रांची में दबंगई की हद: सड़क पर कुर्सी लगाकर बनाई ‘पुलिस रील’, पुलिस ने की गिरफ्तारी, ‘जिंदाबाद’ के नारे से मचा बवाल।

रांची में दबंगई की हद: सड़क पर कुर्सी लगाकर बनाई ‘पुलिस रील’, पुलिस ने की गिरफ्तारी, ‘जिंदाबाद’ के नारे से मचा बवाल।

रांची। झारखंड की राजधानी रांची में सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो ने पुलिस और आम जनता के बीच कानून व्यवस्था को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। वीडियो में एक युवक रिंकू सड़क के बीचों-बीच कुर्सी लगाकर न सिर्फ बैठता नजर आ रहा है, बल्कि ‘पुलिस जिंदाबाद’ के नारे लगाते हुए पुलिस की कार्यप्रणाली का मज़ाक उड़ाता है। यह वीडियो कुछ ही समय में इंटरनेट पर वायरल हो गया, जिसके बाद पुलिस ने सख्त एक्शन लेते हुए युवक को गिरफ्तार कर लिया।

सोशल मीडिया पर वायरल रील ने मचाया बवाल

रिंकू नामक यह युवक खुद को सोशल मीडिया स्टार बताता है और रील बनाने के शौक के चलते उसने रांची की व्यस्त सड़कों पर एक कुर्सी रखकर अभिनय किया। रील में वह पुलिस को समर्थन देने वाले नारों के बीच ऐसे भाव-भंगिमा दिखाता है, जिससे यह प्रतीत होता है कि वह कानून को हल्के में ले रहा है। इस हरकत को देखते हुए लोगों ने इसे पुलिस का अपमान बताया और शिकायत की।

पुलिस की सख्त कार्रवाई

वीडियो वायरल होने के कुछ ही घंटों के भीतर रांची पुलिस ने युवक की पहचान कर उसे गिरफ्तार कर लिया। अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि किसी को भी सोशल मीडिया की आड़ में सार्वजनिक व्यवस्था से खिलवाड़ करने की इजाजत नहीं दी जाएगी।

पुलिस ने बयान में कहा –

“सोशल मीडिया की आज़ादी का मतलब यह नहीं कि कोई कानून और सुरक्षा एजेंसियों का उपहास उड़ाए। यह वीडियो हमारे जवानों की छवि खराब करने वाला है।”

रील बनाम रियलिटी पर फिर छिड़ी बहस

यह घटना सोशल मीडिया पर बढ़ते रील कल्चर और उसकी सीमाओं को लेकर एक बार फिर चर्चा का विषय बन गई है।

क्या रील के नाम पर सार्वजनिक स्थानों का दुरुपयोग उचित है?

क्या कानून व्यवस्था पर व्यंग्य करना भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है?

और सबसे बड़ा सवाल – क्या पुलिस को ऐसे मामलों में सख्ती से निपटना चाहिए या समझदारी से?

जन प्रतिक्रिया

जहां एक ओर कुछ युवाओं ने इसे “मनोरंजन की स्वतंत्रता” कहा, वहीं अधिकांश लोगों ने पुलिस की त्वरित कार्रवाई की सराहना की और इसे एक जरूरी संदेश बताया कि कानून का मज़ाक उड़ाना अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

यह मामला केवल एक वायरल रील का नहीं, बल्कि सोशल मीडिया के दुरुपयोग और सार्वजनिक व्यवस्था को हल्के में लेने की मानसिकता पर सवाल खड़ा करता है। रील के ज़माने में अब ज़रूरी हो गया है कि मनोरंजन और मर्यादा के बीच की सीमा को ठीक से समझा जाए।

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