
पाकिस्तान के लिए जासूसी के आरोप में गिरफ्तार यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा पर SIT की 2500 पेज की चार्जशीट, राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े गंभीर आरोप
हिसार/चंडीगढ़ | हरियाणा पुलिस की विशेष जांच टीम (SIT) ने पाकिस्तान के लिए जासूसी के आरोप में गिरफ्तार यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए 2500 पेज की विस्तृत चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कर दी है। पुलिस का दावा है कि पिछले तीन महीनों में की गई गहन जांच और जुटाए गए ठोस सबूतों के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की गई है। चार्जशीट में ज्योति पर राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने, गोपनीय जानकारी साझा करने और पाकिस्तानी एजेंसियों से संपर्क के गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
क्या हैं आरोप?
पुलिस के मुताबिक, ज्योति मल्होत्रा पर आरोप है कि उन्होंने अपने यूट्यूब चैनल और सोशल मीडिया के जरिए ऐसी संवेदनशील जानकारियां साझा कीं, जो देश की सुरक्षा से जुड़ी थीं।
चार्जशीट में कहा गया है कि उन्होंने भारत की सीमा सुरक्षा, सैन्य ठिकानों और रणनीतिक परियोजनाओं से जुड़ी सूचनाएं इकट्ठी कर विदेश में बैठे हैंडलर्स को भेजीं।
SIT का दावा है कि ज्योति ने एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग ऐप्स और वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (VPN) का इस्तेमाल करके संपर्क साधा, जिससे उनके नेटवर्क का पता लगाना मुश्किल हुआ।
तीन महीने की जांच में क्या मिला?
SIT ने इस मामले में डिजिटल फॉरेंसिक, बैंक ट्रांजेक्शन और कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) की मदद से जांच की।
डिजिटल डिवाइस जब्त: ज्योति के मोबाइल, लैपटॉप, हार्ड ड्राइव और पेन ड्राइव से कई महत्वपूर्ण फाइलें और चैट रिकॉर्ड मिले।
पैसे का लेन-देन: जांच में सामने आया कि पिछले एक साल में उनके अकाउंट में संदिग्ध विदेशी ट्रांजेक्शन हुए।
सोशल मीडिया एक्टिविटी: फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर उनके कई वीडियो और पोस्ट में ऐसी लोकेशन व फोटो मिले, जिन्हें लेकर सेना और पुलिस ने आपत्ति जताई थी।
SIT ने चार्जशीट में क्या लिखा?
चार्जशीट में कई अहम बिंदु दर्ज किए गए हैं—
1. ज्योति ने कथित रूप से पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के हैंडलर्स से गुप्त संपर्क रखा।
2. उन्होंने अपने प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल प्रचार और सूचना आदान-प्रदान के लिए किया।
3. उनकी ओर से भेजी गई जानकारी भारत की सामरिक सुरक्षा को नुकसान पहुंचा सकती थी।
4. इलेक्ट्रॉनिक सबूत, चैट रिकॉर्ड, ईमेल और बैंक स्टेटमेंट को केस का आधार बनाया गया है।
गिरफ्तारी कैसे हुई थी?
कुछ महीने पहले, खुफिया एजेंसियों को ज्योति मल्होत्रा की गतिविधियों पर संदेह हुआ।
शुरुआती इनपुट के बाद लोकल पुलिस और स्पेशल ब्रांच ने उनका डिजिटल ट्रैकिंग शुरू किया।
कई संदिग्ध चैट और कॉल रिकॉर्ड मिलने के बाद, उन्हें हिसार से गिरफ्तार किया गया।
गिरफ्तारी के समय भी उनके पास से कई डिजिटल गैजेट और दस्तावेज बरामद हुए थे।
कोर्ट में अगला कदम
पुलिस ने चार्जशीट दाखिल करने के साथ ही कोर्ट से आग्रह किया है कि आरोपों की गंभीरता को देखते हुए सुनवाई को फास्ट ट्रैक पर रखा जाए।
अगली पेशी में कोर्ट आरोप तय करेगा और गवाहों की सूची पर विचार होगा।
अगर आरोप साबित होते हैं, तो ज्योति को आजीवन कारावास या कड़े दंड का सामना करना पड़ सकता है।
ज्योति का पक्ष क्या है?
ज्योति मल्होत्रा ने अपने शुरुआती बयान में आरोपों से इनकार किया था।
उन्होंने दावा किया कि वह एक स्वतंत्र कंटेंट क्रिएटर हैं और देश के खिलाफ कोई गतिविधि नहीं की।
उनके वकील का कहना है कि ज्योति के खिलाफ लगाए गए आरोप “राजनीतिक और मनगढ़ंत” हैं और जांच एजेंसियों के पास पुख्ता सबूत नहीं हैं।
हालांकि, पुलिस का कहना है कि सभी सबूत डिजिटल रूप में सुरक्षित हैं और उन्हें कोर्ट में पेश किया जाएगा।
पाकिस्तान के लिए जासूसी: कानूनी प्रावधान
ज्योति पर आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम 1923 (Official Secrets Act) और भारतीय दंड संहिता (IPC) की कई धाराओं के तहत केस दर्ज है।
धारा 3 और 5: गोपनीय जानकारी इकट्ठा करना और साझा करना अपराध है।
धारा 120B: आपराधिक साजिश।
धारा 124A: राजद्रोह से जुड़े मामले।
इन धाराओं के तहत दोषी पाए जाने पर 14 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है।
सोशल मीडिया और राष्ट्रीय सुरक्षा
यह मामला एक बार फिर इस बहस को तेज कर रहा है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कैसे जासूसी और सूचना लीक के लिए किया जा सकता है।
कई बार क्रिएटर्स या पत्रकार अनजाने में भी संवेदनशील सामग्री साझा कर देते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि डिजिटल साक्षरता और सुरक्षा जागरूकता को बढ़ाना जरूरी है।
चार्जशीट के साथ SIT ने केंद्र और राज्य सरकार को कुछ सिफारिशें भी भेजी हैं—
1. संवेदनशील क्षेत्रों में वीडियो रिकॉर्डिंग और फोटोग्राफी पर कड़े नियम।
2. कंटेंट क्रिएटर्स के लिए गाइडलाइन, जिससे अनजाने में भी देशविरोधी सामग्री न जाए।
3. संदिग्ध विदेशी ट्रांजेक्शन पर तुरंत रिपोर्टिंग का प्रावधान।
ज्योति मल्होत्रा का केस सिर्फ एक व्यक्ति की गिरफ्तारी नहीं, बल्कि इस बात का संकेत है कि डिजिटल युग में राष्ट्रीय सुरक्षा को नए तरह के खतरों का सामना करना पड़ रहा है। कोर्ट में अगली सुनवाई में तय होगा कि आरोप कितने पुख्ता हैं, लेकिन इस घटना ने देशभर में चर्चा छेड़ दी है कि सोशल मीडिया और जासूसी का यह नया मेल कितना खतरनाक हो सकता है।