Somwar Pradosh Vrat Katha: सोमवार के दिन आने वाले प्रदोष तिथि के व्रत को सोम प्रदोष व्रत कहा जाता है। यह व्रत भगवान शिव को अत्यंत प्रिय माना जाता है। माना जाता है कि इस दिन विधि-विधान से शिवजी की पूजा और व्रत करने से जीवन के कष्ट दूर होते हैं, सौभाग्य बढ़ता है और व्यक्ति को अपने हर प्रयास में सफलता मिलती है। सोमवार के दिन प्रदोष का विशेष महत्व इसलिए भी बताया गया है क्योंकि यह दिन स्वयं भगवान शिव को समर्पित है। आइए जानते हैं सोम प्रदोष व्रत का महत्व और वह पौराणिक कथा जिसे पढ़ने और सुनने का फल अत्यंत शुभ माना गया है।

सोमवार प्रदोष व्रत का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सोम प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न होते हैं। यह व्रत व्यक्ति के जीवन से बाधाओं, रोगों और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है। दांपत्य जीवन में मधुरता आती है और संतान से संबंधित समस्याओं का समाधान भी मिलता है। जो लोग अपने करियर, व्यापार या किसी महत्वपूर्ण कार्य में सफलता चाहते हैं, उनके लिए भी यह व्रत अत्यंत फलदायी माना जाता है। शाम के समय प्रदोष काल में भगवान शिव की आराधना करने से रुद्र तत्त्व सक्रिय होता है और साधक को विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
सोम प्रदोष व्रत की पौराणिक कथा
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार एक समय देवताओं और असुरों के बीच घोर युद्ध चल रहा था। इस युद्ध में देवता बार-बार पराजित हो रहे थे और अत्यंत चिंतित हो चुके थे। देवताओं ने ब्रह्माजी और विष्णुजी से मार्गदर्शन मांगा, लेकिन समाधान न मिलने पर वे सभी कैलाश पर्वत पर भगवान शिव की शरण में पहुंचे। उन्होंने भगवान शिव से विनती की कि वे इस संकट का समाधान बताएं और उन्हें शक्ति प्रदान करें।
देवताओं की प्रार्थना सुनकर भगवान शिव ने उन्हें आश्वासन दिया और कहा कि प्रदोष काल में मेरी आराधना करने से तुम्हारे सभी संकट दूर होंगे। देवताओं ने प्रदोष काल में विधिपूर्वक शिवजी का व्रत रखा और पूजा-अर्चना की। उनकी भक्ति और श्रद्धा से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें वरदान दिया। शिवजी की कृपा से देवताओं को युद्ध में विजय प्राप्त हुई और त्रिलोक में पुनः शांति स्थापित हुई।
तब से प्रदोष व्रत को अत्यंत शुभ और कल्याणकारी माना जाता है। विशेष रूप से सोमवार को किए गए इस व्रत से शिवजी की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस कथा को श्रद्धा से पढ़ने या सुनने वाले भक्तों को भगवान शिव जीवन के हर क्षेत्र में सफलता का आशीर्वाद देते हैं।
सोम प्रदोष व्रत की पूजा विधि
सोमवार के दिन व्रत रखने वाले भक्त प्रातः स्नान कर संकल्प लेते हैं। पूरे दिन व्रत रखा जाता है और शाम के समय प्रदोष काल में शिवलिंग का जल, दूध, बेलपत्र, अक्षत और धूप-दीप से पूजन किया जाता है। रुद्राष्टक, महामृत्युंजय मंत्र और शिव चालीसा का पाठ करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। पूजा के बाद जरूरतमंदों को भोजन या दान देने की भी परंपरा है।
यह लेख धार्मिक मान्यताओं और पौराणिक कथाओं पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल जानकारी प्रदान करना है। किसी भी धार्मिक अनुष्ठान या व्रत का पालन करने से पहले अपने पारिवारिक परंपरा या किसी विद्वान से सलाह अवश्य लें।
