
मध्यप्रदेश के जबलपुर जिले के सिहोरा में मंगलवार रात लगभग 10 बजे एक भयंकर हादसा हुआ, जब एक तेज रफ्तार यात्री बस अनियंत्रित होकर सीधे एक दुर्गा पूजा पंडाल में घुस गई। इस घटना में लगभग 18 से अधिक लोग घायल हो गए। बस घुसते ही पंडाल में मौजूद लोग भागने लगे और भीषण भगदड़ मची। घटना स्थल पर अफरातफरी का माहौल बन गया।
पुलिस, प्रशासन व स्वास्थ्य दल तुरंत मौके पर पहुंचे और घायलों को प्राथमिक उपचार के लिए स्थानीय अस्पताल भेजा गया। गंभीर रूप से घायल कुछ को मेडिकल कॉलेज जबलपुर रिफर किया गया है।
घटना का विवरण
दुर्घटना गौरी तिराहा, सिहोरा के निकट हुई। जब बस अनियंत्रित हुई, तब पंडाल में दर्शनार्थी एवं भक्त मौजूद थे।
पुलिस के अनुसार, बस का नं. एमपी-49 पी 0251 था तथा यह कटनी से जबलपुर की ओर आ रही थी।
दावा किया गया है कि ब्रेक फेल होना दुर्घटना का मुख्य कारण था। उक्त समय बस खाली ही चल रही थी।
दुर्घटना के तुरंत बाद पंडाल में भारी भोड़ भीड़ थी। जैसे ही बस पंडाल के अंदर घुसी, लोग डर के मारे इधर-उधर भागने लगे।
घायलों की स्थिति एवं उपचार
अभी तक पता चला है कि लगभग 18 लोगों से अधिक घायल हुए हैं। कुछ स्रोतों में यह संख्या 15 बताई जा रही है।
स्थानीय सिहोरा जिला अस्पताल में अधिकांश घायलों का उपचार जारी है।
6 गंभीर घायल जिन्हें बेहतर इलाज की ज़रूरत थी, उन्हें मेडिकल कॉलेज जबलपुर रेफर किया गया।
अन्य घायल जिनकी स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर है, उन्हें प्राथमिक उपचार के बाद अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया या स्थानीय देखरेख में रखा गया।
प्रशासन और पुलिस प्रतिक्रिया
सूचना मिलते ही कलेक्टर राघवेंद्र सिंह एवं पी. एस.पी. सम्पत उपाध्याय सहित उच्च अधिकारी मौके पर पहुंचे।
उन्होंने अस्पताल का दौरा किया, चिकित्सकों से घायलों की स्थिति जानी और निर्देश दिए कि उपचार में सभी संसाधन लगाए जाएँ।
कलेक्टर ने आदेश दिए कि मेडिकल कॉलेज में आवश्यक सहायता बनाए रखी जाए। साथ ही, एसडीएम गोरखपुर और संयुक्त कलेक्टर अनुराग सिंह को अस्पताल में तैनात रहने के निर्देश दिए गए।
पुलिस ने पोस्टमॉर्टम प्रक्रिया और घटना स्थल की जांच शुरू कर दी है। दुर्घटना के कारणों की पड़ताल की जा रही है।
संभावित कारण व जांच
प्रारंभिक रिपोर्टों और स्थानीय पुलिस के बयानों के अनुसार ब्रेक फेल होना इस दुर्घटना का मुख्य कारण हो सकता है।
यह सुझाव दिया जा रहा है कि बस में तकनीकी खामी या रख-रखाव की कमी हो सकती है।
पुलिस और प्रशासन एक तहकीकात टीम बना सकते हैं, जो ड्राइवर के ब्रीफिंग, बस की स्थिति, ड्राइविंग रिकॉर्ड, ब्रेक्स व अन्य यांत्रिक पहलुओं की छानबीन करेगी।
घटना स्थल पर सीसीटीवी फोटोज, गवाहों के बयानों और चालक से पूछताछ भी महत्वपूर्ण होगी।
सामाजिक—मानवीय प्रतिक्रिया
इस तरह की घटना ने त्योहार की उल्लासमयी धारी में शोक की लकीर खींच दी है।
प्रभावित परिवारों को तुरंत सहायता पहुँचाने की माँग उठ रही है।
स्थानीय नेताओं, सामाजिक संगठनों और मीडिया ने प्रशासन से ये अपेक्षा जताई है कि घायलों को बेहतर इलाज मिले और उन्हें पारिवारिक राहत भी मुहैया कराई जाए।
इस हादसे से यह प्रश्न भी उठ गया है कि पंडालों के आसपास सुरक्षा एवं भीड़ नियंत्रण व्यवस्था कितनी सक्षम है।
सुरक्षा संकेतक और सुझाव
सार्वजनिक पंडालों के आसपास वाहनों की गति नियंत्रण व्यवस्था सुनिश्चित होनी चाहिए।
पंडाल कमिटी को धातु स्तंभ, बाड़-फेंसिंग और बैरिकेड्स की व्यवस्था करना चाहिए, ताकि वाहन दुर्घटनावश पंडाल में प्रवेश न कर सकें।
ड्राइवरों को खास तौर पर त्योहार के समय पंडाल इलाकों में महत्त्वपूर्ण सतर्कता बरतने का प्रशिक्षण और निर्देश दिया जाना चाहिए।
वाहन यानी बसों के मेन्टेनेंस, ब्रेक सिस्टम व अन्य यांत्रिक जांच नियमित होनी चाहिए।
प्रशासन को कड़ी निगरानी रखनी चाहिए कि ओवरस्पीडिग, लापरवाही या तकनीकी खामियों के कारण ऐसी घटनाएँ न हों।
सिहोरा की यह दुर्घटना न केवल एक सड़क हादसा है, बल्कि त्योहार की पवित्रता और श्रद्धा पर एक अप्रत्याशित आघात है। 18 से अधिक घायल लोगों की स्थितियाँ चिंताजनक हैं। प्रशासन, पुलिस व स्वास्थ्य विभागों की त्वरित कार्रवाई ने राहत कार्यों को गति दी है। लेकिन यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि सार्वजनिक आयोजनों में सुरक्षा, वाहन नियंत्रण और तकनीकी मानक कितने महत्वपूर्ण हैं। भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए त्योहार आयोजक, प्रशासन और सड़क सुरक्षा विभागों को मिलकर एक ठोस रणनीति तैयार करनी होगी।