बेटा परदेस कमाने गया था, बक्से में लौटा”: नाइजर में आतंकी हमले में दो भारतीयों की हत्या, रंजित का अभी तक कोई सुराग नहीं

बेटा परदेस कमाने गया था, बक्से में लौटा”: नाइजर में आतंकी हमले में दो भारतीयों की हत्या, रंजित का अभी तक कोई सुराग नहीं

पश्चिम अफ्रीकी देश नाइजर के डोसो (Dosso) क्षेत्र में 15 जुलाई 2025 को आतंकियों ने एक भयंकर हमला किया, जिसमें दो भारतीय नागरिकों की मौत हो गई और एक अन्य — जम्मू-कश्मीर (रामबन) जिले के चक्का कुंडी गांव निवासी रंजित सिंह — का अपहरण हो गया। इस दुखद घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया है, जहाँ परदेस में नाज़ुक हालात के बीच परिवार बेचैन है और सरकार लगातार रंजित की रिहाई की कोशिश कर रही है।

घटना की तारीख और स्थान: यह हमला 15 जुलाई 2025 को हुआ, नाइजर की राजधानी नियामी से लगभग 100–130 किमी दूर स्थित डोसो क्षेत्र के एक बिजली लाइन निर्माण स्थल पर।

हमले का तरीका: स्थानीय मीडिया के अनुसार, अज्ञात सशस्त्र बंदूकधारियों ने सुरक्षा दल पर अचानक हमला कर दिया, जिसमें दो भारतीय सुरक्षा कर्मी मारे गए जबकि एक को अगवा कर ले जाया गया।

पीड़ित और परिवार की व्यथा

मारे गए भारतीय: ट्रांसरेल (Transrail Lighting Ltd) कंपनी में काम करने वाले गणेश कर्माली (झारखंड, बोकाड़ो निवासी) और कृष्णा गुप्ता (नाम उपलब्ध) दोनों की मौके पर ही मौत हो गई। उनकी पार्थिव देहें भारत वापस भेज दी गई हैं, और परिवार को राज्य और कंपनी द्वारा मुआवजा प्रदान किया गया।

अगवा हुए भारतीय – रंजित सिंह: वे जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले के चक्का कुंडी गांव से हैं। इस घटना तक वे नाइजर में एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी के रूप में तैनात थे। सेना को सताने वाले कार्यस्थल पर हमला होने के बाद से उनका परिवार उनसे संपर्क टूटा होने का दावा करता है।

परिवार की चिंता: रंजित की पत्नी शीला देवी ने बताया कि 15 जुलाई को वॉट्सएप कॉल पर हुआ आखिरी संपर्क था। कंपनी ने आरंभ में इसका नेटवर्क समस्या बताकर संतुष्टि दी, लेकिन बाद में उनके एक मित्र ने अपहरण की सूचना दी। परिवार ने दावा किया कि उन्होंने कई बार कंपनी और प्रशासन से संपर्क किया, लेकिन अब तक कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला।

सहारा मांगने वाले माता-पिता: पिता मोहन लाल सेन और मां साधु देवी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस. जयशंकर से अपील की कि उनका बेटा सुरक्षित वापस आए। परिजनों की हालत अत्यंत चिंताजनक है — माँ रो-रो कर बेहाल हैं, बच्चों का मन भी अशांत है।

सरकार और विदेश मंत्रालय की कार्रवाई

भारतीय दूतावास की सक्रियता: नियामी (Niger की राजधानी) में स्थित भारतीय दूतावास ने स्थानीय अधिकारियों के साथ लगातार संपर्क में रहकर रंजित की रिहाई और आकस्मिक फंसे भारतीयों को सतर्क रखने की व्यापक चेतावनी जारी की है।

MEA और केंद्रीय मंत्री की पहल: केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने घोषणा की कि दूतावास रंजित की रिहाई के लिए लगातार काम कर रहा है। उन्होंने बताया कि MEA द्वारा वरिष्ठ नाइजर सरकार की कई संस्थानों — विदेश, गृह, वाणिज्य आदि — से सीधी बातचीत की गई है (16 जुलाई, 24 जुलाई, 30 जुलाई को), और हर संभव प्रयास किया जा रहा है।

राज्यपाल और मुख्यमंत्री की अपील: जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी इस मामले में सर्वोच्च सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने मोदी सरकार और MEA से अनुरोध किया है कि वे रंजित की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करें।

नाइजर में बढ़ते तनाव

इस हमले के अलावा इस वर्ष अप्रैल में भी पश्चिम अफ्रीका में, बच्चों बिजली लाइन के काम के दौरान कंधादजी बांध (Kandadji Dam) क्षेत्र के पास पाँच भारतीय युवा श्रमिकों का अपहरण हुआ था, जिनकी अब तक सुध नहीं मिली है।

नाइजर में 2023 में हुई सैन्य तख्तापलट और जिहादी समूहों (अल-कायदा, IS) द्वारा किए जा रहे आतंकी हमलों के कारण देश गंभीर सुरक्षा संकट से जूझ रहा है। Dosso और Tillaberi क्षेत्रों में हिंसा में लगातार वृद्धि हो रही है।

1. घटना का तारांकित सार: 15 जुलाई 2025 — नाइजर, डोसो क्षेत्र में दो भारतीय मारे गए, एक (रंजित सिंह) अगवा।

2. मुख्य व्यक्ति: रंजित सिंह — जम्मू-कश्मीर, रामबन जिले के चक्का कुंडी निवासी, वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी।

3. परिवार की व्यथा: पिता-माँ और पत्नी की परेशानियां — आधिकारिक कार्रवाई की प्रतीक्षा, रातों की नींद और खाना दोनों गायब।

4. सरकारी कार्रवाई: एयरलिंग से मौत की लाशें लाईं, दूतावास ने कई उच्च अधिकारियों से संपर्क किया, राज्य सरकार और MEA संलग्न।

5. समय-समय पर अपडेट: विरोधी हिंसा और अन्य अपहरणों का संदर्भ दे कर लेख को समयानुकूल बनाएं, कीवर्ड्स जोड़ें — ‘पूरब से परदेस’, ‘नाइजर आतंकवादी हमला’, ‘भारतीय श्रमिकों की रक्षा’, ‘रंजित सिंह अपहरण’, ‘MEA कार्रवाई’, ‘छह भारतीयों पर हमले की पैटर्न’।

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