
रांची (झारखंड): सिल्ली थाना क्षेत्र में अवैध बालू परिवहन को लेकर ग्रामीणों ने बड़ा कदम उठाया। देर रात ग्रामीणों ने 10 हाइवा को रोककर पकड़ लिया, जो कथित रूप से अवैध तरीके से बालू लोड कर ले जा रहे थे। इस घटना से पूरे इलाके में हंगामा मच गया। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि लंबे समय से बालू माफिया इस इलाके में सक्रिय हैं और प्रशासन की मिलीभगत से यह धंधा फल-फूल रहा है।
घटना कैसे हुई?
सोमवार की रात करीब 11 बजे सिल्ली थाना क्षेत्र के मुख्य सड़क से गुजरते समय ग्रामीणों ने संदिग्ध हाइवा ट्रकों को रोक लिया। जांच करने पर पाया गया कि ट्रक अवैध तरीके से बालू लादकर जा रहे थे। ग्रामीणों ने तत्काल हाइवा चालकों को रोककर पुलिस को सूचना दी। कुछ देर बाद पुलिस मौके पर पहुंची और सभी वाहनों को कब्जे में ले लिया।
ग्रामीणों का आरोप: माफिया और प्रशासन की मिलीभगत
स्थानीय लोगों ने बताया कि इस इलाके में लंबे समय से बालू माफिया सक्रिय हैं। रात के अंधेरे में नदियों से बालू की अवैध निकासी कर ट्रकों के माध्यम से इसे विभिन्न इलाकों में पहुंचाया जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन की नाक के नीचे यह खेल चल रहा है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती। इससे न सिर्फ सरकारी राजस्व को नुकसान हो रहा है, बल्कि नदी का प्राकृतिक संतुलन भी बिगड़ रहा है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
सिल्ली थाना प्रभारी ने बताया कि ग्रामीणों की सूचना पर तत्काल कार्रवाई करते हुए 10 हाइवा को जब्त किया गया है। मामले की जांच चल रही है और इसमें शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि अवैध बालू खनन पर रोक लगाने के लिए विशेष निगरानी टीम बनाई जा रही है।
अवैध बालू खनन से होने वाले नुकसान
1. पर्यावरणीय असंतुलन: नदी की धारा बदल जाती है, जिससे बाढ़ और जल संकट का खतरा बढ़ता है।
2. सड़क दुर्घटनाएं: ओवरलोडेड हाइवा ट्रक अक्सर सड़क हादसों का कारण बनते हैं।
3. सरकारी राजस्व की हानि: वैध रॉयल्टी जमा नहीं होने से राज्य को करोड़ों का नुकसान होता है।
4. स्थानीय लोगों की परेशानियां: लगातार भारी वाहनों की आवाजाही से गांव की सड़कों की हालत खराब हो जाती है और धूल प्रदूषण बढ़ता है।
ग्रामीणों की मांग
अवैध खनन में शामिल माफियाओं की तुरंत गिरफ्तारी।
प्रशासनिक अधिकारियों की भूमिका की जांच।
नदी क्षेत्रों में 24 घंटे निगरानी के लिए पुलिस बल की तैनाती।
वैध खनन नीति लागू करने के लिए पारदर्शी प्रक्रिया।
झारखंड में अवैध खनन की बड़ी चुनौती
झारखंड में अवैध बालू खनन कोई नई समस्या नहीं है। रांची, खूंटी, रामगढ़, हजारीबाग, और बोकारो जैसे जिलों में यह समस्या गंभीर रूप ले चुकी है। विशेषज्ञों का कहना है कि सख्त कानून होने के बावजूद अमल में कमी के कारण माफिया निर्भीक होकर इस कारोबार को चला रहे हैं।
कानूनी पहलू
भारतीय खनिज अधिनियम और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत बिना वैध लाइसेंस बालू खनन अपराध है। इसके लिए जुर्माने के साथ-साथ जेल की सजा का भी प्रावधान है। सरकार समय-समय पर नदियों के खनन के लिए ई-नीलामी करती है, लेकिन माफिया गैंग अक्सर गैरकानूनी तरीके से बालू निकाल लेते हैं।
स्थानीय राजनीति का असर
सिल्ली विधानसभा क्षेत्र में लंबे समय से अवैध खनन को लेकर राजनीति भी गर्म रही है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों पर आरोप है कि वे बालू माफियाओं को संरक्षण देते हैं। कई बार ग्रामीणों के विरोध के बावजूद कार्रवाई सिर्फ दिखावे तक सीमित रह जाती है। इस बार ग्रामीणों की सख्त कार्रवाई ने प्रशासन को मजबूर कर दिया है कि वे असली दोषियों तक पहुंचें।
भविष्य में क्या होगा?
सरकार ने संकेत दिए हैं कि अवैध खनन रोकने के लिए ड्रोन सर्विलांस और जीपीएस मॉनिटरिंग सिस्टम लागू किया जाएगा। साथ ही, अवैध बालू परिवहन पर जुर्माना बढ़ाने और लाइसेंस प्रणाली को डिजिटल करने की योजना है। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक कठोर कार्रवाई नहीं होती, तब तक यह माफिया तंत्र खत्म नहीं होगा।
सिल्ली की इस घटना ने एक बार फिर झारखंड में अवैध खनन की गंभीरता को उजागर किया है। अगर सरकार, प्रशासन और स्थानीय जनता मिलकर कठोर कदम उठाए, तभी इस अवैध धंधे पर अंकुश लगाया जा सकता है। अन्यथा, प्राकृतिक संसाधनों की यह लूट आने वाली पीढ़ियों के लिए बड़ा संकट बन सकती है।