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रांची। झारखंड की राजधानी रांची में पुलिस प्रशासन ने एक अहम कदम उठाया है। थानों में निजी चालकों को रखने की प्रथा पर रोक लगा दी गई है। पुलिस मुख्यालय ने आदेश जारी करते हुए कहा है कि अब थानों में निजी या बाहरी व्यक्तियों को चालक के रूप में तैनात नहीं किया जाएगा। यह निर्णय सुरक्षा, पारदर्शिता और शुचिता बनाए रखने के उद्देश्य से लिया गया है।
पुलिस मुख्यालय के अधिकारियों का कहना है कि लंबे समय से थानों और पुलिस विभाग के विभिन्न वाहनों को चलाने के लिए निजी चालकों की सेवाएं ली जा रही थीं। कई बार इन निजी चालकों के खिलाफ अनुशासनहीनता, लापरवाही और गोपनीय सूचनाओं के लीक होने जैसी शिकायतें सामने आईं। इसके अलावा, कई चालकों का आपराधिक पृष्ठभूमि से संबंध होने की आशंका भी जताई जाती रही है।
क्यों लगाया गया यह प्रतिबंध?
थानों में निजी चालकों की नियुक्ति को लेकर कई बार सवाल उठे। एक ओर जहां सरकारी संसाधनों के बेहतर प्रबंधन की बात सामने आई, वहीं दूसरी ओर सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं जताई गईं।
1. सुरक्षा खतरे:
निजी चालकों के पास थानों के संवेदनशील दस्तावेजों और सूचनाओं तक पहुंच रहती थी। इससे सुरक्षा में सेंध की संभावना बढ़ जाती थी।
2. अनुशासन का अभाव:
निजी चालक सीधे तौर पर पुलिस विभाग के कर्मचारी नहीं होते। ऐसे में उन पर विभागीय अनुशासन लागू करना कठिन होता है।
3. वित्तीय पारदर्शिता:
निजी चालकों को रखने में खर्च का स्पष्ट रिकॉर्ड नहीं रहता। कई बार अतिरिक्त खर्च की शिकायतें भी मिलती थीं।
नई व्यवस्था कैसी होगी?
पुलिस मुख्यालय ने संकेत दिए हैं कि अब चालक के पद पर केवल विभागीय कर्मचारी ही तैनात किए जाएंगे। इसके लिए एक नई व्यवस्था तैयार की जा रही है।
सरकारी ड्राइवरों की भर्ती बढ़ाई जाएगी।
पुलिस कर्मियों को ही ड्राइविंग का प्रशिक्षण देकर तैनात किया जाएगा।
चालकों का बैकग्राउंड वेरिफिकेशन अनिवार्य किया जाएगा।
सभी वाहनों की GPS आधारित मॉनिटरिंग होगी।
पुलिस मुख्यालय ने जिलों के पुलिस अधीक्षकों से प्रस्ताव मांगे हैं कि कितने चालकों की आवश्यकता है और किन पदों पर विभागीय समायोजन संभव है।
पुलिस अधिकारियों की प्रतिक्रिया
रांची के पुलिस अधीक्षक ने कहा
,”यह निर्णय लंबे समय से चर्चा में था। थानों की कार्यप्रणाली को पारदर्शी और सुरक्षित बनाने के लिए यह जरूरी कदम था। नई व्यवस्था लागू होने से संसाधनों का बेहतर प्रबंधन होगा और बाहरी व्यक्तियों की दखलअंदाजी कम होगी।”
वहीं, कई थाना प्रभारियों ने बताया कि निजी चालकों को हटाने से शुरुआती दिक्कतें जरूर आएंगी, लेकिन लंबी अवधि में यह कदम विभाग के लिए लाभकारी साबित होगा।
निजी चालकों की राय
निजी चालकों का कहना है कि अचानक लिए गए इस निर्णय से उनकी रोज़गार पर असर पड़ेगा। कई लोग वर्षों से थानों में सेवाएं दे रहे थे। वे चाहते हैं कि सरकार उनके पुनर्वास या वैकल्पिक रोजगार की व्यवस्था करे।
प्रशासनिक सुधार की दिशा में बड़ा कदम
झारखंड पुलिस द्वारा यह कदम केवल चालकों की नियुक्ति तक सीमित नहीं रहेगा। सूत्रों का कहना है कि आने वाले समय में थानों की कार्यप्रणाली, वित्तीय प्रबंधन और कार्मिक तैनाती से जुड़े अन्य सुधार भी लागू किए जाएंगे।
थानों में CCTV निगरानी को और मजबूत किया जाएगा।
संवेदनशील सूचनाओं के प्रबंधन में डिजिटल सुरक्षा उपाय बढ़ाए जाएंगे।
गोपनीय फाइलों और केस डायरी की सुरक्षा के लिए विशेष प्रोटोकॉल तैयार होगा।
सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रिया
इस निर्णय पर सामाजिक संगठनों ने मिश्रित प्रतिक्रिया दी है। कुछ संगठनों ने इसे सकारात्मक कदम बताया है, जबकि कुछ का कहना है कि बिना वैकल्पिक व्यवस्था के निजी चालकों को हटाना उनके परिवारों पर बोझ डाल सकता है।
राजनीतिक हलकों में भी इस फैसले को लेकर चर्चा है। विपक्ष ने कहा कि सरकार को अचानक ऐसे फैसले लेने से पहले व्यापक स्तर पर विचार-विमर्श करना चाहिए। वहीं, सत्ता पक्ष का कहना है कि सुरक्षा और पारदर्शिता सर्वोच्च प्राथमिकता है।
आगे की राह
पुलिस मुख्यालय ने साफ कर दिया है कि यह निर्णय अंतिम है। आने वाले महीनों में सभी थानों और पुलिस इकाइयों में नई व्यवस्था लागू कर दी जाएगी।
सभी चालकों की बैकग्राउंड जांच शुरू हो गई है।
सरकारी चालकों की भर्ती प्रक्रिया जल्द शुरू होगी।
ड्राइविंग प्रशिक्षण केंद्रों को सक्रिय किया जाएगा।
रांची और पूरे झारखंड में पुलिस प्रशासन के इस निर्णय से सुरक्षा व्यवस्था और प्रशासनिक पारदर्शिता को नई दिशा मिलेगी। भले ही शुरुआत में कुछ चुनौतियां सामने आएं, लेकिन दीर्घकाल में यह व्यवस्था पुलिस कार्यप्रणाली को और अधिक सक्षम और जवाबदेह बनाएगी।