दुबई एयर शो 2025 में भारत के स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस के दुर्घटनाग्रस्त होने की घटना ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है। यह हादसा उस समय हुआ जब तेजस अपने हाई-परफॉर्मेंस एरोबेटिक डिस्प्ले के लिए आसमान में तेजी से maneuver कर रहा था। अचानक तेज रफ्तार के बीच विमान का संतुलन बिगड़ा और कुछ ही सेकंड में वह जमीन से टकरा गया। इस दर्दनाक दुर्घटना में भारतीय वायुसेना के जांबाज पायलट विंग कमांडर नमन स्याल की मृत्यु हो गई।

यह घटना न केवल भारतीय वायुसेना के लिए बल्कि वैश्विक एविएशन समुदाय के लिए भी गहरा झटका है। अब सबसे बड़ा सवाल यही उठ रहा है—
आखिर तेजस क्रैश क्यों हुआ? क्या पायलट ने नियंत्रण खोया? या फिर कोई मेडिकल ब्लैकआउट इसकी वजह बना?
घटना के बाद रक्षा विशेषज्ञ और रिटायर्ड नेवी एविएटर कैप्टन अनिल गौर ने कई महत्वपूर्ण बातें सामने रखी हैं, जिससे हादसे के संभावित कारणों पर प्रकाश पड़ता है।
तेजस क्रैश—हादसे के तकनीकी संकेत
प्रत्यक्षदर्शियों और उपलब्ध फुटेज के अनुसार तेजस विमान एक high-G turn में था जब अचानक उसकी trajectory बिगड़ गई। हादसे से पहले कोई विस्फोट, इंजन फेलियर या आग लगने जैसी स्पष्ट तकनीकी गतिविधि नजर नहीं आई। विशेषज्ञों के मुताबिक यह संकेत इस ओर इशारा करता है कि—
विमान तकनीकी खराबी से नहीं बल्कि नियंत्रण खोने से दुर्घटनाग्रस्त हुआ हो सकता है।
कैप्टन अनिल गौर का कहना है कि high-G maneuver के दौरान पायलट पर अत्यधिक दबाव पड़ता है और शरीर पर अचानक भारी G-force लगती है। अनुभवी पायलट भी कई बार इस दबाव के कारण G-LOC (G-force induced Loss of Consciousness) Spatial Disorientation Momentary blackout का सामना कर सकते हैं।
क्या पायलट ‘ब्लैकआउट’ का शिकार हुए?
डिफेंस एक्सपर्ट के अनुसार, विंग कमांडर नमन स्याल जैसे अत्यधिक प्रशिक्षित पायलटों के साथ भी high-G वातावरण में मेडिकल ब्लैकआउट की आशंका बनी रहती है।
कैप्टन गौर ने कहा:
“फुटेज में यह साफ दिखता है कि विमान एकदम सीधी लाइन में गिरता है। यह तभी होता है जब पायलट नियंत्रण नहीं कर पाता—या तो वह बेहोश हो जाए या भ्रमित हो जाए।”
उन्हें शक है कि उस क्षण पायलट पर G-force बहुत अधिक था, या फिर किसी medical blackout ने उनके sensors को प्रभावित किया, जिसके कारण वे विमान को recover नहीं कर पाए।
तेजस की तकनीकी विश्वसनीयता पर सवाल?
हादसे के बाद कुछ विदेशी विश्लेषकों ने सवाल उठाए कि क्या यह तेजस की तकनीकी कमी का संकेत है?
इस पर भारतीय रक्षा विशेषज्ञों ने स्पष्ट जवाब दिया है—
तेजस ने दुनिया के कई एयर शो में flawless प्रदर्शन किया है।
यह विमान फ्लाई-बाय-वायर तकनीक, उन्नत नियंत्रण प्रणाली, और ऊंचे सुरक्षा मानकों से लैस है।
पिछले एक दशक में तेजस प्लेटफॉर्म की सुरक्षा रिकॉर्ड बेहद मजबूत रहा है।
इसलिए विशेषज्ञों का झुकाव तकनीकी गड़बड़ी के बजाय मानवीय नियंत्रण और मेडिकल फैक्टर की ओर है।
जरूरी सवाल: क्या सीट इजेक्शन सिस्टम एक्टिव नहीं हुआ?
हादसे की सबसे दुखद बात यह रही कि पायलट eject नहीं कर सके। यह कई कारणों से हो सकता है:
क्रैश से पहले समय बेहद कम था
G-LOC के कारण पायलट eject command नहीं दे पाए
Low altitude maneuver में eject करना जोखिम भरा हो सकता है
एक्सपर्ट का स्पष्ट मत है:
“अगर ब्लैकआउट हुआ हो तो पायलट eject बटन नहीं दबा पाता। यही इस हादसे को इतना घातक बनाता है।”
तेजस कार्यक्रम पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
भारत के महत्वाकांक्षी तेजस निर्यात कार्यक्रम के लिए यह घटना संवेदनशील है। तेजस को
मलेशिया,
अर्जेंटीना,
फिलीपींस,
मिस्र
जैसे देशों में निर्यात के लिए प्रस्तुत किया जा चुका है।
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस हादसे का असर तात्कालिक हो सकता है, लेकिन इसकी तकनीकी विश्वसनीयता पर कोई बड़ा धब्बा नहीं लगेगा।
भारत सरकार ने भी यह साफ किया है कि क्रैश की संयुक्त जांच होगी,
डेटा रिकॉर्डर की रिपोर्ट सार्वजनिक की जाएगी,
और तेजस की सुरक्षा पर कोई समझौता नहीं होगा।
दुनिया ने दी विंग कमांडर नमन स्याल को श्रद्धांजलि
सोशल मीडिया पर भारत ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय पायलट समुदाय ने भी विंग कमांडर नमन स्याल को श्रद्धांजलि दी।
वह एक साहसी, अनुभवी और सैकड़ों उड़ान घंटों वाले पायलट थे।
उनका यह अंतिम मिशन भारत की वायु क्षमता का प्रदर्शन था और उनकी शहादत को देश कभी नहीं भूलेगा।
अंतिम निष्कर्ष—क्या हुआ तेजस क्रैश में?
तकनीकी खराबी के संकेत कम
पायलट ने हाई-G maneuver किया
संभवतः G-LOC या ब्लैकआउट
नियंत्रण खोने पर विमान सीधा नीचे गिरा
eject नहीं हो पाया
हादसा गम्भीर मानवीय व मेडिकल परिस्थितियों की ओर इशारा
रक्षा विशेषज्ञों की राय साफ है—
“यह तेजस की तकनीकी विफलता नहीं, बल्कि उड़ान के दौरान उत्पन्न गंभीर physiological factor का परिणाम हो सकता है।”
अभी जांच जारी है और अंतिम रिपोर्ट आने तक कोई निष्कर्ष निश्चित नहीं है।
लेकिन एक बात साफ है—
तेजस कार्यक्रम आगे बढ़ेगा, और विंग कमांडर स्याल की बहादुरी हमेशा याद रखी जाएगी।
