
नई दिल्ली। देश में आवारा कुत्तों की बढ़ती समस्या और उनसे जुड़े विवादों के बीच सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (22 अगस्त 2025) को बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने अपने 11 अगस्त के आदेश में संशोधन करते हुए स्पष्ट कर दिया है कि अब आवारा कुत्तों से जुड़ा नियम सिर्फ एक राज्य तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूरे देश में लागू होगा। इस ऐतिहासिक फैसले के बाद से केंद्र और राज्य सरकारों पर यह जिम्मेदारी होगी कि वे आवारा कुत्तों को व्यवस्थित तरीके से शेल्टर होम में रखें और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करें।
11 अगस्त के आदेश में क्या था?
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने पहले 11 अगस्त को अपने आदेश में यह निर्देश दिया था कि आवारा कुत्तों को लेकर बनाए गए दिशा-निर्देश सिर्फ केरल राज्य में लागू होंगे। उस दौरान यह कहा गया था कि राज्य सरकार को आवारा कुत्तों के लिए अस्थायी शेल्टर होम बनाने होंगे और नागरिकों को सुरक्षित वातावरण उपलब्ध कराना होगा। लेकिन अब कोर्ट ने इस आदेश को संशोधित करते हुए इसे राष्ट्रीय स्तर पर लागू कर दिया है।
क्यों ज़रूरी पड़ा यह सुधार?
पिछले कुछ सालों से देशभर से आवारा कुत्तों के हमले की खबरें सामने आती रही हैं। बच्चों और बुजुर्गों पर इन हमलों के कारण कई लोगों की जान भी गई। दिल्ली, नोएडा, लखनऊ, भोपाल, चेन्नई, बेंगलुरु और केरल जैसे शहरों में यह समस्या लगातार बढ़ रही थी। कई राज्यों में इसे लेकर नागरिकों और प्रशासन के बीच विवाद भी देखने को मिले।
ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने माना कि अगर यह आदेश सिर्फ केरल तक सीमित रहा तो देश के अन्य हिस्सों में रहने वाले लोगों को न्याय नहीं मिलेगा। इसलिए अब यह नियम पूरे भारत में लागू होगा और सभी राज्य सरकारें इस दिशा में कदम उठाने के लिए बाध्य होंगी।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कई महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश दिए हैं, जिनका पालन सभी राज्य सरकारों को करना होगा:
1. आवारा कुत्तों के लिए शेल्टर होम बनाना होगा – हर राज्य और शहर में पर्याप्त संख्या में शेल्टर होम तैयार किए जाएं, ताकि कुत्तों को सड़कों से हटाकर सुरक्षित जगहों पर रखा जा सके।
2. नागरिकों की सुरक्षा प्राथमिकता – कोर्ट ने साफ कहा कि आम लोगों की सुरक्षा से समझौता नहीं किया जा सकता। इसलिए स्थानीय निकाय और प्रशासन को यह सुनिश्चित करना होगा कि सड़कों पर कुत्तों के झुंड न भटकें।
3. पशु अधिकारों का सम्मान – कोर्ट ने यह भी कहा कि कुत्तों को मारना या उनके साथ अमानवीय व्यवहार करना किसी भी हालत में स्वीकार्य नहीं होगा। उन्हें सुरक्षित माहौल में भोजन और इलाज की सुविधा दी जानी चाहिए।
4. फंडिंग और जिम्मेदारी – राज्य सरकारें केंद्र सरकार से समन्वय करके शेल्टर होम और व्यवस्थाओं के लिए बजट आवंटित करेंगी। स्थानीय निकायों पर भी इस योजना के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी होगी।
आदेश का देशव्यापी असर
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का सीधा असर देश के करोड़ों नागरिकों पर पड़ेगा। खासतौर पर उन इलाकों में जहां आवारा कुत्तों की संख्या ज्यादा है। यह कदम एक तरफ आम लोगों को सुरक्षा देगा तो दूसरी ओर कुत्तों को भी बेहतर जीवन जीने का अवसर मिलेगा।
शहरी क्षेत्रों में अक्सर लोग सुबह-शाम टहलने जाते समय कुत्तों के झुंड का सामना करते हैं। कई बार बच्चे स्कूल जाते समय डर का शिकार होते हैं। वहीं, ग्रामीण इलाकों में भी आवारा कुत्तों की समस्या लगातार बढ़ रही है। ऐसे में अब यह आदेश सभी जगह लागू होने से लोगों को राहत मिलने की उम्मीद है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
पशु अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह फैसला इंसानों और जानवरों दोनों के लिए संतुलित है। इससे कुत्तों की जान बचाई जा सकेगी और उन्हें सुरक्षित माहौल मिलेगा। वहीं, शहरी विकास विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर सरकारें शेल्टर होम को सही तरीके से लागू करें तो सड़क हादसों और कुत्तों के हमलों की घटनाओं में बड़ी कमी आएगी।
आगे की राह
अब राज्य सरकारों और स्थानीय प्रशासन के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी कि वे जल्द से जल्द शेल्टर होम बनाने का काम शुरू करें। इसके लिए भूमि, फंडिंग और व्यवस्थाओं की जरूरत होगी। साथ ही, लोगों को भी जागरूक करना होगा कि वे कुत्तों के प्रति अमानवीय व्यवहार न करें, बल्कि प्रशासन की मदद करें।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला न सिर्फ ऐतिहासिक है बल्कि संवेदनशील भी है। इससे एक ओर नागरिकों को सुरक्षा मिलेगी तो दूसरी ओर कुत्तों को भी अधिकारों के साथ जीने का अवसर मिलेगा। अब देखना होगा कि केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर इस आदेश को कितनी तेजी और प्रभावी तरीके से लागू करती हैं।