
“नमक: ‘साइलेंट किलर’ जो बढ़ा रहा है दिल और किडनी का ख़तरा”
स्वाद का तड़का माना जाने वाला नमक आज एक गंभीर स्वास्थ्य संकट—‘साइलेंट किलर’—के रूप में उभर रहा है। भारत में अधिकांश लोग विज्ञान प्रदत्त सुरक्षित सीमा से दोगुना नमक प्रत्येक दिन सेवन कर रहे हैं, जिसकी वजह से हृदय और गुर्दे से जुड़ी जानलेवा बीमारियाँ तेजी से बढ़ रही हैं। यह ख़तरा अब सिर्फ व्यक्तिगत आदत नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपात बन चुका है।
1. खतरनाक मात्रा में नमक का सेवन
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, वयस्कों का दैनिक नमक सेवन 5 ग्राम से अधिक नहीं होना चाहिए। परंतु ICMR के अध्ययन से स्पष्ट हुआ है कि भारतीयों का औसत सेवन कहीं अधिक है—शहरी क्षेत्रों में लगभग 9.2 ग्राम, जबकि ग्रामीण इलाकों में भी 5.6 ग्राम प्रतिदिन होता है ।
एक अन्य रिपोर्ट बताती है कि औसत भारतीय लगभग 12 ग्राम नमक रोज़ाना सेवन करता है—दो गुना सुरक्षित सीमा से अधिक—और इससे सालाना लगभग 1.75 लाख मृत्यु होती हैं ।
2. हत्या जैसा खामोश हमला: हाई ब्लड-प्रेशर
सोडियम युक्त नमक रक्त-वाहिकाओं और गुर्दों पर दबाव डालता है, जिससे उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन) होता है—एक चुपचाप बढ़ने वाला घातक रोग। अक्सर इसमें कोई शुरुआती लक्षण नहीं होते, इसलिए इसे “साइलेंट किलर” कहा जाता है ।
मुंबई में किए गए सर्वे में पाया गया कि लगभग 30% वयस्क हाई ब्लड-प्रेशर से पीड़ित हैं, और उनमें से कई युवा—लगभग 20%—भी शामिल हैं, जिनमें एक प्रमुख कारण अत्यधिक नमक सेवन भी बताया गया है ।
3. दिल और मस्तिष्क: हमले की एक से अधिक दिशा
उच्च रक्तचाप सीधे तौर पर हार्ट अटैक, स्ट्रोक, और हृदय रोगों जैसे गंभीर जोखिम से संबंधित है
ICMR-NIE की ताज़ा रिपोर्ट निर्देश करती है कि नमक का अत्यधिक सेवन हृदय और स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा रहा है ।
भारत में हर साल अनियंत्रित नमक सेवन से होने वाली लगभग 1.75 लाख मौतें एक राष्ट्रीय स्वास्थ्य चुनौती बनकर उभरी हैं ।
4. गुर्दों पर नाकामियाब हमला
उच्च रक्तचाप गुर्दों की रक्त वाहिकाओं और नलिकाओं को ध्वस्त कर सकता है, जिससे क्रॉनिक किडनी डिजीज (CKD) और अंततः किडनी फेल्योर तक का जोखिम बढ़ता है ।
साथ ही, नमक अधिक मात्रा में यूरिन में कैल्शियम बढ़ाता है, जिससे किडनी स्टोन्स (पत्थर) बनने का खतरा भी बढ़ जाता है—भारत जैसे अग्रगामी जलवायु वाले देश में यह और भी चिंताजनक है ।
5. ICMR-NIE की रोकथाम पहल: नमक घटाओ, स्वास्थ्य बढ़ाओ
ICMR-NIE ने पंजाब और तेलंगाना में एक तीन-वर्षीय समुदाय-आधारित नमक निगरानी परियोजना शुरू की है, जिसमें लो-सोडियम नमक विकल्पों का प्रचार और लोगों को सीख देकर नमक सेवन को घटाने का प्रयास किया जा रहा है
इससे मध्यम रूप से नमक की मात्रा घटाने पर रक्तचाप में औसतन 7/4 mmHg तक गिरावट देखी गई है, जो बड़े स्वास्थ्य लाभ का संकेत है ।
6. राष्ट्रीय रणनीति और नीति-परिवर्तन की आवश्यकता
एक हालिया राष्ट्रीय कार्यशाला में विशेषज्ञों ने चेताया है कि भारत में हर साल अत्यधिक नमक सेवन से लगभग 1.75 लाख मौतें होती हैं ।
उन्हें नमक सेवन में 2030 तक 30% की कटौती का लक्ष्य रखते हुए नीति-परिवर्तन, खाद्य नियमन, फूड-लेबलिंग, और जन-जागरूकता अभियान की आवश्यकता बताई गई है ।
विशेषकर फ्रंट-of-package चेतावनी लेबल, कराधान, और स्कूल-आधारित संगठित कार्यक्रम जैसे उपायों को प्रभावी माना जा रहा है ।
7. व्यावहारिक कदम जो हम आज उठा सकते हैं
नमक सादा—घर पर पकाते समय और खाने में नमक केवल आवश्यकतानुसार ही डालें, और धीरे-धीरे स्वाद को कम नमक पर आदी बनाएं।
लो-सोडियम या पोटेशियम युक्त विकल्प अपनाएँ, जैसे ‘नमक के विकल्प’, पर डॉक्टर की सलाह से।
प्रोसेस्ड, पैकेज्ड, और रेस्टोरेंट फूड्स से बचें—इनमें छुपा नमक अक्सर अत्यधिक होता है।
नियमित जांच: अपने ब्लड-प्रेशर और किडनी फंक्शन की नियमित रूप से जांच करें।
शिक्षा और जागरूकता: खासतौर पर बच्चों और युवा वर्ग को कम नमक के फायदे सिखाएं और ऐसा व्यवहार उन्हें आत्मसात करने में मदद करें।
नमक—स्वाद की छोटी चुटकी—भारत में अब ‘साइलेंट किलर’ बन चुका है। इसके अत्यधिक सेवन से हृदय, मस्तिष्क और गुर्दे पर लगातार हमला होता है, और हर साल हजारों जीवन खतरे में पड़ते हैं। लेकिन, एक चुटकी बदलाव—नमक घटाना, जागरूकता बढ़ाना और ठोस नीति-परिवर्तन—बड़े स्वास्थ्य सुधार की शुरुआत कर सकता है। यह संदेश धड़कन की आवाज़ बनकर आने वाले जीवनों को बचा सकता है।