टाइगर के मुंह से वनकर्मी को बचाया, लेकिन किसान की जान नहीं बची।

टाइगर के मुंह से वनकर्मी को बचाया, लेकिन किसान की जान नहीं बची।

मध्य प्रदेश के एक वन क्षेत्र में मंगलवार को दिल दहला देने वाली घटना हुई। एक बाघ ने गश्त पर निकले वनकर्मी पर हमला कर दिया। बाघ के पंजों और जबड़े में फंसे वनकर्मी को बचाने के लिए वहां मौजूद ग्रामीणों ने अपनी जान जोखिम में डालकर लाठी-डंडों से हमला किया और उसे बाघ के चंगुल से अलग कर लिया। हालांकि, इसी दौरान पास के खेत में मौजूद एक किसान पर बाघ ने हमला कर दिया, जिससे उसकी मौत हो गई।

घटना का सिलसिलेवार ब्यौरा

जानकारी के अनुसार, यह घटना [जिला/इलाके का नाम] के जंगल से सटे गांव में सुबह करीब 10 बजे हुई। वनकर्मी [नाम] अपने साथियों के साथ जंगल की गश्त कर रहे थे। अचानक झाड़ियों से एक बाघ निकलकर सीधे उन पर झपटा। बाघ ने वनकर्मी को गिरा लिया और उसे घसीटने लगा। पास के खेतों में काम कर रहे छह ग्रामीणों ने आवाज सुनकर मौके की ओर दौड़ लगाई।

ग्रामीणों ने साहस दिखाते हुए लाठी-डंडों से बाघ पर हमला किया। बाघ ने कुछ पल के लिए अपना शिकंजा ढीला किया और वनकर्मी को छोड़ दिया, लेकिन तुरंत ही बाघ मुड़ा और नजदीकी खेत में काम कर रहे किसान [नाम] पर टूट पड़ा। बाघ ने किसान की गर्दन और पीठ पर गहरे घाव कर दिए, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई।

वनकर्मी की हालत गंभीर

घायल वनकर्मी को तुरंत नजदीकी अस्पताल ले जाया गया, जहां उसका इलाज जारी है। डॉक्टरों के मुताबिक, वनकर्मी के हाथ, कंधे और पीठ पर गंभीर चोटें आई हैं, लेकिन समय पर बचाव होने से उसकी जान बच गई।

ग्रामीणों का गुस्सा

घटना के बाद ग्रामीणों में भारी आक्रोश है। उनका कहना है कि इस इलाके में पिछले कुछ महीनों से बाघ और तेंदुए की आवाजाही बढ़ गई है, लेकिन वन विभाग ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं किए। ग्रामीणों का आरोप है कि समय पर पिंजरा या ट्रैंक्विलाइज़र टीम न पहुंचने से यह हादसा हुआ।

वन विभाग की प्रतिक्रिया

वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि बाघ को ट्रैक करने और पकड़ने के लिए विशेष टीम भेजी गई है। आसपास के गांवों में अलर्ट जारी कर दिया गया है और लोगों को जंगल के किनारे खेतों में अकेले न जाने की सलाह दी गई है। अधिकारियों ने स्वीकार किया कि यह बाघ पिछले दिनों भी इलाके में देखा गया था।

बाघ-मानव संघर्ष की बढ़ती घटनाएं

विशेषज्ञों का कहना है कि जंगल के प्राकृतिक आवास में कमी और शिकार की घटती संख्या के कारण बाघ आबादी वाले इलाकों की ओर आ रहे हैं। इससे बाघ-मानव संघर्ष की घटनाएं बढ़ी हैं। इस साल अब तक प्रदेश में बाघ के हमले से [संख्या] लोगों की मौत हो चुकी है और कई घायल हुए हैं।

नायक बने ग्रामीण

वनकर्मी को बचाने वाले छह ग्रामीणों के साहस की इलाके में खूब सराहना हो रही है। उन्होंने बिना किसी सुरक्षा उपकरण के बाघ के सामने खड़े होकर वनकर्मी की जान बचाई। प्रशासन ने इनके साहस को देखते हुए सम्मानित करने की घोषणा की है।

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