भोजपुरी सिनेमा के चर्चित कलाकार और विधायक-सांसद रवि किशन (भाजपा) को बिहार से फोन पर जान से मारने की धमकी मिलने का मामला सामने आया है। यह घटना न सिर्फ व्यक्तिगत स्तर पर चिंताजनक है बल्कि राजनीतिक व सामाजिक माहौल पर भी सवाल खड़ा करती है।
घटना का संक्षिप्त विवरण
रवि किशन को एक कॉल आया था, जिसने खुद को आरा जिले के जवनिया गांव निवासी “अजय कुमार यादव” बताया। कॉल उनके निजी सचिव शिवम द्विवेदी के मोबाइल पर आया। आरोपी ने कहा कि “अगर यादवों पर टिप्पणी करोगे तो गोली मार दूँगा”, तथा ४ दिन बाद जब सांसद बिहार आएँगे तब “मार गिराऊँगा” जैसी धमकियाँ दीं। कॉल के दौरान अभद्र भाषा के साथ-साथ धार्मिक एवं जातिगत अपमानजनक टिप्पणियाँ की गईं। सांसद के निजी सचिव ने स्पष्ट किया कि रवि किशन ने किसी समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी नहीं की है—but आरोपी ने गाली-गलौज और अपमानजनक भाषा नहीं रोकी।
कार्रवाई और शिकायत
इस मामले में गोरखपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) एवं स्थानीय पुलिस को लिखित शिकायत दर्ज कराई गई है। शिकायत में कहा गया है कि सांसद की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए तथा आरोपी की तत्काल गिरफ्तारी हो। पुलिस ने अभी तक आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया है लेकिन साइबर एवं मॉनिटरिंग टीमों द्वारा कॉल-डाटा और ट्रैकिंग सहित जाँच शुरू कर दी गई है।
रवि किशन का बयान
रवि किशन ने इस घटना को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सार्वजनिक किया है। उन्होंने कहा है कि इस तरह की धमकियाँ व्यक्तिगत हमला ही नहीं बल्कि हमारे धर्म, संस्कृति और सामाजिक समरसता पर हमला हैं। उन्होंने कहा-
“मैं न डरूंगा न झुकूंगा। सेवा-भावना, राष्ट्रीयता और धर्म मेरा जीवन-संकल्प है।”
राजनीतिक एवं सामाजिक पृष्ठभूमि
यह मामला विशेष रूप से इसलिए संवेदनशील है क्योंकि आगामी बिहार विधानसभा-चुनाव के पूर्व सामाजिक-जातिगत अल्पसंख्यक तथा समाज-वर्गीय भावनाएँ गरमाई हुई हैं। आरोपी ने अपने कॉल में यादव समुदाय को लेकर टिप्पणी का हवाला दिया।
रवि किशन उत्तर प्रदेश की गोरखपुर लोकसभा सीट से सांसद हैं, और बिहार के राजनीतिक परिदृश्य से उनका पुराना जुड़ाव रहा है। वर्तमान में सामाजिक सरोकारों, धर्म-संस्कृति एवं क्षेत्रीय राजनीति के बीच उनका मूवमेंट चर्चित है। ऐसे में यह धमकी, स्थानीय राजनीति, सुरक्षा और सामाजिक व्यापकता के विचार से महत्वपूर्ण बन जाती है।
सुरक्षा-चिन्ताएँ और सुझाव
सांसद की मौजूदगी और कार्यक्रमों की सुरक्षा व्यवस्था दोबारा जाँची जा रही है। पुलिस को कहा गया है कि इन्हें तत्काल प्रभावी सुरक्षा कवच दिया जाए।
कॉल-डेटा, मोबाइल नंबर ट्रैकिंग एवं संदिग्ध लोकेशन की पड़ताल होनी चाहिए।
धमकी देने वाली भाषा में धार्मिक अपमान भी शामिल थी, जिससे सामाजिक शांति बनाए रखने पर जोर देना होगा।
चुनावी माहौल में इस तरह की घटनाएँ बढ़ोतरी का संकेत हो सकती हैं—इसलिए राज्य-व्यापी नजर रखनी होगी।
सामान्यत: राजनीति में विवाद, भाषण-विमर्श, बयानबाजी बनी रहती है, लेकिन जब बात जान से मारने की धमकी तक पहुँच जाती है, तो यह सिर्फ एक व्यक्तिगत मामला नहीं रह जाता—यह कानून-व्यवस्था, सामाजिक सद्भाव और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को चुनौती देता है। इसके अलावा यह घटना यह संकेत देती है कि चुनावी माहौल में बोलचाल की भाषा, सामाजिक धाराएँ और राजनीतिक बयान कितनी तेजी से चरम पर पहुँच सकती हैं।
रवि किशन ने स्पष्ट कर दिया है कि वह इन बातों से डरने वाले नहीं हैं। अब जिम्मेदारी बनती है कि पुलिस और प्रशासन समय रहते सक्रिय हों, ताकि इस तरह की घटनाएँ न सिर्फ तुरंत रोकी जा सकें बल्कि सामाजिक माहौल सुरक्षित और समरस बना रहे।
