
शर्मनाक वारदात: बलरामपुर में मूक-बधिर युवती से दुष्कर्म, मुठभेड़ के बाद दोनों आरोपी गिरफ्तार ।
उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में इंसानियत को शर्मसार करने वाली वारदात सामने आई है। एक मूक-बधिर युवती को अगवा कर उसके साथ दुष्कर्म किए जाने का मामला प्रकाश में आया है। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए इस जघन्य अपराध में शामिल दोनों आरोपियों— अंकुर वर्मा और हर्षित पांडे— को मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार कर लिया है। घटना ने पूरे इलाके में आक्रोश और भय का माहौल पैदा कर दिया है।
घटना का सिलसिला
सूत्रों के मुताबिक, पीड़िता जिले के एक गांव में रहती है और जन्म से मूक-बधिर है। मंगलवार की शाम वह अपने घर के पास मौजूद खेत की ओर गई थी। इसी दौरान पहले से घात लगाए बैठे आरोपी अंकुर वर्मा और हर्षित पांडे ने उसे जबरन अपनी बाइक पर बैठा लिया और सुनसान जगह ले गए। वहां दोनों ने मिलकर युवती के साथ दुष्कर्म किया। पीड़िता किसी तरह घर लौटी और इशारों में परिजनों को घटना की जानकारी दी।
परिजनों की शिकायत पर हरकत में आई पुलिस
पीड़िता के परिजनों ने तुरंत थाने पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई। मामले की गंभीरता को देखते हुए बलरामपुर पुलिस अधीक्षक ने खुद टीम गठित की और आरोपियों की तलाश के निर्देश दिए। पुलिस ने तकनीकी और मानवीय खुफिया तंत्र का इस्तेमाल करते हुए आरोपियों के ठिकानों की छानबीन शुरू की।
मुठभेड़ में दबोचे गए आरोपी
पुलिस टीम ने देर रात दोनों आरोपियों का पीछा किया। बलरामपुर-शravasti सीमा के पास पुलिस और आरोपियों के बीच मुठभेड़ हुई। इस दौरान दोनों आरोपियों के पैर में गोली लगी, जिससे वे घायल हो गए। पुलिस ने उन्हें घेरकर दबोच लिया और इलाज के लिए जिला अस्पताल भेज दिया। मुठभेड़ में एक पुलिसकर्मी भी हल्का घायल हुआ है।
आरोपियों का आपराधिक रिकॉर्ड
पुलिस जांच में सामने आया है कि अंकुर वर्मा और हर्षित पांडे पर पहले भी आपराधिक मामले दर्ज हैं। दोनों इलाके में दबंग प्रवृत्ति के रूप में बदनाम हैं। पुलिस के अनुसार, इनके खिलाफ पहले चोरी, मारपीट और छेड़खानी जैसे कई मामले दर्ज हैं।
पीड़िता का मेडिकल और बयान
मेडिकल टीम ने पीड़िता का परीक्षण किया, जिसमें दुष्कर्म की पुष्टि हुई है। चूंकि पीड़िता बोल और सुन नहीं सकती, इसलिए उसका बयान सांकेतिक भाषा विशेषज्ञ की मदद से दर्ज किया गया। महिला पुलिस कर्मियों की मौजूदगी में पीड़िता ने इशारों से पूरी घटना का ब्यौरा दिया, जिसे वीडियो रिकॉर्डिंग के साथ केस डायरी में शामिल किया गया है।
पुलिस का सख्त संदेश
बलरामपुर पुलिस अधीक्षक ने कहा कि ऐसे अपराधियों के लिए जिले में कोई जगह नहीं है। “महिलाओं की सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। वारदात के तुरंत बाद टीम गठित की गई और कुछ ही घंटों में आरोपियों को पकड़ लिया गया। कोर्ट में जल्द चार्जशीट दाखिल कर फास्ट ट्रैक कोर्ट से कड़ी सजा दिलाई जाएगी।”
इलाके में गुस्सा और आक्रोश
घटना के बाद गांव और आसपास के इलाकों में लोगों में जबरदस्त गुस्सा है। कई सामाजिक संगठनों ने पीड़िता को न्याय दिलाने और दोषियों को फांसी देने की मांग की है। महिला संगठनों ने जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन कर प्रशासन को ज्ञापन सौंपा।
कानूनी धाराएं और कार्रवाई
पुलिस ने आरोपियों पर अपहरण, दुष्कर्म, पॉक्सो एक्ट और एससी/एसटी एक्ट सहित गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया है। चूंकि पीड़िता मूक-बधिर और नाबालिग है, इसलिए कानूनी प्रावधानों के तहत मामले को और गंभीर माना जा रहा है। पुलिस की योजना है कि केस को फास्ट ट्रैक कोर्ट में भेजकर 90 दिनों के भीतर फैसला करवाया जाए।
मानवाधिकार आयोग की नज़र
मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए राज्य महिला आयोग और मानवाधिकार आयोग ने भी घटना की रिपोर्ट तलब की है। आयोग ने जिला प्रशासन से पूछा है कि सुरक्षा व्यवस्था में चूक कैसे हुई और पीड़िता को भविष्य में सुरक्षा और सहायता कैसे दी जाएगी।
सरकारी मदद
जिला प्रशासन ने पीड़िता के परिवार को आर्थिक सहायता देने का आश्वासन दिया है। साथ ही, पीड़िता को मेडिकल, कानूनी और मनोवैज्ञानिक परामर्श उपलब्ध कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। महिला कल्याण विभाग के अधिकारी ने कहा कि पीड़िता के पुनर्वास और शिक्षा की व्यवस्था भी की जाएगी।
बलरामपुर की यह घटना एक बार फिर समाज में महिलाओं और विशेष रूप से दिव्यांग महिलाओं की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े करती है। पुलिस की त्वरित कार्रवाई सराहनीय है, लेकिन जब तक ऐसे अपराधियों को कड़ी और शीघ्र सजा नहीं मिलेगी, तब तक समाज में बदलाव आना कठिन है।