
सुप्रीम कोर्ट ने बीच में ही टूटती शादी को बचाया
फरवरी 2024 में हुई प्रेम विवाह के चार महीने बाद जोड़ा अलग हो गया—पति मुंबई, पत्नी जुनापुर पहुंच गई थी।
दंपति ने पारिवारिक मुकदमों और घरेलू हिंसा की शिकायतों सहित तलाक़ की याचिका दायर की थी। जनवरी 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने केस की सिफ़ारिश करते हुए कहा कि “शायद इनका रिश्ता अब नहीं बच सकता” और mediation (मध्यस्थता) केंद्र भेजा ।
मध्यस्थता के दौरान हुआ शानदार समझौता
फरवरी‑मई 2025 तक पांच मध्यस्थता सत्र हुए। इसके परिणामस्वरूप:
पति ₹15,000 प्रति माह पत्नी के बैंक खाते में UPI के माध्यम से देगा।
पूरे समय के घर-के-सफ़ाई/रसोई सहायक (domestic help) की व्यवस्था करेगा।
दोनों पक्ष एक-दूसरे और दोनों परिवारों का सम्मान करेंगे, पूर्व शिकायतों को भुला देंगे, और साथ रहने का प्रयास करेंगे।
दोनों परिवार भी “पर्याप्त अंतराल” बनाए रखेंगे और दंपति को दखलंदाज़ी नहीं करेंगे ।
कानूनी मुकदमों का अंत और नए जीवन का आरंभ
सभी लंबित मुकदमे (domestic violence, FIR, तलाक याचिका) वापस ले लिए गए।
सुप्रीम कोर्ट ने आर्टिकल 142 के तहत दोनों पक्षों की सहमति से सभी न्यायिक प्रक्रियाएं समाप्त कर दीं ।
कोर्ट ने इस समझौते को मंजूरी देते हुए कहा कि उनका फैसला एक “खुशहाल वैवाहिक जीवन” की दिशा में एक सकारात्मक कदम है ।