
झारखंड के दिशोम गुरु शिबू सोरेन के पार्थिव शरीर को लाया गया रांची, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पहुंचे एयरपोर्ट।
रांची। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री, झारखंड आंदोलन के प्रणेता, दिशोम गुरु और राज्यसभा सांसद दिवंगत श्री शिबू सोरेन के निधन की खबर से पूरे झारखंड समेत देशभर में शोक की लहर दौड़ गई है। झारखंड के आदिवासी समाज और राजनीतिक जगत में गहरी पैठ रखने वाले शिबू सोरेन का पार्थिव शरीर आज रांची एयरपोर्ट लाया गया। एयरपोर्ट पर मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन, कैबिनेट के कई मंत्री, प्रशासनिक अधिकारी और बड़ी संख्या में झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ता और आमजन मौजूद रहे।
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन अपने पिता की पार्थिव देह को रिसीव करने स्वयं रांची एयरपोर्ट पहुंचे। एयरपोर्ट पर राजकीय सम्मान के साथ पार्थिव शरीर को श्रद्धांजलि दी गई। इसके बाद पार्थिव शरीर को फूलों से सजे वाहन में मोरहाबादी स्थित पारिवारिक आवास के लिए ले जाया गया। पूरे रास्ते झारखंड मुक्ति मोर्चा के झंडे और नारे लगाते हुए लोग खड़े थे, जो अपने प्रिय नेता को अंतिम विदाई देने पहुंचे थे। मोरहाबादी स्थित आवास पर उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा, जहां आम जनता भी अपने नेता को श्रद्धांजलि दे सकेगी।
झारखंड के गठन में अहम भूमिका निभाने वाले दिशोम गुरु शिबू सोरेन ने आदिवासी अधिकारों और सामाजिक न्याय की लड़ाई के लिए पूरा जीवन समर्पित किया। वे झारखंड आंदोलन के मजबूत स्तंभ रहे और झारखंड को अलग राज्य का दर्जा दिलाने में उनकी भूमिका अविस्मरणीय रही। उन्होंने कई बार लोकसभा और राज्यसभा का प्रतिनिधित्व किया और तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने।
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने अपने पिता के निधन को निजी ही नहीं, बल्कि झारखंड की अस्मिता और आंदोलन की अपूरणीय क्षति बताया। उन्होंने कहा कि दिशोम गुरु का जाना झारखंड के राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन में एक युग का अंत है।
मुख्यमंत्री ने सभी नागरिकों से शांति और संयम बनाए रखने की अपील की और बताया कि अंतिम दर्शन और सम्मानजनक विदाई के लिए राज्य सरकार द्वारा समुचित व्यवस्था की जा रही है।
राज्य सरकार ने शोक स्वरूप झारखंड में राजकीय शोक की घोषणा की है और सभी सरकारी भवनों पर तिरंगा झुका दिया गया है। झारखंड विधानसभा अध्यक्ष, राज्यपाल समेत देश के कई नेताओं ने भी दिवंगत शिबू सोरेन के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। सोशल मीडिया पर हजारों लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है।
पारिवारिक सूत्रों के अनुसार, अंतिम संस्कार कार्यक्रम कल गिरिडीह जिले के डुमका स्थित उनके पैतृक गांव में किया जाएगा। वहां भी अंतिम दर्शन की व्यवस्था की गई है और हजारों की संख्या में लोग जुटने की संभावना है।
झारखंड की जनता के दिलों में बसने वाले शिबू सोरेन का जाना एक युग का अंत है, लेकिन उनके विचार, उनका संघर्ष और उनके सिद्धांत सदैव झारखंड को प्रेरणा देते रहेंगे। राज्य की राजनीति में अब एक ऐसा खालीपन है जिसे भर पाना आसान नहीं होगा।