बिहार की सियासत में इस बार का चुनावी संग्राम बेहद रोमांचक मोड़ पर पहुंच चुका है। नए एग्जिट पोल (Exit Poll 2025) के ताज़ा आंकड़े आने के बाद सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है। जहां पहले यह माना जा रहा था कि नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की पार्टी फिर से सत्ता में वापसी करेगी, वहीं अब हालात पूरी तरह पलटते दिख रहे हैं।

ताज़ा सर्वे के मुताबिक, राजद (RJD) के नेता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) की पार्टी ने जेडीयू (JDU) को पीछे छोड़ते हुए बढ़त बना ली है।
तेजस्वी की लहर, युवाओं का झुकाव आरजेडी की ओर
नए एग्जिट पोल के अनुसार, बिहार में इस बार युवा मतदाताओं ने तेजस्वी यादव पर भरोसा जताया है। रोजगार, शिक्षा और महंगाई जैसे मुद्दों पर राजद ने आक्रामक रणनीति अपनाई, जिसका असर वोटिंग पैटर्न पर साफ दिखाई दे रहा है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, ग्रामीण इलाकों से लेकर शहरी इलाकों तक तेजस्वी की अपील मजबूत हुई है।
राज्य के लगभग 243 विधानसभा सीटों में से आरजेडी को 115 से 125 सीटें, जबकि एनडीए (NDA) गठबंधन को 100 से 110 सीटें मिलने का अनुमान है। बाकी सीटों पर अन्य छोटे दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों के बीच मुकाबला है।
नीतीश कुमार की चुनौती बनी थकान और एंटी-इंकम्बेंसी
नीतीश कुमार भले ही एक अनुभवी नेता हैं, लेकिन इस बार उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती ‘थकान और एंटी-इंकम्बेंसी फैक्टर’ की रही।
पिछले 18 सालों से सत्ता में रहने के कारण जनता का एक वर्ग अब बदलाव की ओर झुकता दिख रहा है।
कई एग्जिट पोल एजेंसियों ने इस बार नीतीश की लोकप्रियता में गिरावट दर्ज की है, खासकर युवाओं और पहली बार वोट देने वाले वर्ग में।
एग्जिट पोल्स में बड़ा उलटफेर
टाइम्स पोल, इंडिया ट्रैक, और जनता सर्वे जैसी एजेंसियों के मुताबिक, बिहार में इस बार कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है।
जहां पहले रुझान एनडीए को आगे दिखा रहे थे, वहीं अब ताज़ा आंकड़े महागठबंधन (Mahagathbandhan) को बढ़त में दिखा रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि “यह चुनाव बिहार के इतिहास में सबसे करीबी मुकाबलों में से एक साबित हो सकता है।”
मुस्लिम और यादव वोट बैंक ने किया असर
एग्जिट पोल के आंकड़ों से साफ है कि मुस्लिम-यादव (MY) समीकरण एक बार फिर मजबूत हुआ है।
तेजस्वी यादव ने अपने भाषणों और रैलियों में लगातार गरीब, किसान और बेरोजगार युवाओं के मुद्दे उठाए, जिससे जनता में एक नई उम्मीद जगी।
विशेषज्ञों के अनुसार, इन समुदायों का एक बड़ा हिस्सा आरजेडी के पक्ष में वोट करता दिखाई दिया है।
भाजपा का वोट शेयर घटा, जेडीयू में अंदरूनी नाराजगी
हालांकि भाजपा (BJP) ने अपने प्रचार अभियान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता का पूरा इस्तेमाल किया, लेकिन स्थानीय मुद्दों और सीट बंटवारे की नाराजगी ने असर डाला है।
जेडीयू के भीतर भी कई वरिष्ठ नेताओं की असहमति सामने आई, जिसने गठबंधन के अंदर तालमेल को कमजोर किया।
तेजस्वी बोले – “जनता अब बदलाव चाहती है”
एग्जिट पोल के बाद तेजस्वी यादव ने मीडिया से बातचीत में कहा,
“बिहार की जनता ने इस बार बदलाव के लिए वोट किया है। हमारा एजेंडा रोजगार, शिक्षा और सम्मान है। हम विकास की नई दिशा देंगे।”
वहीं नीतीश कुमार ने एग्जिट पोल्स को ‘अनुमान मात्र’ बताते हुए कहा कि
“असली नतीजा 18 नवंबर को आएगा, तब सबको सच्चाई पता चल जाएगी।”
क्या नीतीश का जादू खत्म?
राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, नीतीश कुमार की सबसे बड़ी ताकत ‘गठबंधन प्रबंधन’ रही है, लेकिन इस बार विपक्ष ने रणनीतिक रूप से जनता के मूड को बदल दिया।
एग्जिट पोल्स में जो आंकड़े सामने आए हैं, वे इशारा करते हैं कि नीतीश का करिश्मा फीका पड़ने लगा है।
वोट प्रतिशत और सीटों का अनुमान
दल/गठबंधन अनुमानित सीटें वोट प्रतिशत
आरजेडी + महागठबंधन 115-125 41%
एनडीए (जेडीयू + भाजपा) 100-110 38%
अन्य दल 10-15 7%
निर्दलीय 2-3 2%
18 नवंबर को नतीजे, सस्पेंस बरकरार
अब सबकी नजरें 18 नवंबर 2025 पर टिकी हैं, जब असली नतीजे सामने आएंगे।
क्या तेजस्वी वाकई नीतीश से आगे निकलेंगे, या एग्जिट पोल्स फिर से गलत साबित होंगे — इसका जवाब सिर्फ समय देगा।
फिलहाल इतना तय है कि बिहार की सियासत एक बार फिर ‘कांटे की टक्कर’ के दौर में है, और जनता के मन की बात जानने की उत्सुकता चरम पर है।
