भारतीय क्रिकेट टीम के युवा कप्तान शुभमन गिल को कोलकाता टेस्ट के दौरान लगी चोट अब टीम इंडिया के लिए बड़ी सिरदर्द बन चुकी है। गिल गुवाहाटी में खेले जाने वाले दूसरे टेस्ट मैच से बाहर हो चुके हैं और उनकी गैरमौजूदगी ने एक बार फिर भारतीय क्रिकेट में वर्कलोड मैनेजमेंट की बहस को तेज कर दिया है। पिछले कुछ महीनों में टीम इंडिया के कई खिलाड़ी चोटिल हुए हैं—जसप्रीत बुमराह, हार्दिक पांड्या, मोहम्मद शमी, अक्षर पटेल, और अब शुभमन गिल—जिससे टीम मैनेजमेंट और चयन समिति नए सवालों के घेरे में आ गई है।
कोलकाता टेस्ट में लगी चोट, दूसरा टेस्ट मिस
कोलकाता टेस्ट के तीसरे दिन शुभमन गिल गेंदबाजी के दौरान अचानक दर्द की शिकायत करते हुए मैदान छोड़कर बाहर चले गए थे। इसके बाद BCCI की मेडिकल टीम ने उनकी जांच की और पता चला कि उन्हें मांसपेशियों में खिंचाव है, जिसे ठीक होने में कुछ समय लगेगा। इसी वजह से चयनकर्ताओं ने उन्हें गुवाहाटी टेस्ट से बाहर कर दिया है।
गिल न सिर्फ टीम के कप्तान हैं, बल्कि टॉप ऑर्डर के सबसे भरोसेमंद बल्लेबाजों में से एक हैं। ऐसे में उनका बाहर होना भारत की रणनीति और मानसिकता दोनों के लिए झटका माना जा रहा है। क्रिकेट विशेषज्ञों का कहना है कि लगातार अंतरराष्ट्रीय मैच, घरेलू टूर्नामेंट, और उसके ऊपर फ्रेंचाइजी क्रिकेट खिलाड़ियों की फिटनेस पर बड़ा प्रभाव डाल रहे हैं।
वर्कलोड मैनेजमेंट पर फिर बहस, किसकी जिम्मेदारी?
पिछले कुछ वर्षों से BCCI अपने मुख्य खिलाड़ियों के लिए वर्कलोड मैनेजमेंट की नीति लेकर चल रहा है। लेकिन इसके बावजूद बड़ी संख्या में खिलाड़ियों का चोटिल होना इस नीति की सफलता पर सवाल खड़ा कर रहा है।
टीम इंडिया हर फॉर्मेट में व्यस्त है—टी20, वनडे, टेस्ट—और उसके साथ सालाना IPL भी जुड़ जाता है, जिसकी तीव्रता अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट जैसी ही होती है।
इन्हीं मुद्दों पर एक बार फिर बहस छिड़ी है कि आखिर खिलाड़ियों को आराम कब और कैसे दिया जाए। वहीं, इस बहस में अब दो दिग्गजों के बयान ने नया मोड़ पैदा कर दिया है।
आकाश चोपड़ा ने किया खुलासा—गंभीर ने कहा, ‘वर्कलोड चाहिए तो IPL छोड़ दो’
जियोस्टार के क्रिकेट एक्सपर्ट आकाश चोपड़ा ने एक शो के दौरान बड़ा खुलासा किया। उन्होंने बताया कि उनकी गौतम गंभीर से बातचीत हुई, जिसमें गंभीर ने वर्कलोड मैनेजमेंट पर साफ और सख्त राय रखी।
आकाश चोपड़ा के मुताबिक, गंभीर ने कहा:
“अगर वर्कलोड मैनेजमेंट चाहिए तो IPL छोड़ दो। साल में दस महीने तो खिलाड़ी भारतीय क्रिकेट खेलते हैं, एक महीना IPL होता है। अगर यहां भी वर्कलोड का बहाना बनाओगे, तो फिर बेहतर है कि फ्रेंचाइज़ी क्रिकेट से खुद को अलग कर लो।”
गंभीर का यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया और क्रिकेट सर्कल में नई चर्चा शुरू हो गई। IPL दुनिया की सबसे लोकप्रिय T20 लीग है और खिलाड़ियों के लिए आय का बड़ा स्रोत भी। ऐसे में गंभीर की टिप्पणी को कुछ लोग व्यावहारिक, तो कुछ लोग अव्यावहारिक बता रहे हैं।
IPL बनाम अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट—कौन है प्राथमिकता?
गंभीर के बयान का संकेत साफ है कि IPL की वजह से खिलाड़ियों का वर्कलोड बढ़ रहा है। कई पूर्व क्रिकेटरों ने भी यह मुद्दा पहले उठाया है। उनका कहना है कि IPL के दौरान खिलाड़ियों पर अत्यधिक मैचों का दबाव और लगातार यात्रा उन्हें चोट के जोखिम में डालता है।
भारतीय टीम मैनेजमेंट का तर्क है कि
फ्रेंचाइज़ी क्रिकेट से खिलाड़ियों की फिटनेस में सुधार होता है,
खिलाड़ियों को आर्थिक लाभ मिलता है,
और उन्हें बड़े मैचों का अनुभव मिलता है।
लेकिन दूसरी ओर यह भी तथ्य है कि कई खिलाड़ी IPL के दौरान चोटिल हुए जिनकी वजह से उनकी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट प्रभावित हुई। शुभमन गिल की चोट IPL से नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय मैच से हुई है, लेकिन यह बहस अब पूरे शेड्यूल पर सवाल खड़े कर रही है।
गिल की अनुपस्थिति से टीम कॉम्बिनेशन पर असर
गुवाहाटी टेस्ट में शुभमन गिल की जगह लेने वाले खिलाड़ी को लेकर अभी चयनकर्ताओं ने अंतिम निर्णय नहीं किया है। उन्हें जगह मिल सकती है:
यशस्वी जायसवाल को कप्तानी?
या टीम किसी अनुभवी विकल्प की तलाश करेगी?
क्या उप-कप्तान को नेतृत्व सौंपा जाएगा?
गिल की अनुपस्थिति का सबसे बड़ा असर टीम की बल्लेबाजी और नेतृत्व दोनों पर पड़ेगा। युवा कप्तान के रूप में वे टीम का निर्माण कर रहे थे और उनका लय में बल्लेबाजी करना भारत की टेस्ट रणनीति के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा था।
वर्कलोड मैनेजमेंट—सिर्फ भारत की समस्या नहीं
यह मुद्दा सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है।
ऑस्ट्रेलिया
इंग्लैंड
न्यूजीलैंड
जैसी टीमों के खिलाड़ी भी लगातार व्यस्त कार्यक्रम की वजह से चोटिल हो रहे हैं। इंग्लैंड ने तो रोटेशन पॉलिसी अपनाई है, जहां खिलाड़ी हर फॉर्मेट में नहीं खेलते। लेकिन भारत में ऐसा संभव नहीं लगता क्योंकि हर फॉर्मेट में टीम इंडिया से बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद रहती है और खिलाड़ियों का पूल भी वही रहता है।
क्या गिल की चोट बड़े बदलाव की शुरुआत बनेगी?
कई विशेषज्ञों का मानना है कि गिल जैसी बड़ी चोट टीम मैनेजमेंट को शेड्यूलिंग, फिटनेस मैनेजमेंट और रोटेशन प्लान पर फिर से विचार करने को मजबूर कर सकती है।
खासतौर पर अगले साल होने वाले बड़े टूर्नामेंट को देखते हुए टीम किसी जोखिम से बचना चाहेगी।
शुभमन गिल का दूसरे टेस्ट से बाहर होना सिर्फ एक खिलाड़ी की चोट की खबर नहीं है, बल्कि भारतीय क्रिकेट व्यवस्था के लिए चेतावनी भी है। लगातार मैचों के दबाव, फ्रेंचाइज़ी क्रिकेट के बोझ और खिलाड़ियों की फिटनेस को लेकर गंभीर ने जो सलाह दी है—“वर्कलोड चाहिए तो IPL छोड़ो”—उसने बहस को और तेज कर दिया है।
आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि BCCI खिलाड़ियों की फिटनेस और वर्कलोड मैनेजमेंट के बीच कैसी संतुलित रणनीति बनाता है।
