
रांची: झारखंड की राजधानी रांची में खाद्य आपूर्ति विभाग ने बड़ा कदम उठाने की तैयारी कर ली है। जिले में करीब 1.30 लाख राशनकार्डधारियों के नाम रद्द होने की संभावना जताई जा रही है। प्रशासन का कहना है कि इनमें से अधिकतर लोग अयोग्य लाभुक की श्रेणी में आते हैं। सरकार की मंशा है कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) का लाभ केवल उन्हीं तक पहुंचे जो इसके वास्तविक हकदार हैं।
पिछले कुछ वर्षों में राशन कार्ड योजना में अनियमितता के कई मामले सामने आए हैं। ऐसे में रांची जिला प्रशासन ने लाभुकों की सूची की गहन समीक्षा शुरू कर दी है। जांच में पाया गया कि कई लाभार्थी सरकारी नौकरी में हैं, आय सीमा से अधिक कमा रहे हैं, या फिर शहरी क्षेत्रों में खुद का व्यवसाय चलाते हैं। ऐसे लोगों ने गलत तरीके से राशन कार्ड बनवा लिया और गरीब परिवारों के हक का अनाज उठा रहे थे।
कैसे हो रही है जांच?
खाद्य आपूर्ति विभाग ने राशनकार्डधारियों का डिजिटल वेरीफिकेशन शुरू किया है। इसके तहत लाभुकों के आधार कार्ड, आय प्रमाणपत्र, पारिवारिक स्थिति और बैंक खाते की जांच की जा रही है। जिन लोगों के नाम डुप्लीकेट या फर्जी पाए जाएंगे, उनके कार्ड रद्द कर दिए जाएंगे।
जांच प्रक्रिया में अब तक हजारों कार्ड संदिग्ध पाए गए हैं। विभाग का अनुमान है कि आने वाले कुछ हफ्तों में 1.30 लाख कार्डों की अंतिम सूची जारी की जाएगी। जिनके कार्ड रद्द होंगे, उन्हें नोटिस भेजकर जवाब मांगा जाएगा।
प्रशासन की सख्त कार्रवाई
रांची उपायुक्त ने बताया कि अयोग्य राशनकार्डधारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी। इससे न केवल सरकारी अनाज की चोरी रुकेगी बल्कि वास्तविक गरीब परिवारों को उनका हक भी मिलेगा।
प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया कि जो लोग स्वेच्छा से अपने कार्ड सरेंडर करेंगे, उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं होगी। इसके लिए विभाग ने ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यम से प्रक्रिया शुरू की है।
क्यों हो रही है यह कार्रवाई?
झारखंड सरकार ने हाल ही में पाया कि राज्य में लाखों राशन कार्ड फर्जी या गैर-जरूरी हैं। इससे हर साल करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है। गरीबों के लिए भेजा गया अनाज बिचौलियों के माध्यम से बाजार में बेचा जा रहा है।
इस कार्रवाई का मुख्य उद्देश्य सार्वजनिक वितरण प्रणाली को पारदर्शी और प्रभावी बनाना है। सरकार चाहती है कि गरीबी रेखा से नीचे (BPL) और अंत्योदय योजना के पात्र परिवारों तक ही अनाज पहुंचे।
लाभुकों पर क्या असर होगा?
जिन लोगों के कार्ड रद्द होंगे, उन्हें सस्ते गल्ले की दुकानों से अनाज नहीं मिलेगा। साथ ही, राशन कार्ड से जुड़े अन्य सरकारी लाभ भी बंद हो जाएंगे। प्रशासन का दावा है कि वास्तविक जरूरतमंदों को कोई परेशानी नहीं होगी।
जनता से अपील
खाद्य आपूर्ति विभाग ने आम जनता से अपील की है कि यदि वे पात्रता के दायरे से बाहर हैं, तो स्वेच्छा से अपना कार्ड सरेंडर करें। इससे न केवल उनका नाम गलत सूची से हट जाएगा बल्कि योग्य परिवारों को लाभ मिल सकेगा।
रांची प्रशासन का यह कदम पारदर्शिता की दिशा में अहम पहल है। यदि यह प्रक्रिया सफल रही तो न केवल अनाज वितरण व्यवस्था सुधरेगी बल्कि भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़ा भी कम होगा। आने वाले दिनों में यह अभियान पूरे झारखंड में लागू हो सकता है।