकारिता की ओर आकर्षित किया जाए।
4. सरकारी स्तर पर हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए और अभियान चलाए जाएं।
रांची में मनाया गया हिंदी दिवस केवल एक आयोजन नहीं था, बल्कि यह भाषा, संस्कृति और राष्ट्र की एकता का उत्सव था। कार्यक्रमों से यह स्पष्ट संदेश मिला कि हिंदी भाषा देश की आत्मा है और इसे सशक्त बनाना हर भारतीय का कर्तव्य है। डिजिटल युग में हिंदी का महत्व और भी बढ़ गया है और आने वाला समय निश्चित रूप से हिंदी के स्वर्ण युग का होगा।