
झारखंड में युवती से गैंगरेप का सनसनीखेज मामला:
झारखंड में एक युवती से सामूहिक दुष्कर्म का दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जिसने पूरे इलाके को हिलाकर रख दिया है। आरोप है कि तीन युवकों ने पुलिसकर्मी का रूप धारण कर युवती को अपने जाल में फंसाया और उसके साथ गैंगरेप किया। इस घटना में पीड़िता की छोटी बहन की सूझबूझ से आरोपियों को रंगे हाथ पकड़ लिया गया, जिससे पुलिस को तुरंत कार्रवाई करने में मदद मिली।
जानकारी के मुताबिक, घटना उस समय हुई जब पीड़िता अपनी छोटी बहन के साथ किसी काम से घर लौट रही थी। रास्ते में तीन युवक मोटरसाइकिल पर आए और खुद को पुलिसकर्मी बताकर दोनों बहनों को रोक लिया। उन्होंने फर्जी पहचान दिखाकर बहानों से पूछताछ शुरू की और फिर बड़ी बहन को जबरन सुनसान इलाके में ले गए। वहां पीड़िता के साथ बारी-बारी से दुष्कर्म किया गया।
इस दौरान छोटी बहन, जो कुछ दूरी पर खड़ी थी, ने मौका पाकर चुपचाप अपने मोबाइल से पुलिस हेल्पलाइन पर कॉल कर दी और साथ ही आस-पास के कुछ लोगों को भी घटना की जानकारी दी। पीड़िता की चीखें सुनकर लोग मौके पर पहुंचे और घेराबंदी कर दो आरोपियों को पकड़ लिया, जबकि तीसरा आरोपी भागने में सफल रहा। बाद में पुलिस ने छापेमारी कर उसे भी गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस जांच में पता चला कि तीनों आरोपी पेशे से अपराधी प्रवृत्ति के हैं और पहले भी लूटपाट और छेड़छाड़ के मामलों में जेल जा चुके हैं। आरोपियों के पास से नकली पुलिस बैज, एक पुरानी वर्दी और हथकड़ी भी बरामद हुई है। प्रारंभिक पूछताछ में उन्होंने स्वीकार किया कि उन्होंने योजना बनाकर यह वारदात की थी।
इस घटना के बाद इलाके में आक्रोश का माहौल है। स्थानीय महिलाओं और सामाजिक संगठनों ने पीड़िता को न्याय दिलाने की मांग करते हुए थाने का घेराव किया। लोगों का कहना है कि इस तरह पुलिसकर्मी बनकर अपराध करने वालों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए, ताकि भविष्य में कोई ऐसा दुस्साहस न कर सके।
पुलिस अधीक्षक ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि सभी आरोपियों पर गैंगरेप, अपहरण, धमकी और धोखाधड़ी समेत कई गंभीर धाराओं में मामला दर्ज कर लिया गया है। मेडिकल जांच में भी पीड़िता के साथ दुष्कर्म की पुष्टि हुई है। पुलिस ने आश्वासन दिया कि इस मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई कराई जाएगी और दोषियों को जल्द से जल्द सजा दिलाई जाएगी।
महिला आयोग ने भी इस मामले पर संज्ञान लेते हुए जिला प्रशासन से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। आयोग की अध्यक्ष ने कहा कि पीड़िता को हर संभव कानूनी और आर्थिक सहायता दी जाएगी। वहीं, स्थानीय प्रशासन ने पीड़िता के परिवार को सुरक्षा प्रदान करने की घोषणा की है।
यह घटना एक बार फिर इस सवाल को सामने लाती है कि नकली पुलिस पहचान का दुरुपयोग रोकने के लिए ठोस कदम कब उठाए जाएंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस पहचान सत्यापन की प्रक्रिया को और सख्त बनाने की जरूरत है।
पीड़िता की छोटी बहन की सूझबूझ और साहस ने न केवल आरोपियों को पकड़वाने में अहम भूमिका निभाई, बल्कि यह भी साबित कर दिया कि संकट के समय समझदारी और हिम्मत किसी भी बड़ी वारदात को रोक सकती है। फिलहाल, यह मामला राज्यभर में चर्चा का विषय बना हुआ है और लोग न्याय की प्रतीक्षा कर रहे हैं।