
देर रात तक जागने की आदत कर रही है दिमाग को कमजोर, जानिए ब्रेन हेल्थ पर इसके 5 गंभीर असर
हर साल 22 जुलाई को वर्ल्ड ब्रेन डे मनाया जाता है। इसका उद्देश्य दुनियाभर के लोगों को मानसिक स्वास्थ्य और ब्रेन से जुड़ी बीमारियों के बारे में जागरूक करना है। इस मौके पर हमने विशेषज्ञों से जाना कि आज की युवा पीढ़ी में पनपती एक सामान्य लेकिन बेहद खतरनाक आदत – देर रात तक जागना – किस तरह उनके दिमाग की सेहत पर असर डाल रही है।
क्या कहती है रिसर्च?
ब्रेन हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि देर रात तक जागने की आदत सीधे तौर पर मस्तिष्क के कार्य करने की क्षमता को प्रभावित करती है। नींद के दौरान दिमाग खुद को रीचार्ज करता है, बेकार टॉक्सिन्स को बाहर निकालता है और याद्दाश्त को बेहतर करता है। लेकिन जब नींद पूरी नहीं होती, तो ये सभी प्रक्रियाएं बाधित हो जाती हैं।
युवाओं में क्यों बढ़ रही है ये आदत?
1. सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म का बढ़ता उपयोग
युवा वर्ग में इंस्टाग्राम, यूट्यूब, नेटफ्लिक्स और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल देर रात तक होता है, जिससे उनकी नींद की गुणवत्ता और समय दोनों प्रभावित होते हैं।
2. वर्क फ्रॉम होम और फ्रीलांस कल्चर
महामारी के बाद से काम करने का तरीका बदल गया है। लचीला शेड्यूल होने के कारण लोग देर रात तक जागने लगे हैं, जो धीरे-धीरे आदत में तब्दील हो गया है।
3. शैक्षणिक दबाव और प्रतियोगी परीक्षाएं
छात्र देर रात तक पढ़ाई करते हैं, जिससे उनकी नींद का समय सीमित हो जाता है और ब्रेन को पर्याप्त आराम नहीं मिल पाता।
कैसे होता है नुकसान: दिमाग पर पड़ने वाले 5 गंभीर असर
1. मेमोरी कमजोर होना
नींद पूरी न होने पर ब्रेन की हिप्पोकैम्पस नामक संरचना प्रभावित होती है, जो याद्दाश्त से जुड़ी होती है। इससे शॉर्ट टर्म मेमोरी पर बुरा असर पड़ता है। बच्चे और छात्र नई चीजें जल्दी भूलने लगते हैं।
2. निर्णय लेने की क्षमता घटती है
देर रात तक जागने वाले लोगों का कॉग्निटिव फंक्शन यानी सोचने और निर्णय लेने की क्षमता कमजोर हो जाती है। इससे उनके निर्णय गलत होने लगते हैं और आत्मविश्वास भी गिरता है।
3. मानसिक तनाव और एंग्जायटी बढ़ती है
नींद पूरी न होने से स्ट्रेस हॉर्मोन यानी कोर्टिसोल का स्तर बढ़ता है। इससे एंग्जायटी, चिड़चिड़ापन और डिप्रेशन जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं।
4. दिमागी थकावट और एकाग्रता में कमी
पूरी नींद न लेने पर दिमाग थका रहता है, जिससे किसी भी काम में ध्यान लगाना मुश्किल हो जाता है। ये सीधे तौर पर पढ़ाई और कामकाज की परफॉर्मेंस को प्रभावित करता है।
5. डिमेंशिया और न्यूरोलॉजिकल बीमारियों का खतरा
लंबे समय तक नींद की अनदेखी करने से ब्रेन डैमेज का खतरा बढ़ता है। इससे उम्र बढ़ने के साथ डिमेंशिया और अल्जाइमर जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।
एक्सपर्ट्स की सलाह: ब्रेन हेल्थ के लिए जरूरी नींद संबंधी आदतें
1. हर दिन 7 से 8 घंटे की नींद जरूर लें
एक्सपर्ट्स का मानना है कि वयस्कों को हर दिन कम से कम 7 से 8 घंटे की नींद लेनी चाहिए, ताकि ब्रेन पूरी तरह से खुद को रिकवर कर सके।
2. सोने और उठने का तय समय रखें
हर दिन एक ही समय पर सोने और उठने की आदत बनाएं। इससे शरीर की बॉडी क्लॉक संतुलित रहती है और नींद की गुणवत्ता भी बेहतर होती है।
3. सोने से कम से कम 1 घंटा पहले स्क्रीन टाइम बंद करें
मोबाइल और लैपटॉप से निकलने वाली ब्लू लाइट मेलाटोनिन हॉर्मोन को दबा देती है, जिससे नींद आने में देरी होती है। इसलिए सोने से पहले डिजिटल डिटॉक्स जरूरी है।
4. कैफीन और भारी भोजन से बचें
रात में चाय, कॉफी या भारी भोजन नींद को प्रभावित कर सकता है। सोने से 2 घंटे पहले हल्का भोजन और हाइड्रेशन बनाए रखें।
5. सोने का माहौल शांत और अंधेरा रखें
कमरे में शांति और अंधेरा नींद को गहरा बनाने में मदद करता है। साउंड मशीन या हल्की संगीत भी उपयोगी हो सकती है।
वर्ल्ड ब्रेन डे के मौके पर यह समझना जरूरी है कि अच्छी नींद केवल आराम नहीं, बल्कि ब्रेन हेल्थ की बुनियाद है। देर रात तक जागने की आदत धीरे-धीरे मस्तिष्क को कमजोर बनाती है और लंबे समय में गंभीर मानसिक बीमारियों का कारण बन सकती है। आज की युवा पीढ़ी को जागरूक होकर अपने डिजिटल और जीवनशैली व्यवहार में संतुलन लाना होगा, ताकि आने वाली पीढ़ी मानसिक रूप से स्वस्थ रह सके।